Zahar Bujha Satya

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बुधवार, मार्च 25, 2020

आस्तीन का सांप ~ ज़हरबुझा सत्य




प्रश्न: आप किन पुराने जुड़े लोगों को अमित्र कर देते हैं? क्या पुराने मित्रों से दूरी बनाने का विचार उचित है?

शुभ: ऐसे सभी लोग जो आपसे लंबे समय से जुड़े हैं लेकिन आपके अधिकतर विशेष विचारों से मतभेद रखते हैं जिनकी व्याख्या की जा चुकी है। ये आपके छिपे शत्रु (आस्तीन के सांप) हैं, को आप अतिशीघ्र अमित्र/ब्लॉक कर सकते हैं। ये लोग आप पर तब हमला करेंगे जब आप कमज़ोर पड़ोगे।

जैसे आपने कोई गलत पोस्ट कर दी जो आप को सही लगी क्योंकि आप उसके एक नए पहलू से अनजान थे। तब ये लोग आप पर टूट पड़ेंगे। आपकी मुख्य सोच को निशाना बना कर आप पर व्यक्तिगत टिप्पणी की जाएगी ताकि आप गुस्सा होकर कोई गलत कदम उठा लें और अगला उसके सुबूत लेकर आपको बदनाम कर डाले।

ऐसे लोगों के मित्र आपको गाली देते होंगे और ये उनकी पैरवी करते दिखेंगे। उनको रोकेंगे तक नहीं। बल्कि जैसे ही आप उन पर हमला करेंगे, ये उनकी तरफ से बीच में कूद कर आपको रोकेंगे। उनको डिफेंड करके वे आपको मरवा देने का पूरा प्रयास करेंगे। अब या तो आप उन सबको ब्लॉक कर दे तो घमंडी व अनियंत्रित कहलायेंगे या गालियों के जवाब ग़ाली से देकर अपने स्क्रीनशॉट की बारात निकलते देखिये।

ब्लॉक करने पर ये खुल कर आपके बारे में अफवाहें उड़ाएंगे और लोगों के कान भरेंगे, ये कह कर कि गलत था, तभी ब्लॉक किया। इसलिये इनको ब्लॉक करना पहला विकल्प नहीं है। ये खुद ही कर दें ऐसा इंतज़ार करना बेहतर है। तब ये कुछ भी बोलें, परन्तु ब्लॉक करना उनकी हार होगी।

प्रमाण व तर्क से सुसज्जित पोस्ट आपकी सोच की सार्वभौमिक सत्यता दर्शाती है। उसे सामान्य मानव भी समझ सके इसलिये मैं उसे सरल भाषा में लिखता हूँ। ऐसे सभी लोग जो to the point प्रश्न न करके, फालतू की बात करें जो कि चर्चा को भटका रही हो तो समझिये कि अगले ने पोस्ट को जानबूझकर समझा ही नहीं है। ऐसा क्यों? क्योंकि कुछ विचार जीवन शैली होते हैं और इन लोगों की जीवनशैली ऐसी होती है कि वे इन विचारों को अपना ही नहीं सकते। ऐसा करने पर वे अकेले हो जाने का डर पाते हैं। ऐसा क्यों?

कोई दोस्त, जीवन शैली बदलने पर दोस्ती कैसे तोड़ सकता है? साफ बात है कि वे लोग इनके दोस्त नहीं होते। ये उनके दोस्त बने होते हैं, किसी लालच में। उस लालच में वे केवल उनका भी फायदा ही उठाते हैं। अतः ये खालीपन से भरे लोग मस्तिष्क विहीन हो गए होते हैं। ये स्वयं सोचना बंद कर चुके होते हैं। इनको केवल सामाजिक होने के लिये दूसरों जैसा बनने का शौक होता है। किसी प्रतिभा शाली परन्तु घटिया इंसान का दोस्त बन कर भी गर्व होता है। वैसे ही जैसे कुछ लोग डॉन से जानपहचान हो जाने पर फूले नहीं समाते। कारण है इनसे अपने काम की tips पाना, अपना कोई काम करवाना। अतः ये सभी लोग झूठे अहंकार से ग्रस्त हैं। इनको इस बात पर अहंकार होता है कि कितने लोग उनके दीवाने हैं न कि वे कितने सही हैं।

मैं भी अहंकारी हूँ, लेकिन मुझे अहंकार है, खुद के सही होने पर। प्रमाण/तर्क और व्यवहार द्वारा उसे साबित कर देने की क्षमता पर। इसे मैं आत्मविश्वास/आत्मप्रेम कहता हूँ और लोगों को ये आत्ममुग्ध (narcissist) होना लगता है तो वो भी उचित ही है। आत्ममुग्ध इंसान बहुत प्रसिद्ध हो जाते हैं। उनकी पूरी दुनिया में जयजयकार हो जाती है। लेकिन अफसोस मुझे लोगों से ही उलझन होती है क्योंकि मैं अंतर्मुखी हूँ तो ये तो होने से रहा।

शायद इसलिए भी अंतर्मुखी हूँ क्योंकि मेरे जैसे आदर्शवादी लोग कहीं दिखते ही नहीं। दिखते हैं तो वे झूठे हैं। फिर क्या करूँ? बस यूं ही दूर से मिलता रहूँगा। जो साथ आना चाहते हैं वे मेरे जैसे बन गए तो ही सहज हो सकता हूँ। अन्यथा दूरी ही भली है। पास आये तो लड़ाई होगी।

मैं बहुत स्ट्रिक्ट हूँ। जो कहता हूँ, वही करता हूँ। 100% ईमानदारी रहेगी। इसलिये हर शब्द पर 100% ध्यान देना आवश्यक है। कुछ लोग सोचते हैं कि 100% परफेक्ट कौन होता है? मैं कहता हूँ, "वही जो अभ्यास करता है।" और मैं अभ्यास करके ही यहाँ आपके सामने आपसे बात कर पा रहा हूँ।

अन्यथा बहुत से नाकामयाब लोग कभी फेसबुक भी नहीं देख पाते हैं। यहाँ तक आने के लिये भी जिसे संघर्ष करना पड़ा हो, वही इतना सोच सकता है। वही ऐसा लेख लिख सकता है। वही जिसने धोखों के सैलाब देखे हों, जिसने कष्टों के समुद्र पिये हों और जिसने अपने आप को 100% तक शुद्ध रखने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगा दिया हो। जो अपने हर सुख को त्याग कर परफैक्शनिस्ट बनने निकला हो, वही आपके सामने है।

मैं कोई उम्मीद नहीं करता कि इस पोस्ट को 1 भी like मिलेगा या नहीं। मैंने जो लिखना था, मैंने वो लिख दिया। मेरा फैसला मैं कर चुका। मेरी पोस्ट का फैसला दुनिया के हाथों में है। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©

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