मैंने दूसरों से अलग सोचा और सारे जहाँ के ख़िलाफ़ होना पसंद किया। मालूम है कि मार दिया जाऊंगा। आज़ादी के चार पल भी बहुत हैं। कायरों की तरह 100 साल जीने का लाभ भी क्या है? 😌
मरो तो अपनी चुनी हुई मौत मरो। कम जियो लेकिन जियो अच्छा उदाहरण बन कर। हम तो सिर पे कफ़न बांध कर ही निकले थे अपने दर से। तूने मारा भी तो क्या नया किया? 😒
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है ज़ोर कितना बाजू ए कातिल में है? ✊
लोग किसी एक धर्म से पंगा लेते हैं और मारे जाते हैं। मैंने तो सबसे ले लिया। मुझे तो सब मिल के मारेंगे। 🤗
अच्छा है न, मैं अकेला, निहत्था कलमबद्ध 🖋️ लेखक और वो सब धारदार 🔪 या आग्नेयास्त्र ⚔️🚀 सहित हथियार बन्द, समूह में। क्या खूब युद्ध होगा और क्या खूब खून बहेगा। 😍
खून भी उसी का बहता है जिसकी रगों में खून होता है। पानी बन चुके खून वालों से ये लड़ाई भी मंजूर है। 🖋️
मेरे दोस्तों, कभी अचानक मैं गायब हो जाउँ तो दुःखी मत होना। मैं तो बस एक माचिस की तीली बन के आया था। जिसने दीपक जला 🔥 दिए।
अब आपकी ज्योति ही दूसरे दीपक तक पहुँचे। इसी कामना के साथ आपके साथ बना हुआ हूँ।
मित्र कृपया बुरा न मानें, क्या पता फिर कभी ये लिख पाऊं या नहीं, इसलिये अभी लिख दिया। इसे नकारात्मक विचार न समझें। ये तो होना ही है और मैं इसके लिए तैयार हूँ। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020© 🇮🇳
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