इंसान सब्जियों, अनाजों और दालों को खाने के लिये नहीं बना था। वह केवल फलों पर आश्रित रहा था। बुद्धि के विकास और अकाल पड़ने पर फलों की कमी से मनुष्य ने अन्य भोजन के विकल्प तलाशने शुरू कर दिए। इस तरह हमने ऐसे वनस्पतिजन्य भोजन भी खाने सीख लिए जिनको सीधे नहीं खाया जा सकता है। क्योकि वे स्वाद में फलों जैसे नहीं होते।
क्या आप अनाज, जैसे गेंहू-चावल-दालों-ज्वार-मक्का आदि को सीधे पौधे से तोड़ के खा सकते हैं? आसानी से तो नहीं। जबकि नील गाय तो सब ऐसे ही खा जाती है। अर्थात वह हमारा भोजन नहीं हो सकते।
इसी तरह आप आलू, बैंगन, लौकी, कच्चा केला, कच्चा कद्दू, भसीड़ा, करेला आदि सब्जियों को कच्चा खाना पसंद नहीं करते क्योंकि उनमें रुचिकर स्वाद नहीं होता। जबकि गाय, भैंस और बंदर ये सब ऐसे ही खा जाते हैं। अर्थात ये मूल रूप से उनके ही भोजन हैं।
हमको इसके लिये बुद्धि मिली है और हम उसका प्रयोग करके इनको स्वाद देते हैं रसोई (प्रोसेसिंग/कुकिंग) बना कर। मतलब हमारा शरीर बुरी परिस्थितियों में बुद्धि का प्रयोग करके इन वनस्पतियों का प्रयोग/सेवन कर सकता है।
हम इनको कच्चा खा सकते हैं। लेकिन हमको रुचिकर नहीं लगेगा। कच्चे वनस्पति में न्यूट्रिशन ज्यादा होता है लेकिन पके फल के अतिरिक्त, अन्य वनस्पतियों को मानव शरीर पूरी तरह से पचा नहीं पाता। पकाने से वो फलों के बराबर सुपाच्य हो जाती हैं तो अधिक न्यूट्रिशन शरीर सोख लेता है। हांलाकि कुछ न्यूट्रिशन जैसे विटामिन C आदि पकाने से नष्ट हो जाते हैं।
लेकिन बात अभी भी कॉमन सेंस की है। मानव बुद्धि अधिक है या कम है? कभी-कभी इसमें उलझ जाता हूँ। दुनिया बहस करने में लग गई क्योकि स्वयं की बुद्धि की जगह गलत बात को किसी एक्सपर्ट से सुनने को तैयार बैठे हैं।
मैं इतनी आसानी से समझा सकता हूँ कि मुझे लगता है कि बुद्धि का प्रयोग ही नहीं किया मैने। साधारण सी बुद्धि है मेरी। ज्यादा सोच विचार नहीं कर पाता। चलिये देखते हैं कि आपको समझा पाता हूँ या नहीं। अन्यथा मेरे पास पूरी रिसर्च तो है ही। 😁
एक दिन मैंने अपने सभी जानने वालों को भोजन पर बुलाया। मैंने 3 टेबल पर अलग अलग भोजन रखे।
1. सभी तरह के ऐसे फल जिनको बिना काटे केवल नँगे हाथों की मदद से ही खाया जा सके। आम, अमरूद, केला, संतरा, सेब, मीठा प्याज, गाजर, मूली, चुकंदर, पत्तागोभी, टमाटर, नींबू आदि।
2. सभी ऐसी सब्जियां, जो पकने से पहले खाना अरुचिकर या मुश्किल हो। आलू, बैंगन, तोरई, टिंडा, लौकी, फूलगोभी, भिंडी, सेम, पालक, मेथी, बथुआ व बिना प्रोसेस किया गया धान, गेहूँ की बाली, दालों की फलियां, सूखा भुट्टा, सूखा चना, बाजरा, आदि।
3. कीड़े, मुर्गा, कबूतर, सूड़िया, कच्चे अंडे, एक बकरा (सब ज़िंदा)।
अब आप खुद सोचिये, उन लोगों ने उस दिन सबसे ज्यादा, क्या खाया होग़ा? आधुनिक मानव केवल उसी भोजन को खाने के लिए बना है। बाकी सब बकवास और मूर्खतापूर्ण लोगों की मूर्खतापूर्ण सोच है। भोजन में व्यवहारिक रूप से जो सत्य है वही सत्य है। वही हमारी प्राकृतिक प्रवृत्ति है। जैसे और जानवरों की होती है। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©
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