गर्मी में कूलर के सामने ही पड़ा रहना पड़ता है। वह भी पर्याप्त वेंटिलेशन न होने के कारण ज्यादा ठंडी हवा नहीं फेंकता। उमस से उंगलियाँ चिपकने लगती हैं फोन पे। 20 साल बिना कूलर के गुजारे, अब गर्मी इतनी पड़ती है कि सो नहीं सकते बिना कूलर के।
अलग से इन्वर्टर लेना पड़ा क्योंकि बिजली बहुत जाती है इधर। उसको भी 4 साल हो गए। वारन्टी खत्म। गनीमत है कि चल रहा है। मैं कई दिन से नंगा रहता हूँ। कपड़े पहनो तो धुलने पड़ेंगे। चादर तो साबुन पानी में भिगो कर टब में धो लूंगा। वाशिंग मशीन में कपड़े नहीं धुल रहा। वाशिंग मशीन का मोड चेंजर नॉब मेकेनिज्म टूटा है, ओवन और सीलिंग फैन खराब है।
रेफ्रिजरेटर के कम्प्रेसर की गैस निकल गयी थी। डलवाने को दिया तो उसने उसका पाइप ही तोड़ दिया। नया रेफ्रिजरेटर अब कम बिजली खाने वाला मिल नहीं रहा। तो बर्फ छोड़ो, ठंडा पानी भी नहीं पी सकता।
ऐसे ही किसी तरह सादा गर्म सा पानी पीता हूँ सारी गर्मी। खाना भी खराब हो जाता है ज्यादातर बचा हुआ। रूहआफ़ज़ा और टैंगो सॉफ्टड्रिंक लाया था। ऐसे ही गर्म पानी में पी लेता हूँ।
वाटर टैंकों का वाल्व टूटा है, पानी लीक होता रहता है छत पर ओवरफ्लो होकर। घर के खिड़की दरवाजों और दीवारों से दीमक की बांबी निकल रही है। छत का मुख्य और छज्जे की जाली वाला बोर्ड का दरवाजा गल के टूट गया है। जीने के दरवाजे की चौखट खराब है जिससे लॉक नहीं हो रहा। उस पर लगी जाली का डोर क्लोज़र खराब पड़ा है।
जीने पर रेलिंग और पाइप लगवाना है। गिरने का डर रहता है। कमरों में रद्दी और भंगार का सामान फैला है। सब सामान धूल खा रहा और एक के ऊपर एक चढ़ा हुआ है। कुछ सामान खोया हुआ भी है। अलुमिनियम सीढ़ी 6-7 स्टेप की 2400₹ की है लेकिन वो घर पे कैसे लेकर आऊं? बहुत दूर मिल रही है। वो आ जाये तो पंखा खोल के ठीक करने का जुगाड़ करूँ।
टुल्लू पम्प खुला पड़ा है। उसका सामान चुरा लिया था पिछले मिस्त्री ने। उसको भी ठीक करवाना है। घर में पुट्टी होनी है, रंग रोगन होना है। जालियों और ग्रिलो पर पेंट होना है। बोर्ड के पल्लों के किनारों में दीमक नाशक लगा के पेंट करना है।
किचन के पल्ले दीमक खा गई। उनको ठीक करवाना है। ऊपर लटका कबर्ड धीरे धीरे unstable होकर झुक रहा है उसको भी रोकने का जुगाड़ करना है।
आंगन का पानी की निकासी का पाइप चोक है फेविकोल से। उसे निकाल के बदलना पड़ेगा। टाइल लगा है जो अब मिलता नहीं। तोड़ना पड़ेगा। बेमेल लेकर लगाना पड़ेगा।
पानी का शावर जाम है। कमोड का जेट सेट ढीला है। उसके प्लास्टिक के स्क्रू की चूड़ी स्लिप हैं। बमटी पर छत डलवानी है। टीन अब गल चुका है।
एक दीवार के टाइल निकल गए हैं उनको लगवाना है, एक कमरे में रिनोवेशन के चक्कर में हुए काम से मच्छर आने का रास्ता खुल गया है उसे भी बन्द करना है सीमेंट से और न जाने क्या क्या करना बाकी है। कुछ काम तो इतने खर्चीले हैं कि करने ही नहीं है। क्या क्या बताऊँ?
फिर भी कभी नहीं रोता आपके सामने! मस्त रहता हूँ। जीवन इसी का नाम है। समय आने पर सब काम हो जाएंगे। 😍 सब बढ़िया है! 👌 ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020