सरकारी शिक्षा मुफ्त है इसलिये उससे कोई लाभ नहीं मिलता। जबकि निजी शिक्षा स्थल व्यापार के लिये खुले हैं। उनको ज्यादा माल (डोनेशन/फीस) चाहिए तो वे ज्यादा बेहतर प्रोडक्ट देते हैं। सरकारी विद्यालय बस काम चलाने भर का खर्च करते हैं क्योकि जनसँख्या ज्यादा है और टैक्स कम मिलता है। जो मिलता है वह मुआवजे, और सेना को दे दिया जाता है हथियार खरीदने के लिये। बाकी सरकारी तनख्वाह के रूप में कामचोर सरकारी कर्मचारी खा जाते हैं।
सरकार को सभी सरकारी स्कूलों की ज़मीन निजीकरण के ज़रिए राष्ट्रीयकृत कर देनी चाहिए ताकि निजी हाथों में बच्चो का बेहतर भविष्य बन सके। सरकार से अकेले यह सब नही हो पाएगा। निजी निवेश करके वह इस समस्या को हल कर सकती है। जैसे अन्य कई चीजों का निजीकरण करके बेहतर सुविधाएं दी जा सकीं उसी तरह सरकारी विद्यालयों का भी उद्धार हो सकता है। ~ शुभाँशु 2018
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