Zahar Bujha Satya

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सोमवार, फ़रवरी 25, 2019

ईश्वर से न मिलवाओगे? ~ Shubhanshu

विद्वान: ईश्वर है। मानता है कि नहीं? अभी बताऊं तुझे?

शुभ: आपको कैसे पता?

विद्वान: तूने मकान बनाया या अपने आप बन गया?

शुभ: मतलब ईश्वर मैं हूँ?

विद्वान: अबे साले, तू कैसे हो सकता है bsdk? ईश्वर दिखता नहीं है। ऊर्जा है।

शुभ: bsdk, फिर तू मेरा उदाहरण कैसे दिया बे? मैं दिखता हूँ और ऊर्जा ग्रहण करता हूँ तो क्या तेरा ईश्वर एक बेजान तत्व है? जो मशीन में, बैटरी में रहता है? मेरे  बनाने से दुनिया बनी बहुत से हिस्सों के रूप में। मतलब और जो पहले से बनी है वह तेरे ईश्वर ने बनाई तू यही मानता है न? मजा आ रहा है न तू-तू-तू, तू-तू तारा करके?

विद्वान: अ... हँ हाँ।

शुभ: क्या? मज़ा या जो मैं ईश्वर के बारे में पूछा वो?

विद्वान: वो ईश्वर ने दुनिया इंसान की तरह बनाई वाली बात।

शुभ: तो तय हुआ कि वह कोई हाड़मांस का इंसान की तरह है जो उपकरणों, मजदूरों, सामान मंगा के और कागजी कार्यवाही करके, मजदूरी देकर कार्य करके दुनिया में उल्टे सीधे पहाड़, नदिया, ज़हर, बीमारी, खतरनाक तत्व, वायरस, कीड़े और आदमी के निप्पल सहित, निषेमक पटल, कानों की पेशियों, कृमिरुप परिशेषिका आदि 100 से ज्यादा मानव अवशेष अंग बनाया है?

विद्वान: मुझे देर हो रही है मैं चलता हूँ।

शुभ: अबे रुक भूतनी के वैज्ञानिक, विद्वान जा किधर रहा है? ईश्वर से न मिलवायेगा क्या? ~ Shubhanshu Singh Chauhan 2019©

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