Zahar Bujha Satya

Zahar Bujha Satya
If you have Steel Ears, You are Welcome!

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Experienced Advice: Don't bother negative people, make yourself an example.



अनुभवी सलाह: यदि कोई आपकी विचारधारा (veganism, atheism, antinatalism, nonconformist, polygamous etc.) के खिलाफ लिखता है तो लिखने दीजिये। उसकी पोस्ट पर हमला मत बोलिये।

वे दरअसल ऐसे लोगों को ही ढूढ़ रहे हैं जिनकी भावना आहत होती है। वे जानबूझकर आपको तड़पाते हैं अन्यथा वे खुद खोजबीन करते न कि विरोध। ये जाल है, चाल है आपको demotivate करने की।

अनदेखा करो, खुद उंगली करे, न सहन हों उसकी पोस्ट तो block मारो, आगे बढ़ो। जबरन मत पेलो किसी को। थोपने से कुछ नहीं बदलेगा। अपना काम करते रहें। कमेंट बाजी, बहस से बचें। ज्यादा से ज्यादा पोस्ट करें। उनके लिंक दे दें अगर कोई कुतर्क आपको लगे कि आप काट सकते हैं। उसके बाद निकल आइये।

कोई भी बहस शुरू हो, दूर रहिये। घमंड नहीं करना है। समय आने पर सब ठीक होगा। जल्दी नहीं होगा कुछ। बन रहा कार्य भी बिगड़ जाएगा।

मैंने पूछा कई लोगों से कि अगर कोई उनको कोई आदत बदलने को कहे तो आप क्या करोगे?

सबने यही कहा, "और ज्यादा वही काम करूँगा। भो*ड़ी वाले की हिम्मत कैसे हुई मुझे आदेश देने की? उसकी मर्जी से चलूँगा? मेरा बाप बनेगा? या माँ?"

फिर क्या किया जाए कि लोग सीरियस लें अच्छाई को? उपाय यही मिला कि आप खुद को सख्ती से बदलिये। कोई भी ढील नहीं।

उदाहरण बनिये। उनके बीच रहिये और अपना व्यवहार उनके आड़े आने दीजिये। यदि आप उनको बेकार के व्यक्ति लगे, तो वे निकल लेंगे या आप उनके काम के हुए तो आपको ही अपनी तरह बदलने लगेंगे और तभी आप शुरू हो जाना, सत्य व तर्क के साथ। वह सही समय होगा समझाने का। वे सुनें या न सुनें। उनका व्यवहार उन्हीं पर आजमाएं अगली बार।

तब उनको समझ आ जायेगा कि डबल स्टैंडर्ड नहीं चलेंगे। "तुम करो तो रास लीला, हम करें तो करेक्टर ढीला।" तब तक चुप चाप अपने आप को उदाहरण बनाइये। यही तरीका है बदलाव का। सीखने वाले खुद सीखते हैं। जबरन किसी को सिखाकर कभी थॉमस एडिसन या आइंस्टीन नहीं बनाया जा सकता। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©

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