नाम में परिवर्तन करवाने में बहुत खर्च और बवाल होता है। कभी करवा कर देखिये। नाम बदलना कोई आसान कार्य नहीं होता। आपके नाम के 3 हिस्से मांगे जाते हैं पासपोर्ट में। प्रथम, मध्य और अंतिम।
(ये हिस्से कुछ देश जैसे इंडोनेशिया, और तमिल लोगों मे ही अनुपस्थित हैं।)
जो नाम सब जगह जा चुका उसे अब हटाना सम्भव नहीं है। कम से कम आसान तो बिल्कुल नहीं। नाम में परिवार नाम (अंतिम नाम) लगाना कोई ज़रूरी नहीं है लेकिन सम्पूर्ण विश्व में यही प्रचलन है। इसलिये अब ज़रूरी लगता है।
हम लोग थॉमस एडिसन के परिवार नाम को ही जानते हैं। हम अल्बर्ट आइंस्टीन के परिवार नाम से ही उनको जानते हैं। भीम राव राम जी, मोहनदास, जवाहर, लालबहादुर, एडोल्फ, ओसामा बिन, बराक, डोनाल्ड आदि को हम क्रमशः अंबेडकर, गाँधी, नेहरू, शास्त्री, हिटलर, लादेन, ओबामा, ट्रम्प कह कर ही पुकारते हैं। ये सिस्टम संपूर्ण विश्व में मानक है। नाम में जाति खोजने वाले विद्वान, इन विदेशी महामानवों व खलनायकों में जाति खोज कर बता दीजिए।
इसे खत्म करना हम चंद लोगों के वश की बात भी नहीं। परिवार नाम हटाने में भागदौड़, भारी खर्चा और टेंशन होती है। हटने के बाद भी उसकी जगह कोई और शब्द रखना ही पड़ेगा, जिसे सारी दुनिया आपका परिवार नाम समझेगी। अब मैं परिवार नाम को हटा कर उसकी जगह भिखारी रख लूं तो पुरी दुनिया में मुझे और मेरे परिवार को भिखारी कह कर बुलाया जाएगा। पासपोर्ट सबसे पहले परिवार नाम लिखता है जो कि इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड के तहत है। एयरपोर्ट पर आपको जब बुलाया जाता है तो आपका परिवार नाम ही सबसे पहले पुकारा जाता हैं जैसे "भिखारी शुभांशु जी आपकी फ्लाइट टेकऑफ होने जा रही है कृपया अपनी सीट पर जाइये।"
अब अपना मजाक बनाना है तो उलजुलूल नाम रख लीजिए। या फिर इसमें भी आपको श्रेष्ठता ही चुननी है जैसे बढ़िया नाम रखना है परिवार नाम की जगह तो फिर पहले वाला नाम भी क्या बुरा था? पूरी दुनिया के सिस्टम को बदलना आपके वश में नहीं है। अंतिम नाम के न होने से कोई फॉर्म रिजेक्ट हो जाये, पासपोर्ट न बनें, हम समस्या में पड़ जाएं तो कोई मदद करने नहीं आएगा। नाम हटाना बहुत कठिन कार्य है और किस लिए हम ये करें? इसका जवाब नहीं आता है तो अब हटाना भी ज़रूरी नहीं है। यही हम भी कह सकते हैं।
बल्कि जो लोग परिवार नाम में जाति खोज रहे हैं उन जातिवादियों से दूरी बनाना उचित रहेगा। मेरा तर्क देखने के बाद भी कोई नाम बदलवाने का कष्ट करता है तो करे। हमको कोई समस्या नहीं है लेकिन न तो मेरे पास फालतू पैसा है और न ही दौड़भाग करके चुतियापन्ति करने की ठरक।
जाति-वर्ण, जाति के प्रति नफरत या घमण्ड, दिमाग में होता है और जाति सर्टिफिकेट में। नाम तो आप चना ज़ोर गर्म भी रख सकते हैं। उससे भी कोई दिक्कत नहीं होगी। अंतिम-मध्य व प्रथम इसमें तीनो हैं। 🙏🤗😌 ~ Shubhanshu Dharmamukt जातिमुक्त! 2020©
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