सीमेन सैक में कुछ मिलीलीटर वीर्य होता है। उसको संकुचित करने वाली मांसपेशियों को ताकत लगा कर उस गाढ़े वीर्य को बाहर फेंकना होता है ताकि गर्भाशय मुख से जुड़ कर वीर्य की पिचकारी उसमें भर सके। इस कार्य में वह वाल्व थोड़ा सा घायल हो जाता है इसलिए दोबारा उसे ठीक होने में 1 दिन का समय लगता है। वीर्य को ताज़ा और पुष्ट होने में 3 दिन का समय लगता है।
दिन में 3 बार 4 घण्टे के अंतराल पर व 3 दिन बाद दोबारा करने पर शरीर सहन योग्य स्वस्थ रहता है लेकिन रोज 1 या 2 बार भी कर सकते हैं। यही विपरीत लिंग से सम्भोग करते समय भी लागू होता है। दोनो में कोई अंतर नहीं है। ज्यादा वीर्यत्याग करने पर वाल्व में घाव हो जाता है और दर्द के साथ मन उचटने लगता है। इसी घाव में अगर पस/मवाद पड़ जाए तो फिर वीर्य बिना किसी छेड़खानी के असमय बहने लगता है जिसे लोग धातु निकलना कहते हैं।
एक बात दिमाग में डाल लें। सेक्स का मतलब पुरुष के लिए वीर्यत्याग और महिला के लिए चर्मोत्कर्ष है। अब इसे आप प्राकृतिक रूप से करें, मुहँ से, हाथ से, मशीन या फिर सेक्स खिलौने से। कोई फर्क नहीं पड़ता परन्तु अति सर्वस्य वर्जयेत।
दोबारा मत पूछना। वैसे भी कुछ मूर्खों को यह पोस्ट भी अश्लील लगने वाली है। कमंडल से पैदा होने वालों के लिये यह पोस्ट नहीं है। धन्यवाद! ~ Shubhanshu 2018©