Zahar Bujha Satya

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शुक्रवार, मार्च 20, 2020

क्रांति शिक्षा और जनसंख्या नियंत्रण से आएगी, बंदूक से कभी नहीं ~ ज़हरबुझा सत्य




जनसंख्या पर रोक लगे न कि स्वतंत्रता पर

चीन एक साम्यवादी-पूंजीवादी देश है। इसमें तानाशाही करके 1 बच्चा नीति जबरन लागू की गई क्योंकि इसकी आबादी विश्व के किसी भी देश से अधिक हो गई है। लोगों की अधिक धन कमाने की शक्ति पर रोक लगाने पर कुछ समय तक तो आसानी हुई, परन्तु जनसंख्या पर रोक न लगाने से सारी अर्थव्यवस्था ढहने लगी। तब 1 बच्चा कानून लाया गया। तबसे स्थिति कुछ नियंत्रण में आई।

जनसंख्या पर नियंत्रण करना एक अत्यंत बड़ी ज़रूरत है जिससे प्रत्येक को पर्याप्त संसाधन मिल सकेंगे। इसे तानाशाही से भी किया जाए तो आसानी होगी क्योकि मारने से बेहतर होगा, "पैदा ही न करना"। जनसंख्या बढ़ती गयी तो कोई भी रोक लगा दीजिये कोई लाभ नहीं होगा और सब एकदूसरे को मार ही डालेंगे।

साम्यवादी अवधारणा जनसंख्या की वृद्धि से ही उतपन्न हुई थी। अधिक लोगों को भले के लिये जान से मारा नहीं जा सकता था इसलिये उन्होंने लूटपाट का रास्ता चुना और चूंकि किसी की सम्पत्ति बिना उसे मारे, आप ले नहीं सकते इसलिये उनकी मृत्यु से इनका दिल नहीं पसीजता। अधिक मूर्ख, नकारा, विकलांग, अयोग्य लोगों की जान बचाने के लिए बुद्धिमान, योग्य, स्वस्थ लोगों को मारना इनका सिद्धांत है। यानी अयोग्य की उत्तरजीविता का नियम। प्रकृति के विरुद्ध।

प्रकृति जनसंख्या पर नियंत्रण रखती है। मानव ने प्रकृति को त्याग कर अपनी जनसंख्या बढ़ाई है। सुरक्षा, पुलिस, कानून, बीमा, चिकित्सा, मकान, साफ सफाई आदि जनसंख्या नियंत्रण को रोकता है। जंगल में जनसंख्या सदा नियंत्रण में रहती है।

अब धनी व्यक्ति की जान लेने के लिए दिल को मजबूत करना है तो आप अमीरों को लुटेरा, शोषक बोल कर, ऐसे कुछ जो वाकई में गलत कार्य से अमीर हुए जैसे छोटा राजन, दाऊद इब्राहिम आदि का उदाहरण देकर सबको एक ही तराजू में तोल दीजिये। तब अमीरों से नफ़रत हो जाएगी। फिर उनको मार कर लूटना आसान होगा। हर साम्यवादी लूटपाट को क्रांति कहता है। "क्रांति बंदूक से ही आ सकती है", ऐसा इनका मानना है। ये कमाने पर यकीन नहीं करते। लूट ही इनकी कमाई का स्रोत है। चंदशेखर आज़ाद की साम्यवादी संस्था में ही कई क्रांतिकारी भर्ती हुए थे जिन्होंने ब्रिटिश सरकार को लूटा और हत्याकांड किये। अब चूंकि वह ब्रिटिश तानाशाह लोग थे, हम लोगों को उनसे सहानुभूति नहीं है। परंतु आज जब देश आजाद है तब उनको उदाहरण बनाना, देश के संविधान का अपमान हुआ। अपने ही देश को अब लूटोगे क्या?

अभी हाल ही में हुये (दिल्ली) दंगे में साम्यवादी लोग (लेफ्ट) पकड़े गए हैं। कानून में साम्यवादी क्रांतिकारी को आतंकवादी कहा जाता है। जो कि फांसी के हकदार होते हैं। रूस में हुई लूटपाट और हत्या को रूसी क्रांति कहा जाता है जो कि वहाँ की राजतंत्र वाली राजशाही के विरुद्ध हुई थी। कुछ समय साम्यवादी शासन रहा फिर आखिरकार उसका नुकसान सामने आया और देश भुखमरी के कगार पर आ गया। तब पुनः लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू करनी पड़ी।

कुछ लोग मुफ्त में लूटपाट के साथ बलात्कार करने को बढ़िया और अमीर लड़कियां मिलेंगी इस लालच में साम्यवादी बन रहे हैं और लड़कियों को खास तौर पर मूर्ख बनाया जा रहा है। भारतीय मार्क्सवाद के ब्राह्मण लाया था और आज भी बाह्मण ही सबसे अधिक साम्यवादी हैं। ऐसा क्यों? चंदशेखर आज़ाद भी जनेऊ पहनते थे और ब्राह्मण थे। दरअसल ब्राह्मण कम हैं और उनकी पुरानी पुश्तें मांग मांग कर खाने के कारण गरीब रही थीं। अब उनके सामने भी लूटपाट एक आसान रास्ता दिखता पैसा-लड़की पाने का।
सोवियत संघ (रूस) और भारत के मध्य ताश्केंट (ताशकंद) समझौता हुआ था। जिसके तुरन्त बाद लाल बहादुर शास्त्री जी की रूस द्वारा ज़हर देकर हत्या करवा दी गयी थी। अधिक जानकारी के लिए सत्य घटनाओं पर आधारित बॉलीवुड फिल्म देखिये 'ताशकंद फाइल्स।'

भीम राव अम्बेडकर जी ने साम्यवाद का पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने इसे लोकतंत्र का शत्रु बताया है। उन्होंने अपने एक बयान में कहा था, "भारत में यदि कभी समाजवाद लाया गया तो ये लोकतंत्र की हत्या होगी" ताशकंद समझौते व संविधान बनने के 10 वर्षों बाद संविधान में समाज वाद शामिल कर दिया गया। यानि लोकतंत्र की हत्या कर दी गयी। आज भारत मिश्रित अर्थव्यवस्था से चलता है। यानि लोकतांत्रिक-समाजवादी अर्थव्यवस्था।

साम्यवाद के बारे में विस्तार से सत्य जानने के लिये बाबा साहब अम्बेडकर की लिखी पुस्तक "karlmarks and buddha" पढ़िये।

साथ ही कार्लमार्क्स की पुस्तक पूँजी की समीक्षा भी पढ़िये सत्याग्रह के इस लिंक पर।






इसके आने से भारत में लगातार गरीबी बढ़ रही है। इसके अंतर्गत लोगों को रोजगार देने के स्थान पर मुफ्तखोरी करवाने का नियम होता है। जैसे, बेरोजगारी पेंशन, लैपटॉप बांटना, मोबाइल बांटना, मुफ्त भोजन आदि। इसके स्थान पर यदि लोगों को ज़मीन व साधन देकर कार्य करने को कहा जाता और योग्यता के अनुसार वेतन दिया जाता तो वे बहुत अधिक उत्पादन कर सकते थे। जो कि देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाता।

अतः साबित हुआ कि स्थायी समाधान जनसंख्या नियंत्रण है न कि अधिक पूँजी कमाने पर रोक लगाना (साम्यवाद/समाजवाद/लेफ्ट)! ~ Shubhanshu 2020©

नोट: कुछ लोगों की इस लेख से अवश्य ही फटेगी परन्तु सत्य नहीं बदल सकता। झूठ के पांव नहीं होते। वह बस धक्का देने से ही औंधे मुहं गिर जाता है। अभी भी समय है सम्भल जाइये। मेरी तरह तर्कवादी धर्ममुक्त, vegan और विवाह/शिशु मुक्त बनिये। (कौनो जबर्दस्ती न है 😁) ~ ज़हरबुझा सत्य 2020©  2020/03/20 21:47 

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