शुभ्: क्या हाल है?
भक्त: जय भीम।
शुभ्: अरे हाल-चाल पूछ रहे हैं?
भक्त: जय भीम, नमो बुद्धाय!
शुभ्: अरे पूजा-पाठ, तंत्र-मंत्र घर में करो। मैं यह सब नहीं मानता। विज्ञानवादी हूँ। विज्ञान किसी की भक्ति नहीं सिखाता। हम खुद ही खुद के मालिक होते हैं। बाबा साहेब ने किसी की भक्ति नहीं की तभी ज्ञानी हुए और आप भक्ति के चक्कर में विचार-विमर्शो से दूर होकर रट्टू तोता बन गए। जैसे और धर्म के लोग हैं। वे भी बस आमीन, जय श्री..., अल्लाह हु...फलाना-धिमाका बोलते रहते हैं। विचार बांटिए। लोग खुद ही आपकी तुलना इन महापुरुषों से करने लगेंगे।
भक्त: हरामजादे, तूने मेरे बाबा को गाली दी, तेरी बहन खोद दूँगा, मनुवादी चादर मोद! मेरे बाबा ने मुझे बात करने का तरीका सिखा दिया। तुझ जैसे मनुवादियों का नामोनिशान न मिटा दिया तो मैं बाबा का बेटा नहीं। मर साले। खच्च। (चाकू घोंप दिया)
Note: आप सबको शिकायत थी कि क्या समस्या है जय भीम, नमो बुद्धाय से? तो ये है समस्या। ~ Shubhanshu 2018©
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