Zahar Bujha Satya

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सोमवार, दिसंबर 10, 2018

अपराध और मनोविज्ञान

मानव के दिमाग में कुछ ऐसे फैक्टर होते हैं जो जीन संचालित करते हैं जो कि नवीन प्रवर्ति विकसित करते हैं। इसे X फैक्टर कहा जाता है जो कि नकारात्मक या सकारात्मक हो सकता है।

इस तरह के नकारात्मक x फैक्टर वाले बच्चे बचपन से ही अलग प्रवर्ति के होते हैं। जैसे आपने देखा होगा कि कुछ बच्चे शुरू से ही झगड़ालू, दबंग, बद्तमीज और लड़कियों को छेड़ने वाले होते हैं। दूसरी तरफ इसके विपरीत शांत और अच्छे स्वभाव के बच्चे भी होते हैं।

इन सबके बीच में ज्यादातर जो बच्चे होते हैं वे ही नार्मल बच्चे कहलाते हैं जो आज्ञाकारी होते हैं। इन्हीं को आगे जाकर नौकरी मिलती है और यही विवाह करके वंशवृद्धि करते हैं।

बाकी दोनो प्रकार के बच्चे विशिष्ट बच्चे कहलाते हैं। दुष्ट स्वभाव का बच्चा आगे जाकर 2 प्रकार के परिवर्तन लाता है या तो वह किसी बड़ी घटना से सदमें में जाकर अपने उपर नियंत्रण पा लेता है या अनियंत्रित होकर अपराध की राह पकड़ लेता है। बचपन की शरारतें वयस्क होने के बाद अपराध में बदल जाती हैं। इनको अपराध में मज़ा आता है। ये उसे न करें तो पागल भी हो सकते हैं। इनका कोई इलाज नहीं। इनकी मृत्यु ही समाज के लिये उपयुक्त होती है। आतंकवादी, बलात्कारी, सीरियल किलर आदि इसी लक्षण के साथ पैदा होते हैं।

दूसरी तरफ सज़्ज़न बच्चे यदि ज़िद्दी होते हैं तो बड़े महापुरुष/स्त्री या अगर मजबूर होते हैं तो कोई कम भीड़भाड़ वाले पद पर कार्य करते हैं। ये अगर अपराध करते हैं तो मजबूरी में या नशे में होने के कारण। साथ ही ये दोबारा उन को नहीं करते। इनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं होता।

इनको सज़ा देने का कोई अर्थ ही नहीं। ये जानबूझकर कर ही अपराध करते हैं जो आत्मरक्षा, परिस्थितियों के वश में और मजबूर होकर ही ऐसे बनते हैं। वे दोबारा यह नहीं करते।

बाकी बीच वाले जो normal लोग हैं यह अपराधियों का शिकार बनते हैं। इन्हीं के पास कमाने और व्यस्त रहने के कारण सुरक्षा का अभाव होता है और इनको ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। ये जल्द ही पुलिस या गुंडों को मामला देकर free हो जाते हैं।

तो सज़ा देने का इन सब मामलों में कोई लाभ नहीं होता है। बस नकारात्मक x factor वाले लोगों को कैद करके रखने या मृत्युदंड देने के लिये ही जेल और अदालत होनी चाहिए बाकियों को सिर्फ अर्थदण्ड और पब्लिक सर्विस के कार्य करवा कर सिंसियर बनाया जा सकता है। ~ Shubhanshu Singh Chauhan 2018© 5:37pm 10 dec

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