भूखे को भोजन खिलाना है, ये तो धर्मजाति वाले खुद ही लंगर-भंडारा लगा के सदियों से दिखा रहे। कमाने की जगह मुफ्त का माल उड़ाने और धर्म की दलाली की हवस जगा रहे। कोई भूखा क्यों है? सवाल ये है।
मैं भूखा हूँ क्योंकि मैं कमाने का प्रयास नहीं करता। मैं मुफ्त का भोजन भंडारे और लंगरों से खाता हूँ। मुझे कमाने की क्या ज़रूरत? अब कोरोना के चक्कर में लंगर-भंडारे बन्द हैं तो हाँ मैं भूखा हूँ। ~ एक भूखा
कोई भूखा है तो उसे भोजन देने से वो आत्मनिर्भर बनेगा या उसको भूखा छोड़ दें तो कोई कार्य करके वह खुद कमाएगा? याद रखिये, मरना कोई नहीं चाहता है।
प्रश्न: सरकार द्वारा निर्धारित प्रतिदिन की मजदूरी कितने रुपये है और मजदूर कितने रुपये मांगते हैं आपसे?
उत्तर: 350₹ से 500₹
रोज कमाने खाने वाले लोग बोलते हैं कि कभी-कभी 15 दिन तक कोई कार्य नहीं मिलता। फिर कहते हैं कि हम एक दिन न कमाएं तो भूखों मरने लगते हैं। ऐसा कैसे? 🤔
कम मजदूरी के केस में कानून खरीदने के आरोप वालों से सवाल:
अरबो खरबों रुपये रिश्वत में देने वाला 100₹ मजदूरी काहे नही दे रहा?
अगर एक लोकतांत्रिक देश में कट्टर साम्यवाद लाना है तो क्या करना होगा? इसका एक मास्टर प्लान है। ये प्लान मैं आपको बताऊंगा। पूरा प्लान धोखाधड़ी और गरीबों के खून से रंगा निर्दयी षडयंत्र है।
साम्यवाद लोकतंत्र के एकदम विपरीत होता है। अतः आपको इसे लाने के लिये कुछ भी करके लोगों के मन में लोकतंत्र के प्रति घृणा भरनी होगी। देखिये, कौन लोग आपको लोकतंत्र के खिलाफ भड़का रहे हैं?
किसी भी देश के 3 महत्वपूर्ण वर्ग होते हैं; मजदूर, किसान और आदिवासी। जिनके पास शारीरिक ताकत अधिक और मानसिक ताकत (शिक्षा) सबसे कम होती है। इनको भड़का कर देश में गृह युद्ध करें। अमीरों को लूट कर धन एकत्र करके उससे निर्देशित साम्यवादी सरकार बनाइये।
आदिवासी, किसान और मजदूरों को अन्य साम्यवादी देश बंदूकें, गोलाबारूद उपलब्ध करवाएंगे ताकि पुलिस और सेना से मुकाबला कर सकें। मरने वालों को लूटो और उनसे और गोला बारूद लेकर उन्हीं को मार डालो।
गोरिल्ला युद्ध से सैनिकों को तब मारो जब वे असावधान और थके हुए, नींद में हों। उनकी वर्दी चुरा कर पहनो और उनके भेष में उनको और मजदूरों, किसानों और आदिवासियों की औरतों और बच्चों को बलात्कार करके नृशंस हत्या कर दो ताकि इनके जवान पुरुष आंख बंद करके सेना को मार डालने के लिये टूट पड़ें।
जब कोई साम्यवादी जवान मारा जाय तो अपने ही मरे हुए साथी की आंखें निकाल लो और शव की बुरी दशा कर दो ताकि जो उसे देखे नफरत से सेना और पुलिस के खिलाफ टूट पड़े।
जितना ज्यादा इनके दंगे में लोकतांत्रिक सरकार इनका दमन करेगी उतना ही हम इनकी लाशें व चोटें दिखा कर इनके बच्चों और साथियों को भड़का सकते हैं। इनको कॉमरेड बुलाइए ताकि इनको लगे कि वे सैनिक हैं और देश को आज़ाद करवा रहे हैं। इस तरह इनको हत्या और बलात्कार करने में कोई शर्म नहीं आएगी। इनकी इंसानियत उच्च संपन्न वर्ग से घृणा द्वारा खत्म कर दो।
अगर आप एक साम्यवादी हैं और चाहते हैं कि लोकतंत्र के खिलाफ सड़कों पर जंग हो तो क्या आप मजदूरों को न्याय दिलवा कर लोकतंत्र के प्रति प्रेम पैदा करेंगे या उनको बर्बाद कर देंगे ताकि वे विद्रोह करें?
साम्यवादी नेता ही मजदूरों को न्याय नहीं मिलने दे रहे क्योंकि अगर मिल गया तो विद्रोह कैसे होगा लोकतंत्र के खिलाफ? मजदूरों को ही शिक्षा और संपन्नता नहीं मिलती तभी आसानी से भड़का कर उनको कॉमरेड सेना बनाया जा सकता है।
एक फैक्ट्री मालिक क्यों निर्धारित से कम मजदूरी देकर अपनी फैक्ट्री पर ताला लगवाना चाहेगा? क्या उसे डर नहीं लगता मजदूरों से? सीधी से बात है ये सब साम्यवादियों का षड्यंत्र है जिसके कारण ऐसा दर्शाया जाता है।
साम्यवादी होने के नाते आपका फर्ज है कि एक भी मजदूर चैन से न जी सके। उसकी बर्बादी होगी, तभी सड़कों पर खूनी लाल सलाम क्रांति आ सकती है। उनको दर्द दो, वो साम्यवाद लाएंगे।
साम्यवादी होने के नाते आपको पुलिस के प्रति घृणा भरनी होगी क्योंकि यही लोकतंत्र की पहली कड़ी हैं। न्यायव्यवस्था में साम्यवादी भर्ती करो और खूब भ्रष्टाचार करो। ताकि कानून से भरोसा उठ जाए।
लालबहादुर शास्त्री साम्यवाद के खिलाफ थे इसलिये उनकी रूस (साम्यवादी देश) ने जहर देकर हत्या करवा दी। रूसी मेडिकल रिपोर्ट में अनियमितता मिली थी।
साम्यवाद/समाजवाद अगर संविधान में डाला गया तो ये लोकतंत्र की हत्या होगी। ~ बाबा साहब भीम राव रामजी अम्बेडकर।
शास्त्री जी की मृत्यु के 10 वर्ष बाद समाजवाद संविधान में जोड़ दिया गया। 20 KZB (रूसी खुफिया एजेंसी) एजेंट भारत में उसी समय आये और कभी वापस नहीं गए। ~ ताशकंद फाइल्स (फ़िल्म)
क्या कभी फैक्ट्री मालिक खुद वेतन बांटता है? नहीं न? ये वेतन के घोटाले मजदूर नेता खुद करवाते हैं, वेतन देने वाले मुनीम के ज़रिए। ताकि मजदूर को तंग करके मालिक के खिलाफ भड़काया जा सके।
साम्यवाद देश में अराजकता लाने से आएगा। इसके लिए जनता में सरकार, पुलिस, न्यायालय व कानून (संविधान) के प्रति असंतोष भरना होगा। तभी दँगा होगा जो अमीरों को लूटने मारने में मदद करेगा।
पुलिस को बुरा कैसे बनाया जाए? इसके लिए आप सड़क जाम करो। फिर तब तक कानून का उल्लंघन करो जब तक पुलिस लाठीचार्ज नहीं करती। अब उनसे पिट कर सोशल मीडिया में रोना रोइये।
बिना सुबूत के मुकदमे करो, अपने ही वकील को रिश्वत देकर अपने ही गरीब साथी का केस खराब करवाओ ताकि सब आरोप सरकार, न्यायालय और जज पर लगाया जा सके।
प्लान का दूसरा हिस्सा। आदिवासी समाज को शहरी लोकतंत्र के खिलाफ भड़काने के लिए सेना की वर्दी में आदिवासियों का रेप करके गोली मारो और फ़ोटो खींच कर एक किताब बनाओ।
अब 2 हिस्से में बंट जाओ। 1 हिस्सा सेना को गोरिल्ला युद्ध में खत्म करेगा और दूसरा हिस्सा सेना की वर्दी में आदिवासी समाज पर जुल्म करो। ताकि वो सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दें।
साम्यवादी झंडे की वास्तविक व्याख्या ये है:
किसान अपना हंसिया और मजदूर अपना हथौड़ा उठाओ और अमीरों का खून ही खून फैला दो। लूट लो उनको। औजार ही हथियार है।
कम्युनिस्ट प्लान की जानकारी इन स्रोतों में दर्ज हैं।
1. कार्लमार्क्स और बुद्ध
2. सीक्रेट डॉक्यूमेंट ऑफ माओवाद
3. ब्लैक बुक ऑफ कम्युनिज्म
4. फ़िल्म ऑपरेशन क्रोमाइट
5. फ़िल्म ताशकंद फाइल्स
~ कार्लमार्क्स, माओ, लेलिन, शी जिनपिंग, फ़िदेल कास्त्रो द्वारा निर्मित व निर्देशित। (संकलन कर्ता ~ Shubhanshu 2020©)
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