रूढ़िवादी विवाहसंस्थावादी लड़की: तुम विवाह नहीं करना चाहते हो, समलैंगिक भी नहीं, एक लड़की के साथ ही बंधन नहीं चाहते और हर लड़की की तरफ आकर्षित भी नहीं होते। जेब में राखियां रखे घूमते हो जबकि रक्षाबंधन को मानते ही नहीं।
तुम रिश्ते नहीं मानते लेकिन जो लड़की भाई बोल दे, तुम उससे राखी बंधवा लेते हो और वो लड़की कितनी भी आकर्षक क्यों न हो, तुम उसकी तरफ कभी आकर्षण की नज़र से नहीं देखते। ये तो बहुत बड़ी बात है, ऐसा तो कोई विवाहवादी, भाई/बहन वादी भी नहीं करता।
खुद को पोलिगेमस/poliamorous बोलते हो और कभी लड़कियों से फ्लर्ट तक नहीं करते? एक लड़की ने तुमको दिल से चाहा और तुम उसी के साथ 12 साल से जुड़े हुए हो। कभी किसी दूसरी लड़की की तलाश ही नहीं करने निकले?
महिलाओं के अधिकारों के लिये जान लगा के लड़ जाते हो और पुरुषों को भी किसी लड़की के जुल्म का शिकार नहीं बनने देते हो। तुम खुद को बुरा दिखाते हो, लेकिन हो नहीं। ये सब है क्या यार?
शुभ: मैं ऐसा ही हूँ। अच्छा हूँ या बुरा हूँ? ये आप लोग तय करते हो। मैं वही करता हूँ, जो मुझे सही लगता है। अगर कोई लड़की मुझे भाई बोलती है तो ये उसकी सोच है कि उसे मुझमें कोई यौन आकर्षण नहीं है। जिसको मुझमें रुचि नहीं, मुझे उसमें रुचि हो ही नहीं सकती। होती तो मैं वाकई बुरा महसूस करता। अब वह जो कह रही उसमें सीरियस है या नहीं ये देखने के लिये मैं राखी बंधवा लेता हूँ। मुझे दोगले और झूठे लोग पसन्द नहीं।
मैं लड़कियों से फ्लर्ट इसलिये नहीं करता क्योकि महिला समाज पहले से ही डरा हुआ है, ऐसे लोगों से, जो उनको वस्तु समझ कर उनका इस्तेमाल करते हैं और फिर तोड़ के फेंक देते हैं। उनको इन्सान ही नही समझते। मैं उन लडकों को इंसान ही नहीं समझता। इसलिये मैं चाहता हूँ कि मैं अगर मैं किसी लडक़ी के लायक हूँ तो वह खुद मेरी ओर आकर्षित होगी और फ्लर्ट करेगी। इसके बाद मैं उसकी अच्छाई और बुराई को देखूंगा।
अब समाज के कहने पर चलने वाली लड़कियों को पहल करना मना है और वो चाह कर भी ऐसा नहीं करती तो अब इस कारण से ज्यादातर लड़की न मुझसे फ्लर्ट करती है और न ही मैं किसी का इंतजार करता हूँ।
इसीलिए भीड़ में भी अकेला दिखता हूँ। संयोग से प्रायः जो पहल करती हैं, पीछे भी पड़ जाती हैं, उनका न तो मुझे तन पसन्द आया और न ही मन। मतलब ऐसी ही लड़कियों को पहल करने की हिम्मत आती है जो या तो लड़कों को वस्तु की नज़र से देखती हैं या इतनी ज्यादा अनदेखी की जाती हैं कि उनको किसी भी तरह से मैं मिल जाउँ तो उनकी लाटरी लग जाये। जबकि मेरी भी अपनी कोई पसन्द है।
मैं दोस्ती करता हूँ और सदा के लिए करता हूँ। इतनी आसानी से चुनाव नहीं कर सकता। मुझे भी उसमें रुचि होनी चाहिये। उसके साथ अच्छा लगना चाहिये। हां अगर प्यार सच्चा है और अगला खुद से ज्यादा प्रेम करता है तो ठुकरा कर उसकी हत्या भी नहीं कर सकता क्योंकि अगर मैं उसे न मिला तो वह मर जाएगी। कल को हो सकता है मुझ से बोर होकर खुद ही प्रेम कम हो जाये? तब तक स्वागत है। बाकी लोग जो एक के साथ ही रहने की ज़िद करते हैं, वो हत्यारे और बहुत कठोर दिल तोड़ने वाले लोग हैं। जिनको पता ही नहीं कि नर मादा में आकर्षण स्वाभाविक है और इसको रोका नहीं जा सकता। रोकने के लिए खुद को कष्ट देना भी अत्याचार है। रोज़ खबरें मिलती हैं कि रिजेक्ट होकर प्रेमी या प्रेमिका ने आत्महत्या कर ली। अच्छे इंसान वास्तविक कारणों से हुए प्रेम को ठुकरा कर, आत्महत्या करने पर किसी को मजबूर नहीं कर सकते।
मुझे प्यार जताने में विश्वास नहीं है क्योंकि प्यार महसूस करने की विषयवस्तु हैं। अगर महसूस नहीं होता, तो प्यार नहीं है। जताने की धोखेबाजी से मुझे नफरत है। इसी लिये मेरी बेस्ट फ्रेंड को फ़िल्म के हीरो की तरह नाचने वाला, गुलाब देने वाला, गिफ्ट-चाकलेट देने वाला, घुमाने फिराने वाला, बेकार की झूठी तारीफ करने वाला लड़का मेरे अंदर नहीं मिलता जबकि उसे इसी की आशा थी।
वह अभी भी मुझे समझ रही है और इसीलिए हमारे बीच बहुत बड़े बड़े झगड़े भी होते हैं। लेकिन कभी किसी को बीच-बचाव नहीं करना पड़ा और न ही कभी हमने कोई नफरत से एक दूसरे पर हमला किया। समझाने के, और बात न सुनने के लिए मैं गुस्सा हो जाता हूँ जो कि कोई भी हो सकता है।
हमारा झगड़ा कितना भी बड़ा हो, हम फिर वापस मिल जाते हैं। मैं गलती नही होने पर भी ego पीछे रख के माफी मांग लेता हूँ और वो गलत होकर भी बेशर्मी से माफ कर देती है। 🤣 कभी कभार वो भी माफी मांग लेती है और तब मुझे उससे प्यार और बढ़ जाता है। इंसान सही होना चाहिए। और मैं खुद सही बने रहने के लिए हर सम्भव प्रयास करता हूँ।
मुझे कोई लड़की सुंदर या सेक्सी लगती है तो उसके प्रति मेरे विचार अपनी फ्रेंड को तुंरत बता देता हूँ। उसे ईर्ष्या तो बहुत होती है लेकिन वो समझने लगी है कि शुभ झूठ नहीं बोलता। वो बहुत बार मुझे किसी बात पर गुस्सा होकर छोड़ देना चाहता है लेकिन उसे मेरे से बेहतर छोड़ो, मेरे आस पास जैसा भी कोई नहीं मिलता। तो वापस मेरे ही पास आना पड़ता है।
मेरी दोस्त को अच्छी तरह पता है कि अगर कोई सच्ची प्यार करने वाली 1 या एक से अधिक अनगिनत लड़कियां मेरे साथ live in में रहना चाहेंगी तो शुभ उनको मना नहीं करेगा। उनका दिल नहीं तोड़ेगा। लेकिन उसे ये भी पता है कि शुभ उसे भी कभी नहीं छोड़ेगा।
हाँ, अगर मेरी दोस्त किसी और लड़के से भी प्रेम करती हो तो मुझे भी कोई समस्या नहीं होगी। बस बुरा लगेगा जो उसे भी लगता है। उसे बुरा इसलिये लगता है क्योंकि उसे विवाहवादी लोगों ने कह रखा है कि लड़के दूसरी मिलते ही पहली छोड़ देते हैं। जबकि मुझे बुरा इसलिये लगता है क्योंकि मैं तो खुद को जानता हूँ लेकिन मेरी दोस्त का कोई दिल तोड़े, ये मुझे पसन्द नहीं। साथ ही कहीं वो दोस्ती तोड़ गई तो? वो मेरी तरह नहीं है न। 😜
क्योंकि मैं इंसान से दोस्ती करता हूँ, उसके बदन से नहीं। बदन तो बुढापे, दुर्घटनाओं में बदसूरत हो सकता है लेकिन दोस्ती सदा खूबसूरत रहती है।
ये बात मेरे सभी गिनती के दोस्त जानते हैं। मेरे उंगलियों पर गिने जाने जितने दोस्त जब से मिले थे तब से मेरे दोस्त हैं। हमारे बीच न जाने कितने झगड़े हुए लेकिन कभी कोई झगड़ा स्थाई नहीं रहा। अब पता नहीं वो लोग अच्छे मिले मुझे या वो मुझे कभी खोना नहीं चाहते? ऐसा इसलिये लगा क्योंकि मैं तो कभी उनको याद ही नहीं करता। वो ही याद करते रहते हैं। 🤣 वो तो चेक करते रहते हैं कि मैं कहीं मर तो न गया? 🤣 सुना है, अच्छे लोग जल्दी मर जाते हैं। 😜
मेरा खुद से वादा है कि मैं अच्छा इंसान रहूँगा और यक़ीनन अच्छे इंसान बहुत कम हैं। अब चाहें कोई मुझे प्यार करे या न करे। मैं चैन की नींद सोता हूँ और खुद पर गर्व करता हूँ कि कभी कमज़ोर नहीं पड़ा गलत के आगे।
हाँ ऐसा ही हूँ मैं। घमंड समझो या स्वाभिमान। कुछ हो जाये, मैं वही करूँगा जो मुझे सही लगेगा। और मुझे सही वही लगता है जो वास्तव में सही है।
लोग कहते हैं जीवन का मजा ही नहीं लिया मैंने। मैं कहता हूँ कि मुझे किसी का दिल दुखा कर नींद नहीं आती तो मजा कैसा? जो मजा अच्छा और सही होकर आता है वो झूठ के क्षणिक सुख में नहीं। कोई कहता है कि कौन सिखाता है तुमको ये सब? कैसे तुम इतने मजबूत हो सकते हो? कौन है गुरु तुम्हारा?
और मैं हँस कर सिर्फ इतना ही कहता हूँ, पता है? मैं दूसरे के साथ वही व्यवहार करता हूँ जो अपने साथ चाहता हूँ। ~ Shubhanshu धर्ममुक्त 2020© Where Justice, Truth, Trust, Honesty, Loyalty, Respect and Personal Values matters but not Religion, Social Norms, and Possessiveness. हाँ जी, कड़वा हूँ, पर दवा के जैसा। थूकोगे तो बीमारी से मरोगे। बीमार तो हर कोई है। किसी न किसी की नज़र में। आपकी नजर में मैं भी बीमार हो सकता हूँ। आपकी दवा का भी स्वागत रहेगा।
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