कुछ लोग बोलते हैं कि "वो तुमको फलां में उलझाएंगे, तुम फलाँ पर डटे रहना।" इस पर मेरा कहना है कि मैंने पिछले दिनों, सरकार के बनाये कई कानूनों और अव्यवस्थाओं पर पोस्ट किए।
जैसे,
● स्पेशल विवाह कानून के फार्म में धर्म को पूछना व निषिद्ध सम्बन्धों में विवाह न होना लेकिन धर्म या रिवाज इजाजत दे, तो उचित है और पहले से, अनजाने में ऐसा विवाह करने पर सज़ा व जुर्माना क्यों?
● पशुक्रूरता निरोधी कानून में पशुबली व भोजन हेतु पशुहत्या की छूट।
● सरकार व न्यायालय में धर्म से जुड़े सिम्बल और कोट्स आदि।
क्या सरकार को पता चला? क्या सरकार को कोई फर्क पड़ा? सरकार को सोशलमीडिया पर हमारे विरोध या समर्थन से कोई फर्क नहीं पड़ता है। फर्क केवल हमारे दिमाग पर पड़ता है। हम सब थोड़ा और फ्रस्ट्रेशन में चले जाते हैं। वैसे भी हो तो हम से कुछ पाना नहीं है।
● RTI डालने में जान से जाने का डर बोल के फट जाती है।
● पुलिस थाने में कम्प्लेंट करने में हमारी फट जाती है क्योंकि गलती तो हमारी भी होती है।
● करने भी जाओ तो अपराधियों का दलाल दरोगा रिपोर्ट दर्ज नहीं करता और हम भाग आते हैं।
● फिर तो हम कतई SSP से शिकायत करने नहीं जाते, क्योंकि हमारी दरोगा से भी फटती है। कहीं झूठे केस में अंदर न कर दे।
● मानवाधिकार आयोग की जानकारी है भी तो कौन जाए केस करने? कहीं हमारी सड़क दुर्घटना में मौत न हो जाये।
● कौन जाए वकील करने? पैसा लगेगा। बहुजन को फ्री में वकील विधिक समिति से उपलब्ध है, लेकिन फ्री वाले पर भरोसा नहीं है।
● फ्री के इलाज से भी डर लगता है। इसलिए जिला अस्पताल नहीं जाएंगे। महंगा इलाज करवा के निजी अस्पताल ने किडनी निकाल ली, लाखों का बिल बना दिया, गलत रिपोर्ट बना दी, मार डाला और अब लाश नहीं दे रहे बिल भरे बिना।
● सरकारी कोई सुविधा नहीं चाहिए। तुम रखो अपनी सब्सिडी, हम ब्लैक में लेंगे।
● सरकारी स्कूल में पढ़ा कर क्या बच्चों को भीख मंगवाई जाएगी? उसमें तो मजबूर पढ़ते हैं। हमारे बच्चे बिगड़ जाएंगे। हम तो कॉन्वेंट में डालेंगे।
● जेनरिक दवा नहीं लेंगे। क्योंकि वो सरकारी है। 100₹ की दवा 1₹ में कैसे मिल रही है? नकली होगी।
● डीलक्स निरोध कंडोम सिर्फ 1₹ और बाकी कंडोम 10₹ से शुरू। ज़रूर घटिया होगा। फट गया तो? हम तो 50₹ वाला लेंगे।
● जिला अस्पताल में डिलीवरी? न जी न, जच्चा बच्चा मरवाना थोड़े ही है। चाहे गुर्दे निकल जाएं, हम तो बड़ा बिल फड़वाने वाले हैं।
तो इस तरह केवल गरीब और मजबूर ही सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा सकता है। जिसके पास विकल्प है वो तो उसे पीठ ही दिखाने वाला है। फिर भी हम सब विकल्प वालों को सोशल मीडिया पर सरकार की बहुत फिक्र है। भले ही पिछली सभी सरकारों ने हमारे लोढ़े लगा रखे हैं। ~ Vegan Shubhanshu Dharmamukt, धर्ममुक्त जयते, सत्यमेव जयते। 2020©