सबसे पहले हमको बड़े छोटे का भेद खत्म करके गलत और सही में भेद करना सीखना होगा। जिस तरह से सोशल मीडिया पर आप लोग उम्र नहीं बल्कि विचार देखते हो, वैसे ही अपने घर में भी आपको अपनी जगह बनानी होगी।
मातापिता यदि गलत हैं तो उनको गलत कहना होगा। उनको गलत क्या है? ये समझ कर, समझाना होगा। नहीं समझते, तो आपको अपना असहयोग आंदोलन चलाने का अधिकार है।
माता पिता आपसे प्रेम करते होंगे तो सही बात को मान्यता देंगे और नहीं करते प्रेम तो फिर आपको गुलाम बनाया गया है। गुलामी से निकलो, कोई एहसान नहीं होता गुलामी में।
छोड़ो उन आततायी लोगों को। अपना जीवन अपने हाथ में रखिये। किसी तरह से अपनी पकड़ बनाइये, अपने पैर जमाइए और छोड़ दीजिए गुलामी का कैदखाना।
याद रखिये, गुलामी के 100 साल भी मरे के समान हैं। और आज़ादी का एक दिन भी 100 साल के बराबर सुख से भरा होता है। ~ Dharmamukt Shubhanshu 2020©
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