दोस्तों अगर आप ईश्वर नहीं त्याग पा रहे तो कम से कम ये दंगे की जड़ धर्म/सम्प्रदाय/मजहब/रिलिजन को तो लात मारो।
एक देश में सबको रहना है। अलग सोच के चलते एक दूसरे को मारोगे काटोगे तो कैसे चलेगा? पहले यहूदियों/ईसाइयों ने आपको आपस में लड़वाया फिर ये नेता आ गए। आपकी कमज़ोरी ये धर्म/सम्प्रदाय/मजहब/रिलिजन का प्रचार प्रसार ही तो है।
ये सड़को पर ज़मीन चुरा कर दान पेटी लगा कर हर धर्मस्थल चंदा लपेट रहा है और चढ़ावा मांग रहा है, ये ईश्वर के किस काम का? ये तो कुछ लोग हराम खोरी कर रहे हैं।
जब lockdown लगा तो ये सब भूखे मरने लगे। सोचो क्यों? क्योंकि आप सब ने इनको अपनी कमाई मुफ्त में बांटी है। ये तो धर्मस्थलों में ही रहते हैं तो भी ईश्वर इनकी भुखमरी नहीं मिटा सका। ये सरकार से राहत मांगने लगे।
तो बताओ आपका ये ढोंग केवल ठलुओ को पैदा करता है, करता है दंगे और धन की बर्बादी। जान-माल का नुकसान।
और आपका ईश्वर लापता गंज में बैठा तमाशा देखता है। सोच बदलो। देश बदलो। ~ Dharmamukt Shubhanshu 2020© धर्ममुक्त सत्यमेव जयते! 👍
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