पारंपरिक विवाह धन पर केंद्रित हैं और शादी के दौरान दहेज की हत्याएं भी इसका एक हिस्सा हैं। जब परिवार भी प्यार/रोमांस में शामिल होता है तो यह एक दुःस्वप्न बन जाता है। सहजीवन, खुला सम्बंध और polyamory जैसे विकल्प अधिक प्यार का निर्माण करने में मदद करते है।
आप बच्चों के बिना, किसी भी परेशानी के बगैर एक दूसरे को और अधिक समय दे सकते हैं। रोमांटिक रिश्ते, जिनमे परिवार भी शामिल होता है, उनमें न सिर्फ दहेज से जुड़े क्लेश होते हैं बल्कि दूल्हे का परिवार दुल्हन के परिवार का कोई भी सम्मान नहीं करता है।
एक ही व्यक्ति अपने जीवन भर की कमाई एक रात में लोगों को खाना खिलाने, सजावट करने, और दहेज में भस्म कर देता है और उसके बाद भी उसे खाने से लेकर सजावट तक में कमियां गिनाई जाती हैं। जैसे खर्च वर पक्ष ने उठाया हो और वधू पक्ष को नौकरी से निकाल दिया जाएगा।
लड़की का पिता इतना मजबूर दिखता है कि जैसे उसने लड़की नहीं बल्कि एक कलंक पैदा किया जिसे मिटाने के लिए वह न सिर्फ अपनी बिटिया वस्तु की तरह दान कर रहा है बल्कि उसके साथ जीवन भर की कमाई, भोजन व अपनी पगड़ी (इज़्ज़त) भी दांव पर लगा रहा है। क्या यह मानव अधिकारों का अपमान नहीँ?
समय है कि होश में आओ लोगों। मित्रवत व्यवहार करो। ये देश और दुनिया सब एक परिवार है। बेटी को आत्मनिर्भर बनाओ, सेल्फडिफेंस सिखाओ और खुल कर जीने की प्रेरणा दो। उसे बोझ मत समझिये। अब वह ज़माना गया जब महिला अनपढ़ और कमज़ोर समझी जाती थी। तब वह संरक्षण की मोहताज होती थी। आज वह परनिर्भरता समाप्त हो चुकी है। महिला पुरुषों से ज्यादा धन कमा रही हैं और कम टैक्स दे रही हैं। यह सब सम्भव हुआ महिला के लिए बने कानूनी नियमो से।
नये ज़माने में आप सब अपने मालिक हैं। महिला-पुरुष को अपना जीवन वयस्क होने के बाद स्वतंत्रता पूर्वक जीने दीजिये। सेक्स तो स्त्री पुरुष की ज़रूरत है। उसे स्वीकार करो और सहमतिपूर्ण सुरक्षित सेक्स करो।
कोई कानून आपको विवाह पूर्व सेक्स करने से नहीं रोक सकता। यह आपका जन्मसिद्ध अधिकार है और इसके लिए विवाह रूपी यातना की आवश्यकता नहीं। ~ Shubhanshu धर्ममुक्त 2019© (Admin)
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