Zahar Bujha Satya

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बुधवार, फ़रवरी 19, 2020

3 कौड़ी का नास्तिक ~ Shubhanshu



विद्वान: ईश्वर सत्य है।

शुभ: ok लेकिन प्रमाण?

विद्वान: प्रमाण नहीं, लेकिन तर्क है कि दुनिया किसने बनाई? हमें किसने बनाया?

शुभ: उद्विकास पढ़ लो। विज्ञान में सबसे पहले इसी का उत्तर दिया गया है। जंतुविज्ञान में जीवन की उत्तपत्ति नाम का पाठ पढ़िये। ये दुनिया संयोगों और दुर्घटनाओं से अपने आप बनी।

आपने जो कहा कि किसी ने बनाया तो फिर आप जिसकी कल्पना करके प्रसन्न हो रहे उसे किसने बनाया और उसे भी किसी ने बनाया तो उसने दुनिया क्यों बनाई? बिना परीक्षण और प्रमाणों के ईश्वर गढ़ कर धंधा करना तो ठीक है लेकिन धंधा है ये न मान कर उसे तर्क और प्रमाण मान लेना मूर्खतापूर्ण है।

वैज्ञानिक विधि ही दरअसल हर समस्या का हल है। इसका इस्तेमाल करके ही आप सत्य का पता प्रमाण के साथ पा सकते हैं।

सत्य को असत्य व भ्रम से अलग करने के लिये अब तक आविष्कृत तरीकों में वैज्ञानिक विधि सर्वश्रेष्ठ है। संक्षेप में वैज्ञानिक विधि निम्न प्रकार से कार्य करती है:

(१) ब्रह्माण्ड के किसी घटक या घटना का निरीक्षण करिए,
(२) एक संभावित परिकल्पना (hypothesis) सुझाइए जो प्राप्त आकडों से मेल खाती हो,
(३) इस परिकल्पना के आधार पर कुछ भविष्यवाणी (prediction) करिये,
(४) अब प्रयोग करके भी देखिये कि उक्त भविष्यवाणियां प्रयोग से प्राप्त आंकडों से सत्य सिद्ध होती हैं या नहीं। यदि आकडे और प्राक्कथन में कुछ असहमति (discrepancy) दिखती है तो परिकल्पना को तदनुसार परिवर्तित करिये,
(५) उपरोक्त चरण (३) व (४) को तब तक दोहराइये जब तक सिद्धान्त और प्रयोग से प्राप्त आंकडों में पूरी सहमति (consistency) न हो जाय।

किसी वैज्ञानिक सिद्धान्त या परिकल्पना की सबसे बडी विशेषता यह है कि उसे असत्य सिद्ध करने की गुंजाइश (scope) होनी चाहिये। जबकी मजहबी मान्यताएं ऐसी होतीं हैं जिन्हे असत्य सिद्ध करने की कोई गुंजाइश नहीं होती। उदाहरण के लिये 'जो जीसस के बताये मार्ग पर चलेंगे, केवल वे ही स्वर्ग जायेंगे' - इसकी सत्यता की जांच नहीं की जा सकती।

खुद की उपलब्धियों पर गर्व करना अच्छी बात है लेकिन दूसरों को प्रेरित करने की जगह उनको तुच्छ समझना मूर्खतापूर्ण है जबकि ऐसा करके आप स्वयं को तुच्छ साबित कर रहे क्योंकि कोई जन्म से ज्ञानी नहीं होता। ज्ञानी भी कभी अज्ञानी था। अधिकतर जिनको कुछ कर नहीं मिलता वही करने वालों को मूर्ख समझते हैं। होते खुद हैं। ज़िन्दगी झंड और फिर भी घमंड ऐसे ही लोगों के लिए बना एक मुहावरा है।

विद्वान: चल हट 3 कौड़ी का नास्तिक साला! घमंडी। भाग नहीं तो अभी गर्दन दबा दूंगा। ईश्वर का अपमान करता है? अभी मोबलीचिंग करवा दूंगा। निकल।

शुभ: 🤣😂🤣😀😀😂🤣😀😂🤣😃😂😅😄😆😎 ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©

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