नफ़रत, पूर्वाग्रह से अगर आप अपने सिद्धांतों को बनाते हैं तो सदा असफल रहेंगे। आप किसी के अच्छे या बुरे होने की भविष्यवाणी कर रहे हैं तो आप खुद को ईश्वर समझते हैं क्योंकि केवल ईश्वर की अवधारणा ही सबको एक ही तराजू में तोलती है और उनको एक सा बुरा बताती है।
सनातन धर्म: मृत्युलोक में सब पापी हैं अतः प्रलय में सबकी मृत्यु निश्चित है।
इस्लाम: सबको एक दिन कयामत में मार दिया जाएगा।
ईसाई: ईसा मसीह मानवों के पापों की सज़ा खुद झेल गए। लेकिन फिर भी एकदिन सबको मरना ही होगा।
इसी तरह यदि हम भी किसी समुदाय, वर्ग के प्रति किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के कहने पर धारणा बना लें कि अमुक वर्ग/समुदाय/जाती/धर्म का व्यक्ति कभी नहीं बदल सकता तो आपने मूर्खता की उच्च श्रेणी प्राप्त कर ली है क्योकि याद रखिये कि नास्तिक भी कभी आस्तिक, अमीर भी कभी गरीब ही थे।
साथ ही नास्तिकता और अमीरी कभी भी किसी जाति, धर्म, समुदाय या वर्ग की बपौती नहीं रही हैं। कोई भी इन अवस्थाओं को पा सकता है।
अतः पूर्वाग्रह से ग्रस्त सिद्धांतों को लात मारिये और वास्तविक व्यवहारिक सिद्धांतों पर कायम रहिये। याद रखिये, इंसान कोई मशीन नहीं है। वो कभी भी अपना ह्रदय परिवर्तन कर सकता है। अभी इतना ही। नमस्ते। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©
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