दुनिया ने कहा:
1. सांप दूध पीता है। हमने पाया, झूठ है। वो पानी पीता है दूध के रूप में और वो दूध उसे पचता नहीं है।
2. सांप बीन सुन कर चला आता है। हमने पाया, झूठ है। वो बीन की नली देख कर सिर नचाता है। उसके कान ही नहीं होते।
3. दुनिया ने कहा कि मोर के आंसू पी कर मोरनी उपजाऊ अंडे देती है। हमने पाया कि पक्षियों के संभोग का समय ही कम होता है। मुर्गी और मोरनी दोनो के ही मामले में एक ही बात है। लेकिन मुर्गी की बात कोई नहीं करता।
4. दुनिया ने कहा कि वनस्पतियों को दर्द होता है। हमने जांचा कि मशीनों से जो विद्युत स्पंदन जांच रहे, वनस्पतियों में उस मशीन की ही तो कमी है। यानि मस्तिष्क की। बिना मस्तिष्क व तांत्रिका तंत्र के कोई भी चेतन नहीं है। बैक्टीरिया के जैसा जीवन है उसमें। दर्द-भावना रहित।
5. दुनिया ने कहा, हनुमान, युधिष्ठिर और सुभाष चंद्र बोस अमर हैं। हमने पाया कि प्रथम 2 पात्रों की कहानी ही मनोरंजन हेतु कल्पना से लिखी गई है और सुभाष जी की अस्थियाँ जापान में रखी हैं।
6. दुनिया ने कहा कि ह्रदयघात चीनी और धूम्रपान से होता है और हमने जाँच कर देखा तो वह बुरे कोलेस्ट्रॉल से होता पाया गया। जो केवल पशुउत्पाद में ही पाया जाता है। वनस्पति तेलों के hydrogenation से बना कृत्रिम ट्रांसफैट का सुरक्षित उपयोग छोड़ के बाकी पर प्रतिबंध है। अतः उसको अपवाद और मानव जनित समस्या माना जा सकता है।
7. दुनिया ने कहा कि मनुष्य सर्वाहारी है और हमने पाया कि सर्वाहारियों से उसका एक भी लक्षण नहीं मिलता। 3 टेबल टेस्ट में प्रत्यक्ष इसका प्रमाण दिखता है।
टेबल 1. कच्चे बिना नमक-चीनी के सूखे अनाज।
टेबल 2. जिंदा जानवर, ज़िंदा कीड़े, कच्चे अंडे।
टेबल 3. पेड़ पर पके फल।
इंसान ने टेबल 3 को ही अपना भोजन चुना।
मानव पर शिकार करने के लिए कुछ भी (पर्याप्त नुकीले दांत, नाखून, रात्रिचर्या, दौड़ने की शक्ति, पूछ, मांस खाने की प्राकृतिक इच्छा आदि का पूर्ण अभाव) प्राकृतिक है ही नहीं। जबकि फलभक्षी प्राणियों से उसका 100% मिलान हुआ है। अतः मनुष्य फलाहारी है।
8. दुनिया ने कहा कि ईश्वर है। हमने देखा कि NASA समेत कई देशों ने अंतरिक्ष में जाकर देख लिया उनको कोई ईश्वर नहीं मिला। न स्वर्ग, न नर्क।
9. दुनिया ने कहा कि महिला कमज़ोर है। हमने जांचा कि महिलाओं से ताकतवर कोई नहीं। जो काम महिला खिलाड़ी कर रहे, वो पुरूष नहीं कर पा रहे। महिला को समान शिक्षा, समान मार्शल आर्ट, समान gym में प्रशिक्षण दीजिये। फिर कहिये कि महिला कमज़ोर है। फिर भी हम कहते हैं कि महिला और पुरुष समान हैं क्योंकि ये तो प्रतियोगिता का दौर है। कोई भी किसी से भी आगे निकल सकता है।
10. दुनिया ने कहा कि विवाह व बच्चे ज़रूरी हैं और ऐसा करना अच्छा है। हमने पाया कि दुनिया के समस्त दुःख इसे करते ही आना शुरू हो जाते हैं और इसे त्यागते ही सुख ही सुख आ जाता है। पूरी दुनिया के इस झूठ को लोग अब समझने लगे हैं और विवाह संस्था पर केवल कट्टरपंथियों का ही कब्जा रह गया है। बाकी लोग बिना विवाह के ही अपने साथी के साथ रहते हैं और बच्चे न पैदा करके बहुत खुश हैं।
तो अब अगर कोई कहे कि दुनिया क्या मूर्ख है? तो कह देना इस पोस्ट को दिखा कर, "हाँ जी, है।" ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020© 😘
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