ज़रूरत तो मेरी सबको रही।
क्योंकि मेरी मेहनत का कोई
दाम न था।
जब नहीं हो पाता कोई काम
तभी याद आता सबको एक
ही नाम: "Shubhanshu"
मैं नाराज हो जाता तो मुझे
मनाने भी वही आता,
जिसे फिर कोई काम पड़ जाता।
हर ताले की चाभी जो था मैं।
जीवन मेरे साथ बहुत आसान
जो हो गया था।
हाँ, मुझे चिकनी-चुपड़ी बातें नहीं आतीं।
जबर्दस्ती की इज़्ज़त भी मैं दे नहीं पाता।
खरी-खरी बोल देता हूँ मुहँ पे।
लेकिन खरी-खरी सुन कौन पाता है?
सीधी to the point बात,
करना कौन चाहता है?
फिल्मों का झूठा रोमांस अब,
हर कोई दोहराता है।
I love you बोलने का चलन है,
आंखों में झलकता सच्चा प्यार,
अब नज़र किसे आता है?
न जाने क्या-क्या इशारे
बना लिए हैं लोगों ने?
लोग कहते हैं,
वो तुझे लाइन दे रही,
तू ही समझ नहीं पाता है।
मुझे क्या पता कि लोग
साफ नहीं बोलते।
इशारों में बात समझाते हैं।
होंगे उनके अपने कुछ उसूल,
मुझे तो ऐसे सब लोग
चालबाज नज़र आते हैं।
इशारों का मतलब ही है कि
मन में कोई चोर है।
बात कुछ है लेकिन मतलब,
कुछ और है।
इसीलिए हमने तो इशारे
ही ignore कर दिए।
चोरी से कुछ करने में
मुझे मजा नहीं आता है।
दोस्ती हो तो उसकी expiry date
पहले से न हो कभी।
ऐसी आदर्शवादी बातों से,
घटिया समाज दूर चला जाता है।
इसीलिए मुझे भीड़ में अच्छा
नहीं लगता,
हर चेहरे पर कई चेहरों का,
ढेर नज़र आता है।
सच बोलना, सीधे बोलना,
कौन बर्दाश्त कर पाता है?
अब कोई मेरे जैसा गर
मिल भी जाये,
तो अच्छे होने का दुःख,
वो भी झेल चुका होगा।
वो भी किसी कोने में,
छुपा रहा होगा।
उसे भी तो खुद सा,
मिला कहाँ होगा?
इसीलिए बेहतर है कि,
दूसरों से हर उम्मीद छोड़ दो,
जो भी ज्यादा करीब आये,
उसका तुरन्त हाथ छोड़ दो।
अब और कितनी बार ठगा जाऊंगा?
विश्वास से विश्वास और कितना उठाऊंगा?
अब तो अकेले ही ज्यादा सुकून है।
क्योंकि ईमानदारी मेरा जुनून है।
दोस्ती तो बहुतों से हुई,
लेकिन मैं दोस्त बस नाम का था।
प्यार भी बहुतों को हुआ,
क्योंकि मैं बहुत काम का था।
~ Vegan Shubhanshu Singh Chauhan 2021©
4:34 pm, 2021/09/21
1 टिप्पणी:
बहुत अच्छी और साफ दिल और दिमाग की पेशकश ❤
एक टिप्पणी भेजें