विश्व भर में फैली षड्यंत्र की अफवाहों के अनुसार:
1. कोरोना वायरस एक प्लान करके फैलाया गया महामारी अंधविश्वास है। जिसमें WHO शामिल है।
2. मास्क लगाने से कोई लाभ नहीं है। इसे फेंको और जलाओ। कोई महामारी जैसी बीमारी है ही नहीं।
3. अकेले चीन ने कोई गलती नहीं की, ये तो सारे देशों की मिली भगत है।
4. कोई कोरोना या अन्य वैक्सीन नहीं लगवाना चाहिए। वैक्सीन में ही वायरस होता है। वैक्सीन से ही कोरोना का संक्रमण होता है। जितनी भी बीमारिया हैं वो सब वैक्सीन से ही पैदा की गई हैं।
5. कोरोना जैसा कुछ नहीं है। कोई नही मरा आज तक कोरोना से। अस्पताल में जानबूझकर उनको मारा जा रहा है। ये सब अमीरों की चाल है।
6. 5G के नेटवर्क से पक्षी ही नहीं बल्कि इंसान भी मर रहा है। उसकी इम्युनिटी कम कर रहा है 5G विकिरण। ये सब इंसान की जनसंख्या कम करने की साजिश (षडयंत्र) है!
क्या ये सब बिना प्रमाण के बयानों का समूह आपको सही लग रहा है? इनका कहना है कि जनसंख्या कम करने के लिए ये झूठा षड्यंत्र बनाया गया है, सभी सरकारों द्वारा।
लेकिन मेरे कुछ सवाल और तर्क हैं जो इन बातों को ही जनसंख्या कम करने का एक षड्यंत्र बताते हैं।
आइये, पहले जानते हैं कि हुआ क्या था?
चीन से यह वायरस 31 दिसम्बर 2019 को उजागर हुआ और इसका नाम covid19 इसी आधार पर रखा गया। कोरोना वायरस परिवार का यह सबसे ताकतवर सदस्य बना क्योंकि अकेले चीन के बुहान में इससे हजारो लोग संक्रमित होकर मारे गए।
चीन की सरकार ने जो कि एक पूंजीवादी नकली रेडिकल साम्यवादी तानाशाही सरकार है, 6 दिन तक वुहान में पर्यटकों को आने जाने दिया। जिससे पूरे विश्व भर में यह वायरस फैल गया।
चीन ने अपने देश में नागरिकों की मौत और वेक्सीन बनने के आंकड़े छुपाए क्योंकि चीन ने ही सबसे पहले बिना वैक्सीन की घोषणा किये वुहान समेत पूरे देश को kovid19 मुक्त घोषित किया, इससे पता चलता है कि गुप्त रूप से वैक्सीन का प्रयोग हुआ था। वायरस वैक्सीनेशन के बिना कभी नष्ट नहीं होता। केवल दब जाता है। ये वैज्ञानिक तथ्य है।
इन तथ्यों के आधार पर USA ने चीन को दोषी पाया और उस पर कई प्रतिबन्ध लगा दिए। WHO पर भी लापरवाही बरतने के लिए उसकी फंडिंग पर रोक लगाई और बदले में चीन ने WHO को और अधिक पैसा भेजा। जो मिली भगत की ओर इशारा करता लगता है लेकिन सत्य प्रमाण मिलने पर ही माना जा सकता है।
सभी देशों की सरकारों को लोगों की कमाई से टैक्स मिलता है। यही सरकारों की कमाई का जरिया है। इसी से देश की GDP बढ़ती है।
Covid19 के महामारी घोषित होते ही सभी देशों ने अपने देश में काम काज रोक दिया और उलटे राहत सामग्री को देश के लिए उपलब्ध करवाने हेतु पिछला जमा टैक्स जनता में लुटाना शुरू कर दिया।
सरकारी मुफ्त मास्क, सेनेटाइजर, isolation, virus सब्सिडी वाली testing kit, full analysis of virus, ppe kit, सहायक दवाइयों को सब्सिडी लगा कर सस्ता करना आदि व तमाम ज़रूरी सामान विदेशों से खरीद कर जनता में मुफ्त बांटे।
जिनका काम रुका, उनको मुफ्त राशन बांटा गया। इससे सरकारी खजाना खाली हुआ। काम कुछ हो नहीं रहा था। टैक्स मिलना सम्भव नहीं रहा और सभी देशों की GDP घट गई। इसी खजाने से 20 लाख करोड़ रुपये का कम्पनियों को राहत पैकेज दिया गया ताकि कम्पनियों को वापस जिंदा किया जा सके जो कि खत्म हो चली थीं। इन कम्पनियों से ही देश को टैक्स मिलता है और दिए गए लोन से ब्याज भी।
आने वाले समय में धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर आने के अनुमान हैं। ऐसा विश्व बैंक ने भी विश्लेषण करके बताया है।
अब आते हैं लगाए गए आरोपों पर।
आरोप 1: कोरोना सरकारी लाभ के लिए किया गया अमीरों का षड्यंत्र है।
खण्डन: सरकारें GDP गिरने से बर्बाद हुई हैं। राजनेता भी इस बीमारी से मारे गए हैं। चीन ने वायरस को फैलाया के सत्य है लेकिन चीन तो किसी का भी सच्चा दोस्त नहीं है। उसको तो सभी देश इस बीमारी का जिम्मदार बता रहे हैं। तो सभी की मिलीभगत का आरोप सिर्फ चूतियापा है।
कौन सरकार अपनी GDP गिरवायेगी Lockdown लगा कर? कौन सा नेता चाहेगा कि जनता उसके खिलाफ हो जाये? अमीरों ने तो अपना खजाना खोला है इस महामारी में। अमीरों ने बहुत धन दान कर दिया। क्या लाभ हुआ उनको? इंसानियत के नाते अपनी कमाई लोगों की भलाई में लगा दी।
आरोप 2: कोरोना जैसी कोई बीमारी नहीं है। अगर होती तो केवल अस्पताल जाकर ही लोग क्यों मर रहे हैं? कोई भिखारी क्यों नहीं मर गया सड़क पर?
खण्डन: तुमसे बड़ा कोई चूतिया नहीं है। वायरस को सभी देशों में देखा गया है। इसकी संरचना, कार्यविधि, सब उपलब्ध है। बड़े ऊंचे पद पर और प्रसिद्ध लोगों की मौत इस बीमारी से हो चुकी। सुबूत ही सुबूत हैं। और तुम्हारे पास क्या है? केवल बकचोदी।
आपको जो मौतों का आंकड़ा दिया जा रहा है, वह केवल वह है जो लोगों ने खुद फोन करके रजिस्टर करवाया है। बाकी जो गरीब, भिखारी मरे हैं, उनका कोई आंकड़ा कैसे जाएगा सरकार तक? उन पर खाने को नहीं, वो क्या फोन करके और लक्षण जान कर अस्पताल को बताएँगे? खुद बताओ।
क्या कोई गरीब भिखारी फोन करके डॉक्टर बुला सकता है कि मुझे कोरोना हो गया है और मुझे अस्पताल ले जाओ? क्या वो जान सकता है कि उसे क्या बीमारी है? वह क्या पता बताएगा अपना? सड़कों पर रहने वालों का कोई पता नहीं होता।
दरअसल सड़कों पर मौतों का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं होता क्योंकि उनके पास कोई id नहीं होती। उनकी लाश को लावारिस समझ कर बिना किसी जांच के ठिकाने लगा दिए जाता है।
आरोप 3: Covid19 अगर लाइलाज है तो ये रिकवर कौन हो रहे हैं? कोरोना अपने आप ठीक कैसे हो जा रहा है?
खण्डन: आपको सर्दी जुकाम इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। जबकि आपको तो केवल सर्दी लगने पर ही जुकाम हो जाता है। वायरस कहाँ से आया? दरअसल इन्फ्लूएंजा वायरस बहुत पहले जब हमको पहली बार जुकाम हुआ तभी हमारे भीतर समा गया। और यहीं रहता है हमेशा। निष्क्रिय अवस्था में। सर्दी में जैसे ही हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर पड़ती है तभी यह वापस सक्रिय हो जाता है।
Covid19 इसी परिवार का एक नया और खतरनाक वायरस है। जिसको अभी हर मानव बर्दाश्त नहीं कर सकता है लेकिन बहुत लोग कर सकते हैं। बहुत लोगों की इम्युनिटी ताकतवर होती है या उनके जीन ज्यादा प्रतिरोधक होते हैं। वे इस वायरस से लड़ कर इसे निष्क्रिय कर देते हैं। यही लोग रिकवर हो रहे हैं। इसका मतलब ये नहीं है कि ये कोई बीमारी ही नहीं। बहुत लोग मर भी रहे हैं।
जो लोग रिकवर हुए, वे सहायक इम्युनिटी बढाने वाली दवाइयों और भोजन पर निर्भर रहे थे। जैसे ही उनकी इम्युनिटी घटी, वे फिर से इसी वायरस से संक्रमित हो रहे हैं। अब अगर ज्यादा इम्युनिटी घटी तो ये सांस रुक जाने से मारे जाएंगे या फिर रिकवरी कर लेंगे दवा और भोजन से। वैसे ही जैसे जुकाम का हमला होता है और ठीक हो जाता है। यह पूरा कार्य एक स्वतः बनी वैक्सीन की तरह होता है। जो विशेष जीन के लोग इस तरह की वैक्सीन खुद के शरीर में बना ले रहे हैं वह बचे रहेंगे। बाकी लोगों का क्या? उनके लिए तो कोई प्रभावी वैक्सीन ही चाहिए।
आरोप 4: वेक्सीन से ही वायरस हमारे शरीर में डाला जाएगा। तब हम सब वाकई में मरेंगे।
खण्डन: चूतियापे की कोई सीमा होती है या नहीं? अभी कोई ढंग की वैक्सीन बनी नहीं और वायरस पड़ गया आपके अंदर। अभी जो संक्रमण फैल रहा है वह क्या लोग झूठ बोल रहे हैं? बिना तकलीफ के डॉक्टरों को फोन किया जा रहा है? या झूठी रिपोर्ट बना रहे हैं हमारे ही रिश्तेदार जो अस्पतालों में कार्य करते हैं? क्या मिलेगा इससे? लॉजिक तो होना चाहिए कुछ?
वैक्सीन या टीका होता क्या है? आपको आधी जानकारी मिली और बन गए चूतिया।
वैक्सीन बनाने में असली वायरस नहीं बल्कि उसका एक कमज़ोर हिस्सा ही दूसरे कमज़ोर वायरस के ऊपर चिपका कर शरीर में डाला जाता है। जो कोई साधारण इम्युनिटी का इंसान भी बर्दाश्त करके उसके प्रति एंटीजेन पैदा कर सके। इसी से जो एंटीजेन बनेंगे उनसे ही वायरस नष्ट हो जायेगा।
ये सच है कि वैक्सीन में वायरस होता है लेकिन कमज़ोर वाला, मोडिफाइड करके बनाया हुआ। असली वाला नहीं।
असली वाला होगा तो क्या कोई वैक्सीन बाजार में आने दी जाएगी? इतना समय लगेगा क्या वायरस को शीशी में भर के देने में? परीक्षण और परिणाम का पूरा हिसाब किताब देना पड़ता है। तब जाकर लाईसेंस मिलता है।
अभी बाबा रामदेव ने बिना सही परीक्षण के एक दवा कोरोना निल का प्रचार किया। क्या उसे कोरोना के इलाज का लाइसेंस मिल गया? जो इम्युनिटी बूस्टर का था, वो भी रद्द हो गया। कोई covid19 मरीज उससे ठीक हुआ ये प्रमाण था ही नहीं।
जो दवा या वैक्सीन मरीज को ठीक करेगी, वही तो आएगी बाजार में? या जो बीमार करेगी उसे लाइसेंस मिलेगा? चूतियापा करना ही बचा है क्या?
कोई पागल ही अपनी कम्पनी बर्बाद करेगा ऐसी हरकत करके और कोई पागल सरकार ही ऐसी कम्पनी को लाइसेंस देकर, अपनी जनता को नुकसान पहुँचा कर, पूरी दुनिया में खुद की थू थू करवाएगी और वोट कटवायेगी। बुद्धि ही नहीं है आप में जो उल्टा सोच रहे। सरकार को फायदा कहाँ हुआ ये सब करके? नुकसान हुआ है।
आरोप 5: पोलियो वैक्सीन से पोलियो संक्रमण के अफ्रीका में कई उदाहरण सामने आए हैं। पोलियो वैक्सीन गलत है तो सब वैक्सीन गलत हैं।
खण्डन: पहली बात कि पोलियो की आउटडेटेड वैक्सीन बाकी वैक्सीन से अलग प्रकार की है। इसमें बाकी वैक्सीनेशन से अलग तरह के परिणाम मिलते रहे हैं और यह अलग-अलग जगह के लोगों की अलग-अलग इम्युनिटी पर अलग-अलग कार्य करती है। अफ्रीका के कुछ स्थानों पर इस VDPV से विशेष तरीके से संक्रमण फैला और यह गलत तरह से प्रचलित बात है कि हर पोलियो वैक्सीन पोलियो कर देती है। ऐसा होता तो वैक्सीनेशन कौन करवाता? जितने लोग पोलियो इम्मयून हुए हैं और जिस तरह से पोलियो पूरी तरह से खत्म हुआ है वह इसकी सफलता का प्रमाण है।
यह कैसे हुआ था और अब क्यों नहीं होता जानने के लिये आपको प्रमाणित जानकारी WHO के लिंक से ही नहीं बल्कि बहुत से अन्य स्रोतों से भी मिल सकती है। ओरल ड्राप की जगह अब पोलियो का इंजेक्शन आ गया है जो ज्यादा सेफ है। टीके से पोलियो के बारे में बढ़ाचढ़ा कर अफवाह बनाया गया। इसके बारे में सही जानकारी इस लिंक में देखिये, कि आखिर पुरानी आउटडेटेड ओरल वैक्सीन क्यों प्रतिबंधित की गई।
https://www.theguardian.com/global-development/2020/sep/02/vaccine-derived-polio-spreads-in-africa-after-defeat-of-wild-virus
एक और बात, हर वैक्सीन अलग है और हर किसी की सफलता का अलग-अलग प्रतिशत में सफल होने का स्केल है। एक की अनजाने में हुई एक विशेष क्षेत्र के लोगों पर विफलता से सब टीकों को विफल समझना चुतियापा है।
आरोप 6: 5G के टॉवर खतरनाक हैं। इनसे इम्युनिटी खत्म होती है। पक्षी रास्ता भटक जाते हैं। बहुत से पक्षी मरे मिले हैं टॉवर के नजदीक। 5G विकिरण बच्चों की इम्युनिटी भी खत्म कर रहा है। इसीलिए साधारण kovid19 वायरस भी नुकसान कर रहा है।
खण्डन: चूतियापा करने में जीनियस हो आप। पहले कहा कि ये कोई बीमारी नहीं है। फिर कहा कि वैक्सीन वायरस डाल देगी। जब ये सब गलत साबित हो गया तो आप कह रहे कि 5G टॉवर ने इम्युनिटी कम कर दी इसलिए कोरोना हो गया। ये बताओ चूतियों, कि कहाँ हैं 5G टॉवर? कितने देश 5G इंटरनेट दे रहे? बहुत कम। और वायरस से लोग कहाँ मर रहे? लगभग सभी देशों में। तो आपकी बात का कोई तुक नहीं बनता।
पक्षियों को कोई तकलीफ है इसका कोई प्रमाण नहीं मिला अभी तक। पक्षी रास्ता भटक रहे तो भटक कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाएंगे। उनका कोई घर तो है नहीं। कहीं भी घोसला बना लेते हैं। इसका पक्षियों के मरने से क्या लेनदेन? उनके भटकने का आपको कैसे पता चला? क्या प्रमाण है?
दूसरी बात, जो पक्षी मरे मिले हैं, वह क्यों मरे हैं? कोई रिपोर्ट है मेडिकली प्रमाणित जो उनके मरने की सही वजह बताये? भारत में जहां कोई टावर नहीं है वहाँ भी पक्षी मरते पाए गए। वहाँ उपल्ब्ध जल जहरीला हो गया ऐसा अनुमान लगाया गया लेकिन असली वजह पता नहीं चली। तो आप अपने मन से 5G पर आरोप लगा दोगे क्या?
5G विकिरण एक सुरक्षित मात्रा में ही छोड़ा जाता है। जैसे बाकी G, 2G, 3G, 4G नेटवर्क करते हैं। इसकी ज़्यादा मात्रा अवश्य नुकसान कर सकती है। जैसा कि प्रोपोगंडा वालों ने करके दिखाया भी है। अथॉरिटी की जांच में सभी टावर लाईसेंस सीमा में विकिरण छोड़ते पाए गए जो कि लगाए गए आरोपों का खण्डन करता है।
किसी भी कार्य को सीमित अवस्था में ही सुरक्षित किया जा सकता है। अति तो हर किसी की बुरी ही होती है। बात को बढ़ा चढ़ा कर बताने से, तोड़मरोड़ के बताने से वह अफवाह बन जाती है। जबकि हम सबको खुद अपनी अक्ल इस्तेमाल करनी चाहिये कि जो तर्क से ही गलत है, वह जांच में भी गलत ही मिलेगा।
आरोप 7: 2017 में ही सभी देशों ने Covid19 टेस्ट किट मंगा कर रख ली थीं। जबकि ये वायरस मिला 2019 में है। इससे साबित होता है कि ये षड्यंत्र है। अमेरिका ने वैक्सीन भी पहले से बना कर रखी हुई है।
खण्डन: https://www.reuters.com/article/uk-factcheck-covid-worldbank-2017-2018-idUSKBN26025U
https://apnews.com/afs:Content:9392311632
https://factcheck.afp.com/photo-shows-covid-19-test-kit-developed-south-korean-company
ये है वो लिंक जिससे ये स्क्रीनशॉट लिया गया है।
https://wits.worldbank.org/trade/comtrade/en/country/ALL/year/2017/tradeflow/Exports/partner/WLDInomen/h5/product/300215
इसको फायरफॉक्स सिक्योर वेब ब्राउज़र में खोलिए। देखिये ये आता है:
अधूरा ज्ञान, बन जाता है अफवाह!
अब जरा सोचो कि ये सब झूठ क्यों फैलाया जा रहा है? अगर हम जो षड्यंत्र बताया गया है, वह सब सच मान लेते हैं तो बताओ, क्या होगा? उसी से निर्णय हो जाएगा कि दरअसल जनसंख्या खत्म करने की साजिश/षड्यंत्र कौन कर रहा है?
अगर हम षड्यंत्र परिकल्पना को सत्य मानें तो हम क्या करेंगे?
1. सुरक्षा को नजरअंदाज करके वायरस को फैलने देंगे। इससे लोग मरेंगे।
2. वैक्सीन का विरोध करने से, जो covid19 से बीमार हैं, वो इलाज उपलब्ध होने के बाद भी संक्रमण से मर जांएगे।
3. 5G सेवा को ठुकरा देंगे और उनको चलाने वाली कम्पनियों की संपत्ति को नुकसान पहुँचा देंगे। जिससे होगा कुछ नहीं। कम्पनी बीमा क्लेम करके वापस टॉवर लगा लेगी। उल्टे इस हरकत से आपको जेल हो जाएगी या लाठीचार्ज में मौत हो सकती है और जुर्माना लगा कर नुकसान की भरपायी बीमा कम्पनी मुकदमा करेगी।
4. हिंसक विरोध करने, आगजनी करने, रास्ता जाम करने आदि से यातायात, पब्लिक प्रोपर्टी, व शांति भंग कानूनों का उल्लंघन होता है। ऐसा होने पर पुलिस आपको रोकेगी और जुर्माना भी वसूलेगी। पुलिस से लड़ने पर, सरकार युद्ध स्तर पर सेना तैनात कर देगी और तब कर्फ़्यू लगेगा। उसका उल्लंघन हुआ तो सब मारे जाओगे।
उपरोक्त सभी परिणाम जनसंख्या कम कर रहे हैं। जबकि जो चल रहा है उस सिस्टम में लोग रिकवर होकर घर वापस जा रहे हैं। उनसे इलाज व भर्ती होने का शुल्क भी नहीं लिया गया। रिकवरी रेट सबसे अधिक हैं, बजाय मौत होने के।
क्या अगर सरकारें लोगों को मारना चाहतीं तो क्या एक भी कोरोना संक्रमित वापस आता लौट कर? रिकवरी से ही, कोरोना (covid19) 100% घातक नहीं है, ऐसा समाचार पहुँचा है लोगों तक। क्या सरकारें ऐसा होने देतीं?
अगर कोरोना को लाइलाज बताया गया था तो क्या कोई भी ज़िंदा वापस आता अस्पताल से? New word order वाले इतने बड़े चूतिये हैं क्या? जो इस वायरस को रिकवर होने वाला बता कर खुद ही इस वायरस को कमज़ोर बता देंगे? रिकवरी तो एक नया तथ्य है जो बाद में सामने आया और सबको बताया गया।
अतः तर्क, सुबूतों और तथ्यों से साबित होता है कि सीक्रेट सोसाइटी द्वारा बेहद तीव्र बुद्धि के लोगों (4%) द्वारा मूर्ख जनता (96%) को मारने के लिए new world order वाकई में लागू किया गया है और वो आर्डर ये षड्यंत्र परिकल्पनाओँ को फैलाने वालों को ही दिया गया है।
इन सभी षड्यंत्र परिकल्पनाओं का प्रचार इस तरह से self defaming के मास्टरमाइंड प्लान से किया जाता है जिससे लोगों को इन पर बिल्कुल भी शक नहीं होता है और ये खुद पर ही आरोप लगवा कर अपना काम कर जाती हैं। काम होना चाहिए, नाम नहीं। यही सभी सीक्रेट सोसाइटी की नीति होती है।
लेकिन कुछ ही बुद्धिमान जानते हैं, कि अगर कोई सोसाइटी वाकई में सीक्रेट होती तो हम आज उसकी बात नहीं कर पा रहे होते। सीक्रेट तो वही है जिसका किसी को नहीं पता।
दरअसल कोई सीक्रेट सीक्रेट सोसाइटी कभी भी सीक्रेट नहीं थीं। इन सबकी डिटेल आपको विकिपीडिया और इंटरनेट पर मिल जाएगी।
बस इनको सीक्रेट बोला गया ताकि आपको लगे कि वो पूंजीवादियों (elites) का संगठन है। जबकि उसके पूंजीपति सदस्य तो dummy सदस्य हैं। जिनको पैसा देकर कुछ काम करवाने हेतु रखा गया है। अन्यथा इनके नाम सार्वजनिक नहीं हो सकते थे।
सवाल उठता है कि फिर वो कौन लोग हैं जो जनसंख्या को कम करना चाहते हैं? उन्होंने चीन को पैसा क्यों दिया कि वो बायो वेपन बनाये और USA समेत समस्त देशों से पंगा ले? सबसे अधिक जनसंख्या विश्व में, चीन की है। उस ने ही सबसे पहले अपने देश में 1 बच्चा कानून लागू किया था। दस्तावेज बताते हैं कि चीन को antinatalist countries में पहले स्थान पर रखा गया है।
दरअसल, हर अच्छी विचारधारा का एक एक्सट्रीम वर्जन होता है। जिसे इंग्लिश में रेडिकल शब्द से सम्बोधित किया जाता है। यही वर्जन हर विचारधारा को बुरा बना देता है। इस वर्जन को बहुत जल्दी मची होती है, अपनी विचारधारा को लोगों पर थोपने की।
उसका एक जायज कारण भी है क्योंकि कुछ विचारधाराएं समय आधारित होती हैं। जिनका अगर समय रहते पालन नहीं हुआ तो सबकी जान को खतरा हो जाता है।
जैसे Veganism और Antinatalism दो ज़रूरी विचारधारायें हैं और अगर समय रहते लोग इनको नहीं अपनाते तो पूरी पृथ्वी से जीवन नष्ट हो जाएगा।
इसके अतिरिक्त नास्तिकता और धर्ममुक्त विचारधारा मानवों और बलि योग्य पशुओं की होती हत्या और सामाजिक वैज्ञानिकता के लिये एक जल्दी अपनाने योग्य विचारधारायें हैं।
इसके अतिरिक्त साम्यवाद/समाजवाद भी एक रेडिकल विचारधारा है। फेमिनिस्म भी इसी समयसीमा के चलते रेडिकल वर्जन में दिखता है। इसमें हिंसक रूप अपनाया जाता है। जो कि जबरन थोपने जैसा मामला होता है। जो लोग थोपी हुई विचारधारा को सही होने पर भी नहीं अपनाते, ये उसके प्रति हिंसक हो उठते हैं।
मैं भी इन सब विचारधाराओं के नॉर्मल वर्जन को जानने वाला व अपनाया हुआ व्यक्ति हूँ। मैं भी कभी-कभी रैडिकल होने को हतोत्साहित होने पर सही ठहराया करता था। लेकिन लोगों को धोखा देकर मारने का प्लान मुझे उचित नहीं लगा।
ये सभी षडयंत्र परिकल्पनाओं को प्रचारित करने वाले लोग रेडिकल हैं। और वे जल्द ही पृथ्वी से 50% मानव आबादी समाप्त कर देना चाहते हैं। हम उनके द्वारा लिखी गई किताबें और कॉमिक्स पढ़ते हैं। फिल्में देखते हैं। जैसे Inferno, frozen, Thanos named corrector based avangers movie series etc, Batman series etc.
ये फिल्में बनाने का पैसा कहां से आता है? कहानी लिखने और उसे विलेन दर्शा कर भी मकसद उल्टा ही क्यों दिखता है? क्यों विलेन ज्यादा प्रसिद्ध हो रहा है? सही बात निगेटिव भी दिखाई जाए, रेडिकल भी दिखाई जाए, समझदार लोग उसको समझते हैं। ये समझदार लोग ही अमीर हैं और ये ही new world order को पैसा दे रहे हैं।
ये ही रेडिकल आंदोलन को फंडिंग करते हैं। अन्यथा आज के ज़माने में लोग खुद अपने मन से कभी सड़कों पर हिंसा या विरोध प्रदर्शन नहीं करते। इसका आयोजन होता है। कोई न कोई इस पूरे ऑपरेशन को फंडिंग करता है।
जनता को जनता से ही लड़वा कर मार दिया जाए तो कैसा रहेगा? आरोप सरकारों पर लगा दिया जाएगा। जिससे इन elite वर्ग वालों को कोई मतलब ही नहीं। सरकार बर्बाद होगी तो इनको टैक्स नहीं देना पड़ेगा। चित भी अपनी और पट भी। सीक्रेट सोसायटी सरकार से मिली हुई लगती है। लेकिन है उसकी दुश्मन। सरकार और जनता को लड़वाओ। सीक्रेट सोसायटी का क्या बिगड़ जाएगा? वो तो कहीं है ही नहीं। वो बस हवा में है। ताकि आप हवा में तीर चलाते रहें।
एक फ़िल्म है, sorry to bother you. इस अजीबोगरीब फ़िल्म को देखिए और अंत में क्रेडिट स्क्रीन पर इसे बनाने वाली कम्पनी का नाम देखिये। फ़िल्म में उसी कम्पनी के नाम को षड्यंत्र कारक कम्पनी बताया गया है।
यह कम्पनी एक ड्रग देकर इंसान को पशुमानव बना देती है और उनसे कई इंसानो के बराबर काम करवाती है। वो सभी फ्री भोजन व आवास के अनुबन्ध के तहत कैद में रहते हैं। उनका राज़ नहीं खुलता जब तक एक अनहोनी नहीं घट जाती।
उस कम्पनी को ही विलेन बनाया है और उसी नाम की रजिस्टर्ड कम्पनी ने फ़िल्म को बनाया है। ऐसी ही है सीक्रेट सोसायटी। अपनी बदनामी खुद करने वाली। ताकि धोखे से मारा जा सके। विलेन ही है हीरो। हीरो ही है विलेन।
मैं यह सब कैसे जानता हूँ? क्योंकि मैं हूँ the secret society का एक पूर्व ऑनलाइन सदस्य। कभी मैं भी उनको सही मानता था। लेकिन झूठ बोलना मुझे पसन्द नहीं था। धोखा देना पसन्द नहीं आया।
सीक्रेट सोसाइटी जॉइन कैसे करी? यह बताना उचित नहीं लेकिन हिंट तो दे ही सकता हूँ। डार्क वेब और डेडिकेशन। ये दोनों मुझे बड़े ही नाटकीय ढंग से उन तक ले गए। इतना काफी है आपके लिए।
बाकी, ये सब बोल के मैंने अपने लिए खतरे की हदें पार कर दी हैं। लेकिन अगर सीक्रेट सोसायटी मुझे नुकसान पहुँचाती है तो वह एक्सपोज हो जाएगी और मेरी इस सारी बातचीत पर सच्चाई की मुहर लगा देगी।
Disclaimer: जबकि बिना प्रमाण के मैं कह सकता हूँ कि ये सब फिक्शन है। इसका सत्य से कोई लेनदेन नहीं है। ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं और कुछ भी नहीं। 😊 ~ Vn. Shubhanshu Singh Chauhan 2020©
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