Zahar Bujha Satya

Zahar Bujha Satya
If you have Steel Ears, You are Welcome!

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Hello buddy?



90% फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज के लिस्ट में घुसे लोग घुसते ही अकड़ और तड़प-तड़प के मर जाते हैं। 😑🤣

फिर उनकी लाश हटाते फिरो। साला बड़ा अजीब लगता है कि चुटकुले पर भी हंसने वाले वही लोग हैं जो लिस्ट में शुरू से थे। नए वाले साले पक्का फेक ID से जासूसी करने आते हैं। जब फुर्सत मिलती होगी तो id खोल के जासूसी कर लेते होंगे।

इधर की बात उधर करके सोचते होंगे कि बड़ा तीर मार लिया। 🤣 फिर जासूसी करते करते उन पर मेरी बातों का असर होने लगता है तो फिर डर के मारे जासूसी भी बंद। तब ID को अनाथ करके भूल जाते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में जैसी हाय तौबा मैंने मेरे नाम की मचते देखी है, ऐसे आरोप देखे जिसमें लोगों को मेरा चमचा, गुलाम और भक्त तक कह दिया गया, मैं उनको भटका रहा, कह दिया गया, ब्रेनवाश कर रहा, कह दिया गया, बहुत लोगों को भटका दिया, कहा गया, उससे लग रहा है कि भले ही like कमेंट नहीं करते लोग लेकिन मेरी पोस्ट और कमेंट पर लगातार नज़र रखी जाती है।

जैसे ही थोड़ा हतोत्साहित होता हूँ कि कोई नहीं पढ़ता मेरे विचार और फेसबुक को छोड़ने की सोचता हूँ, तभी ऐसे आरोप सुन के गदगद होने लगता हूँ कि, न न गलत लोगों की सुलग रही है। अच्छे लोगों पर असर हो रहा है।

तो वापस आ जाता हूँ। अच्छा लगता है जानकर कि मेरे होने का भी कोई मतलब है इस दुनिया में।

नहीं तो, मैं तो हर दूसरे पल यही सोचता हूँ कि मेरे कहने का कोई लाभ नहीं। लोग नहीं पढ़ते। पढ़ते तो पसन्द नहीं करते। पसन्द करते हैं तो अपनाते नहीं उन विचारों को। लेकिन दुश्मनों की जलती तशरीफ़ से निकलता धुआँ बता देता है कि असर तो होता है। भले ही लोग सामने नहीं दिखाते लेकिन उनके अंदर आया बदलाव औरों को दिख जाता है। मुझसे तो सहमत हुए लोग बताएंगे नहीं, इसलिए मैं अनजान रहता हूँ इन बदलावों से।

फिर भी, जब तक ये कानाफूसी, जासूसी, इधर की उधर, चुगली और मेरी चर्चा मेरे पीछे होती रहेगी। तब तक मुझको लगता रहेगा कि हाँ, भई सत्य में ताकत तो है। धीरे-धीरे ही सही, असर तो करता है।

बहुत लोग बताते हैं कि वो पिछले 15 दिन या 1 माह से Vegan और धर्ममुक्त बन गए हैं, मेरी पोस्ट पढ़ के। अच्छा लग रहा है और आगे भी ऐसे ही रहेंगे। कुछ ने तो विवाह और बच्चा मुक्ति भी अपना ली। इन लोगों ने ही मुझे ऊर्जा दे रखी है कि लिखते रहो शुभ। असर हो रहा है।

बहुत लोग टैग करते हैं, बहुत लोग मेंशन करते हैं। मैं घबरा जाता हूँ कि अगर सक्रियता न दिखाई तो कहीं वे मुझे घमंडी न समझें। लेकिन घमंड तो मेरे खून में है। 🤣 साला कितना भी सक्रियता दिखाओ, कितना भी प्रेम से बात करो, कोई न कोई स्टिकर लगा ही जाता है।

सही है, कोई एक व्यक्ति तारीफ कर दे पीठ पीछे, और मुझे किसी तरह, पता चल जाये तो मैं खुशी से नाचने लगता हूँ।

नफरत की उम्मीद करने वाले को ऐसा कुछ दिख जाए तो खुशी होना तय है। फिर और जोश में कमेंट और पोस्ट होने लगते हैं तो जाहिर है खुशी घमंड जैसी लगेगी ही।

और फिर घमंड अच्छाई पर होना ही चाहिए। सफलता पर होना ही चाहिए। मेरे लिए पुरुस्कार है मेरा गर्व तो दूसरे के लिए झूठा अहंकार। जिसके अहं को चोट लग जाये वो दूसरे को ही अहंकारी बोल के बच सकता है। 🤣

मैं अहंकारी हो जाऊं तो किसी के बाप का क्या जाने वाला है? मार देना ब्लॉक। मैं तो अपने हिसाब से ही चलता हूँ। किसी को पसंद आये तो ये उसकी भलाई है। मेरी नहीं। मैं तो वैसे ही बहुत खुश हूँ। अपने दोस्तों तक से बात करने का मन नहीं करता कभी।

यही तो चाहिए था। यही पा लिया है। खुद के साथ इतना अच्छा लग रहा है तो किसी दूसरे के साथ तो बुरा ही लगेगा। न निजता, न अपने मन की हर बात कर पाना। अगले को बुरा न लग जाये, हर बात को तोल मोल के बोलना तो जैसे एक घुटन जैसा है। जब भी बोलने का मन होता है, इधर ऐसी एक पोस्ट पेल के देखता हूँ कि क्या कोई ज़िंदा है?

और पता चलता है कि नहीं, सब अपने में व्यस्त हैं। मेरी तरह। 🤣 ~ मैं हूँ आपका हंसता-खेलता शुभ! 😊 2020©

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