मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह जफर द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ने में असमर्थ थी। अतः उसने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी का मान रखा और मेवाड़ पहुँच कर बहादुर शाह के विरुद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की।
राखी का त्योहार कब शुरू हुआ, यह कोई नहीं जानता।
ऐसा माना जाता है कि राखी कमज़ोरों की, ताकतवर द्वारा रक्षा करने के वचन का सुबूत होता है। जैसे प्राचीन काल में राजा रास्ते में किसी व्यक्ति से प्रसन्न होते थे तो अपनी अंगूठी (मुद्रिका) देकर राजदरबार में बुलाते थे ताकि पहचान सकें और साथ ही उसे कोई भी न रोके।
भाई द्वारा बहन से राखी बंधवाना बहन को कमज़ोर बताना होता है। पुरुष प्रधान समाज कहीं भी स्त्री को नीचा दिखाना नहीं छोड़ता। क्या ऐसा हो सकता है कि परिवार का कोई सदस्य मुसीबत के समय परिवार को छोड़ के भाग जाए? क्या सिर्फ बहन की ही रक्षा करनी चाहिए? छोटे भाई या बूढ़े माँ बाप की नहीं?
आजकल रक्षाबंधन महिलाओं को कमज़ोर बने रहने की प्रेरणा देता है। उन्हें यह झूठा दिलासा देता है कि राखी बांधते ही भाई शक्तिमान बन कर कहीं भी आकर, उसे हर बला से बचा लेगा। कमाल तो यह है कि राखी की एक्सपायरी डेट भी होती है। हर साल राखी रिन्यू करवानी होगी अन्यथा भाई की नीयत अपनी बहन पर भी खराब हो सकती है। 🤣
विवाह के बाद भी ये त्योहार बदस्तूर जारी रहता है। क्या विवाह के बाद भी भाई, बहन के साथ रहता है? क्या वह उसकी ससुराल में आकर उसे बचा सकेगा? तब तो बहन का विवाह ही नहीं करना चाहिये क्योंकि सबसे अधिक खतरा तो उसे अपने पति और ससुराल से ही होता है।
फिर भी यदि करते हैं, तब जो साथ रहता है उसे ही रक्षा के लिए राखी बाँधना उचित होगा। अतः विवाह के बाद अपने पति को ही राखी बांधनी चाहिये।
क्या ये त्यौहार बन्द करके स्त्रियों को आत्मरक्षा के उपाय जैसे मार्शल आर्ट, जूडो कराटे, टाइकण्डो आदि नहीं सिखाने चाहिये? ताकि महिलाएं पुरुषों पर निर्भर न रह कर कभी अपने साथ-साथ कमज़ोर पुरुषों की भी मदद कर सकें?
बहनो को यह सोचने का मौका ही नहीं दिया जाता। भाई सरकारी नोट देकर उनका मुहँ जो बन्द कर देता है। पैसों के लालच में बहने राखी के त्यौहार को मनाती रहती हैं। उन्हें लगता है कि आज उन्होंने भाई को अपना नौकर बना लिया और फीस भी उसी से ली।
जब भाई राखी नहीं बंधवाता तो लोग समझते हैं कि या तो भाई अपनी बहन का बलात्कार करना चाहता है या रक्षा करने में उसकी फटती है। लेकिन क्या एक धागा जो सिर्फ हिंदुओ में बांधा जाता है, भाई-बहन के रिश्ते की गारंटी है? क्या दूसरे धर्मों में भाई-बहन नहीं होते? उनको तो ऐसे प्रमाणों की आवश्यकता नहीं होती।
यदि भाई-बहन होने का प्रमाणपत्र राखी है, तो क्या बाकी धर्मों के भाई, बहन*द हैं? क्या ये उन सबका अपमान नहीं है? इस तरह खुद के धर्म को हर साल सर्टिफिकेट देकर क्या हिंदू खुद को सबसे ऊंचा बताते हैं? याद रखिये, सफाई वही देता है जिसकी दाढ़ी में तिनका होता है। 🤣 प्रत्यक्ष को प्रमाण नहीं चाहिए।
यदि वाकई लड़कियों को शक्तिशाली बनाना है तो सर्वप्रथम ये घटिया त्यौहार रक्षाबंधन मनाना बन्द करना ही होगा। ~ Shubhanshu धर्ममुक्त 2020©
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