बहुत से लोग 5000 लोग लिस्ट में और हजारों फॉलोवर को इसलिये रखते हैं क्योंकि वे खुद को बहुत बड़ा समाजसुधारक या गुरुदेव समझते हैं। मैंने कहा कि मित्रसूची में तो सिर्फ मित्र होने चाहिए, और वे कम ही होते हैं। तो साहब सभी गुरूदेव बोलते हैं कि दोस्त थोड़े ही हैं लिस्ट में, मूर्ख हैं, उनको सुधारूँगा तभी तो देश बदलेगा!
मैं थोड़ी देर हंसता रहा फिर कहा कि मित्र, जो मूर्ख होगा वह कुछ सीखेगा क्यों? वो गलत होगा तो आपसे जुड़ेगा ही क्यों? जो भी आपसे जुड़ेगा वह तो आपको बदलने के लिए जुड़ेगा या आपके विचारों से समानता व समर्थन रखता होगा। जो आपको बदलना चाहता है उससे जुड़ कर आपको फायदा नहीं बल्कि नुकसान है और जो समानता और समर्थन रखता है उसके आप मित्र नहीं हैं तो वो भी बेकार है और उनको सुधारना क्या? वो तो पहले ही सुधरे हुए हैं।
ज़रूरत तो हमें खुद को सुधारने की होनी चाहिए, दूसरे खुद ही बदल जायेंगे आपसे प्रेरित होकर। अपने बारे में लिखिये। जो आप कभी करते नहीं। जो करना चाहिए वो करते नहीं और जो बेकार है वह जोरशोर से कर रहे।
उनको जोड़िए जो आपके विचारों से प्रभावित हों और खुद को बदलने की कोशिश कर रहे हों। भविष्य में वे ही आपके असली मित्र बनेंगे। वे सम्भावित मित्र होते हैं। उन्हीं के लिए आप और आपकी लिस्ट है। न समर्थकों के लिए और न ही सिखाने वालों (egoist) की।
अब क्या कारण है भीड़ रखने का? इसका जवाब अगले के पास नहीं था, क्या आप के पास है? ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©
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