बहुत दूर कही किसी दूसरे ग्रह पर...
महामंत्री: महामहिम, ये आप क्या सिर्फ एक ही इंसान के पीछे हाथ धो के पड़े हो? और भी तो हैं दुनिया में।
महामहिम: हाँ बहुत हैं उसके जैसे जो मुझ में यकीन नहीं रखते। लेकिन वो सिर्फ इसलिए क्योंकि वो मुझे अभी तक देख नहीं पाये। जिस दिन मुझे देखेंगे मुझमे उनका यकीं लौट आएगा।
महामंत्री: तो इस वाले में क्या ख़ास है महामहिम जी?
महामहिम: ये वाला खुद पर यकीं रखता है। मेरे होने न होने से उसे कोई मतलब ही नहीं। जैसे अपना मालिक वो खुद ही हो।
महामंत्री: ओह! फिर आप क्या करते रहते हैं उसी की ज़िन्दगी के साथ?
महामहिम: मैं उसे परेशान कर रहा हूँ। देखता हूँ कि उसका खुद से यकीं उठता है कि नहीं।
महामंत्री: लेकिन महामहिम कहीं ऐसा करने पर वो आप पर और नाराज न हो जाए कि आप जबर दस्ती उसे डरा कर खुद में यकीं दिलाना चाहते हैं।
महामहिम: तो क्या करूँ? इसे लॉटरी में जितवा दूँ या इसका जैक पॉट लगवा दूँ? लॉटरी ये खरीदता नहीं और कैसीनो इसकी हद में नहीं हैं। होते भी तो ये उधर नहीं जाता। फायदा करवाया तो ये अपनी ईमांदारी के चलते उसे डुबो देगा। फिर कहेगा कि ये उसकी मेहनत से नहीं था इसी लिए चला गया। क्या करूँ इसका?
महामंत्री: आप इसे इगनोर क्यों नहीं करते?
महामहिम: तुम बेवकूफ हो महामंत्री। यही वो लड़का है जो भविष्य में मेरी जगह लेने वाला है। यही है मेरा उत्तराधिकारी।
महामंत्री: फ़क! महामहिम जी मैं आपकी इज़्ज़त करता हूँ लेकिन क्या आपकी तबियत ख़राब है? वो चींटी जैसा लड़का आपकी जगह लेगा? आप पगला गए हैं, मुझे जनता से बात करनी होगी।
महामहिम: गधे। तेरी इतनी हिम्मत कि तू मुझे धमका रहा है? पूरी बात समझे बिना मुझे पागल करार दे दिया, नालायक।
महामंत्री: माफ़ कीजियेगा महामहिम, जुबां फिसल गई। वो पहली बार आपको उस अदने से इंसान के आगे कमजोर पाया तो मैं यकीं नहीं कर पाया कि ऐसा भी हो सकता है। कह दीजिये कि आप मज़ाक कर रहे थे।
महामहिम: काश! कि हम मज़ाक कर रहे होते। भले ही उसको बनाने वाले हम ही है लेकिन वो हमारे तौर तरीकों से नहीं पला है। जब हमने उसेे दूसरों से हट कर व्यवहार करता पाया तो लगा कि हमारे सिस्टम में कमी है लेकिन फिर पता चला कि उसने सिस्टम ही बदलना शुरू कर दिया था। हमने उसके इस व्यवहार का पता पहले से लगा लिया था और हमने उसे दुनिया की सबसे बेवकूफ फॅमिली दी ताकि वो भी बेवकूफ बन जाए। लेकिन सब चौपट हो गया। वो उसी फूल फैमिली की बदौलत और बुद्धिमान बन गया। वो चीज़ क्या है मुझे समझ में ही नही आ पाया।
महामंत्री: लेकिन इस बात से क्या फर्क पड़ता है। उससे हज़ार गुना बुद्धिमान पृथ्वी पर पहले से मौजूद हैं, मैं यहां स्क्रीन पर उसके द्वारा दिए गए आई.क्यू. टेस्टस को देख रहां हूँ। ये तो एवरेज़ से थोड़ा ही ऊपर दिख रहा है। दुसरा इसने अभी तक कोई नौकरी की औसत बौद्धिक परिक्षा तक पास नहीं कर पायी है। फिर भी इसे आप बुद्धि मान कह रहे हैं? महामहिम जी जल्दी समझाइये।
महामहिम: रहे न तुम गधे के गधे ही न। परीक्षा इसलिए पास नहीं की क्योंकि उसने उन्हें अरुचि के चलते गंभीरता से कभी लिया ही नहीं और दूसरे ये आई क्यू भविष्य में किसी काम का नहीं रहने वाला। सिर्फ गणित और मैमोरी से कोई बूद्धिमान नहीं हो जाता। अभी से लोग आई क्यू से ज्यादा इ क्यू पर भरोसा करने लगे हैं। ~ Shubhanshu Singh Chauhan फरवरी 7 2015