Zahar Bujha Satya

Zahar Bujha Satya
If you have Steel Ears, You are Welcome!

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रविवार, अगस्त 05, 2018

सभी रोगों का इलाज, अभी और आज

जब आपके विरोधी भी आपसे प्रेम करने लगें और विपरीत विचारों के बाद भी आपसे प्रेम से बात करें तो समझिये कि आप सही राह पर जा रहे हैं। आप सबको साथ लेकर चलना सीख गए। ज़रूरी नहीं है कि आप हर जगह आ जा सकें। पुराने समय में लोग दूत भेजते थे और कार्य आगे बढ़ते थे।

आज इंटरनेट और फोन कॉल से वही काम तुरन्त हो सकता है। अतः फेसबुक को कोई छोटा माध्यम न समझें। हाँ, यहाँ खाली हवाबाजी करने का कोई लाभ नहीं यानी नकली ID बना कर आप अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकते। कारण है कि कभी भी वह हटाई जा सकती है।

आपको असली नाम से वेरीफाई ID ही रखनी चाहिए। फ़ोटो चाहें लगाएं या नहीं लेकिन ज़रूरत पड़ने पर दिखा भी सकते हैं। साथ ही ध्यान रहे कि केवल उन्हीं को दिखाएं जिन पर भरोसा किया जा सकता है। यदि आपके विचारों से किसी का आर्थिक या सामाजिक नुकसान हो रहा है तो वह आपके लिए खतरा हो सकते हैं। उनसे अपनी पहचान छिपा लीजिये।

लेकिन बेहतर होगा कि खुद को किसी के नुकसान की वजह न बनने दें। केवल तटस्थ रूप से विचार प्रस्तुत करें। जैसा न्यूज़ में होता है। मैं यही करना चाहता हूँ।

आपको ऐसा सत्य बताना चाहता हूँ जो मीठे झूठ से कहीं ज्यादा कड़वा लेकिन आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी होगा। याद रखिये मैं बड़ा व्यापारी नहीं हूँ इसलिये आपको पसन्द आने की गारंटी नहीं दे सकता लेकिन एक चिकित्सक ज़रूर हूँ जो अपनी कड़वी दवा से आपकी समस्या रूपी बीमारियां मिटा सकता हूँ। बस नाक बंद करके निगल जाइये। ~ Shubhanshu SC VEGAN Religion Free 2018©

शुक्रवार, अगस्त 03, 2018

बिना तीर के निशाना

मैं जब भी कभी टूर पर नए लोगों के साथ जाता था तो मैं उनसे भिन्न होने के कारण सबको बुरा लगता था। लेकिन जब वापस आता था तो सबको बस मैं ही अच्छा लगता था। बाकी सब में कोई न कोई बुराई उनको दिखने लगती थी।

दरअसल मेरे साथ जो अत्याचार होते थे (रैगिंग जैसे) वह मेरे जैसे निर्दोष व्यक्ति के ऊपर किया जाना और मेरा हंसते-हंसते उन को सह जाने से लोगों का अच्छा पहलू जाग जाता था और वे मेरे ऊपर हुए हर गलत व्यवहार का जवाब देना सीख जाते थे। अतः वहाँ ग्रुप 2 भागों मे बंट जाता था जो मेरे पक्ष और विपक्ष मे होते थे।

अंततः पक्ष, विपक्ष को बहुत डाँटता था और फिर विपक्ष को मुझसे माफी मांगनी पड़ती थी और साथ ही मुझे प्रसन्न करने का कार्य भी करना होता था। तो पक्ष और  विपक्ष दोनो ही मेरे पक्ष में हो जाते थे। बिना तीर चलाये निशाना मुश्किल ज़रूर होता है लेकिन अगर आप सच्चे हैं तो जीत आपकी ही होगी। ~ Shubhanshu SC Vegan Religion Free 2018©

गुरुवार, जुलाई 26, 2018

ज़हरबुझा खुलासा: धर्म और विज्ञान

कृपया अपनी अक्ल और मेहनत से अपना जीवन खुशहाल बनाइये।

जादू-टोने-पूजा-पाठ-नमाज-भजन-अरदास-प्रार्थना-आत्मा-पुनर्जन्म-नर्क-जन्नत-हूर आदि बकवास में अपना धन व समय बर्बाद करके खुद को और गड्ढे में न धकेलें।

यह मानसिक रोगियों के दिमाग में पैदा होने वाले हेलुसिनेशन होते हैं जो सकेज़ोफ्रेनिक लोगों को वास्तव में दिखते हैं। उनके चक्कर में आप तो पागल न बनिये।

दिमाग को क्षतिग्रस्त करने के लिये विशेष अगरबत्ती/धूप/यज्ञ आदि पारा व नशा मिश्रण करके बनाई जाती है जो सांस के रास्ते दिमाग में जाकर उसे क्षतिग्रस्त कर देती है और आपको अजीब अजीब अनुभव होने लगते हैं।

धार्मिक स्थलों पर अगरबत्ती का और कोई उद्देश्य नहीं है। प्रशाद इत्यादि में कम मात्रा में अफीम मिली होती है ताकि आप इसके तलबगार होकर बार बार आएं।

इसके अलावा बौद्ध सन्यासी एक फूल का प्रयोग भी इसी कार्य के लिये करते हैं। यदि आप इन बाबा-गुरु के पास जाते हैं तो वे आपको इसी प्रकार की चीजों से भृमित कर देते हैं और आपके मस्तिष्क को हमेशा के लिये क्षतिग्रस्त करके बर्बाद कर देते हैं।

जिन लोगों को भूत दिखते हैं, आत्मा/ईश्वर/जिन्न दिखता है वे सब अब कभी ठीक नहीं हो सकते। उन पर भरोसा न करें। वे कह तो सत्य रहे हैं लेकिन उन्होंने यह सब दिवास्वप्न में देखा है। जो मैं सोते समय देखता हूँ। मैं अपना स्वप्न आपको सुनाऊं तो वह lie detector में भी पास हो जायेगा।

ऐसे ही जो घोस्ट बस्टर आपको तरह तरह के उपकरण लेकर भूत ढूंढने, पॉजिटिव-निगेटिव ऊर्जा की बकवास करते दिखते हैं, वे भी पृथ्वी के गर्भ में होने वाली तरल कोर की गतिविधियों से दिमाग पर होने वाले और वस्तुओं के अपने आप हिलने डुलने (स्टैटिक एनर्जी) क्रियाकलापों को ही नापते हैं। साथ ही यह उनका धंधा है तो मनोविज्ञान का दुरुपयोग तो करेंगे ही। अगर मुफ्त में भी करते हैं तो यह उनका सेम्पल होगा या इनको कोई धार्मिक स्थल मदद दे रहा होगा।

कभी सोचा है कि कैसे केवल धर्म विशेष के व्यक्ति पर चढ़े भूत पर धर्म विशेष के चिंन्ह का ही असर होता है?

अब इतना हमने समझाया। थोड़ा खुद भी समझो। वैसे भी यह पोस्ट बुद्धिमान/MBBS/मनोचिकित्सक/वैज्ञानिक और रिसर्च करने वालों को ही समझ में आएगी। और हाँ उनको भी जिनकी मैंने पोल खोली है। ~ रहस्यमयी ज़हरबुझा Shubhanshu का भूत। 😁👊😬

बुधवार, जुलाई 25, 2018

लोकतंत्र और साम्यवाद में अंतर

लोकतंत्र में और साम्यवाद में समानता है। साम्यवाद में अमीरों से धन लेकर गरीबों को सुविधाएं दी जाती हैं।

लोकतंत्र में भी यही हो रहा है। अमीर लोग टैक्स भरते हैं और गरीब लोग मुफ्त में सुविधा लेते हैं उस धन से।

ज्यादा फर्क नहीं है। बस साम्यवाद में तानाशाही के कारण ज्यादा नुकसान पहुँचाया जाता है योग्य को। अयोग्य को सुविधा देने के लिए। चीन जैसे देश में कोई अमीर नहीं हो सकता। मानवाधिकार का उल्लंघन होता है और आप अपना हक नहीं मांग सकते।

इससे देश प्रारम्भ में तो सुविधा मय हो जाता है। जीवन सरल और सस्ता हो जाता है लेकिन दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं होते क्योकि लोग बड़ा करने का सपना देखना बन्द करके आलसी होने लगते हैं। वे जान जाते हैं कि अयोग्य बने रहने पर भी उनको सरकार खिलाएगी।

उनकी 80% कमाई कम्युनिस्ट सरकार अपने अनुसार इस्तेमाल करती है। वहाँ लोकतंत्र नहीं है। किसी की कमाई पर कैपिंग लगाना मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन है जिसकी शिकायत करने पर देश पर UN द्वारा विश्वयुद्ध भी शुरू किया जा सकता है। यानी आप वहाँ अधिक कमाई करके भी अमीर नहीं हो सकते और यह व्यवस्था कभी भी ध्वस्त की जा सकती है। ~ VSSC 2018©

मंगलवार, जुलाई 24, 2018

तेली

न तो मैं किसी राजनैतिक पार्टी का पक्षधर हूँ और न ही विरोधी। कभी भी किसी की भी गलती पकड़ के खाल उधेड़ सकता हूँ। तेल गर्म कर रहा हूँ। ज़ल्दी डलवाने के लिये सम्पर्क करें। खाल उधड़ने की गारंटी। सुई धागा साथ रखें। सिलने के काम आएगा।

आपका अत्याचारी शिष्य,
कूट नाम: VSSC, 2018©
Ph.D in अपराध विज्ञान
LLB, मनोवैज्ञानिक व मनोचिकित्सक®

"हत्या करके कैसे बचें" पुस्तक (best seller) के लेखक।

Note: अपने कपड़े खराब न करें। नँगे ही आएं।

शुक्रवार, जुलाई 13, 2018

स्वाभिमान और घमण्ड के अंतर को समझिये

हमारे 2 मित्रों को लगा कि मेरी एक post से मेरा, मेरे ज्ञान पर घमण्ड झलक रहा है लेकिन साबित नहीं कर सके। उसमें लिखा था कि मुझे सिखाने का प्रयास न करें बल्कि सीखने का प्रयास करें। इसी कड़ी को समझाने के लिये एक अन्य post किया गया था कि जो सीखने की इच्छा से जुड़ते हैं, मैं उनसे बहुत कुछ सीखता हूँ लेकिन जो सिखाने की इच्छा से जुड़ते हैं उनको दूर से अलविदा।

अब जो मैं देख रहा हूँ वह सभी नहीं देख पाए इन posts में। अब या तो यह सिखाने वाले हैं जो इनको बुरा लगा या फिर इनको पता नहीं कि घमण्ड और स्वाभिमान क्या होता है। मैंने इन दोनों के मध्य अंतर मेरी फ़ोटो एलबम में समझाया हुआ है। घमण्ड/arrogance और स्वाभिमान/self-respect देखने में एक से लगते हैं लेकिन वे विपरीत होते हैं। एक में बिना परिचय के ही दूसरे को तुच्छ कहा जाता है और दूसरे में सिर्फ गलत को नकारा जाता है। नकारात्मक लोगों और विचारों को अनदेखा किया जाता है।

अब जिनको मेरे वे शब्द बुरे लगे उनको दोबारा सोचना चाहिए कि जबरन सिखाने वाला घमण्डी होता है या जबरन सीखने से मना करने वाला? याद रखना आपने आपत्ति करके खुद को ज्ञानी साबित करना चाहा है। यही है जबरन सिखाने वाले घमण्डी की पहचान।

ज्ञान पर घमण्ड किसलिये कोई करे? ज्ञान तो पहले से मौजूद है। हासिल कर लेना बड़ी बात नहीं। कोई भी कर लेगा। फिर उस पर घमण्ड किस लिए? हाँ लेकिन बुद्धिमान (IQ लेवल) पर स्वाभिमान अवश्य रखा जा सकता है और मैं स्वाभिमानी हूँ कि अपने काम को स्वयं कर लेता हूँ। बार-बार दूसरों के आगे हाथ नहीं फैलाता बल्कि आवश्यकता पड़ने पर उनसे स्वयं हाथ जोड़ कर मदद मांग लेता हूँ। ~ V. Shubhanshu SC, 2018©

मनुवादियों ने बाबा साहेब को भी नहीं छोड़ा

Dr. भीम राव अम्बेडकर की कांवड़ यात्रा निकालता उनका एक भक्त।