सम्भोग सभी लिंग-योनि धारी जंतुओं की एक अत्यावश्यक प्रकृति है। ये कोई जानबूझकर कर किया गया कार्य नहीं है। बलात्कार एक शारीरिक हवस की न रोकी जा सकने वाली प्रवृत्ति है। इसको कहीं न कहीं तो निकलना ही है। ये कुंठित पुरुष समाज और महिलाओं के लिये सेक्स को हउआ समझने वाली सोच का परिणाम है। बलात्कार के समय बल प्रयोग विरोध के कारण व हत्या कठोर सज़ा के डर के कारण होती है। अपराधी कभी नहीं पकड़े जा सकते यदि वे cctv camera, वीडियो आदि में न पकड़े जाएं।
सुबूत मिटाने/हत्या करने के मामले में या महिला के शर्म के मारे मुहँ न खोलने के आश्वासन से आश्वस्त होकर ज़िंदा छोड़ने से वे केवल 10% मामलों में फंसते हैं। बाकी 90% बलात्कार पीड़ित महिला इस घटना को दबा जाती हैं। बलात्कार का लगातार विरोध करने, जेल भेजने की धमकी देने से महिलाओं की जान को सबसे अधिक खतरा होता है। जान बचाने के लिये या तो आप मार्शल आर्ट में ब्लैकबेल्ट हों या शांति से जो हो रहा है, उसे हो जाने दें और जब जान बच जाए तो सीधा थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज करें। घायल हैं तो सीधा नजदीकी चिकित्सक से सम्पर्क करें।
कुछ मामलों में बलात्कारी, सज़ा से बचने के लिये व पूरी सेफ्टी के लिए महिला को विरोध न करने पर भी मार डालते हैं। ऐसी स्थिति में कानून का डर ही महिला की जान लेता है और उसका हम कुछ नहीं कर सकते। ज़िंदा बची महिलाओ में केवल उन्हीं के द्वारा रिपोर्ट लिखाई जाती है जिनके बॉयफ्रेंड या पति को बलात्कार के समय हुई मारपीट से बने निशानों, फटे कपड़ों से पता चल जाता है और वो बलात्कारी को सज़ा दिलवाने हेतु महिला पर दबाव डालते हैं। शेष सभी बलात्कार की शिकायतें झूठी और female ego के चलते किसी पुरुष (प्रायः प्रेमी के विवाह से मुकरने पर) को सबक सिखाने हेतु दर्ज करवाई जाती हैं। अधिकतर मामलों में ये ब्लैक मेल करना या किसी के द्वारा आर्डर लेकर परेशान करना होता है और कोर्ट के बाहर मोटी रकम लेकर ऐसे केस वापस ले लिये जाते हैं। बलात्कार के विरुद्ध बने कानून का 'महिला के केवल शिकायत करने भर से' बिना प्रमाण के गिरफ्तारी होने के नियम के कारण, इसका दुरुपयोग भी बहुत होता है।
असमान लिंगानुपात और प्रत्येक को समय पर संभोग का मनपसंद/नया साथी न मिल पाने की दशा में सम्भोग की इच्छा उग्र हो जाती है। महिलाओं में सम्भोग केवल विवाह के बाद करने की ज़िद के कारण हर महिला से न ही सुनने को मिलता है पुरुषों को। इसका अनुभव आप इसी से लगा सकते हैं कि सोशल मीडिया पर महिला नाम की id को प्रतिदिन अनगिनत सम्भोग के ऑफर पुरूषों द्वारा किये जाते हैं और महिलाएं उनको 'हाँ या न', न बोल कर सीधे गुस्से में अपमानित कर देती हैं। यहाँ तक कि उनके निजी संवाद के स्क्रीनशॉट भी लगा कर उनको अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़तीं। फिर ये कुंठित पुरूष कहाँ जाए अपनी भूख मिटाने? बेहतर होगा कि महिलाएं रुचि न होने पर ऐसे लोगों को इज़्ज़त से मना कर दें और यदि वे उसके बाद भी तंग करें तो ब्लॉक कर दें।
नर की यौन भूख या तो हर बार नए पोर्न के साथ हस्तमैथुन से मिट सकती है या समय-समय पर बदलती महिला साथी से क्योंकि 99.99% जंतुओं की तरह मानव भी एक ही साथी के साथ संभोग करने में असमर्थ रहता है। इसी कारण विवाहित हो या अविवाहित, नर बलात्कारी को फर्क नहीं पड़ता। उनके अंग एक ही साथी के साथ सम्भोग नहीं कर सकते। वे शिथिल हो जाते हैं। फिर उल्टा उन के ऊपर उनकी साथी नपुंसकता (लिंग का खड़ा न होना) का आरोप लगाने लगती है। डॉक्टर इसे Eractile Disfuntion का नाम दे देते हैं और लम्बा-चौड़ा बिल फाड़ देते हैं। समस्या फिर भी वही रहती है। दवा ख़ाकर कोई अपनी भूख क्यों मिटाएगा जब ये समस्या सिर्फ अपनी ही पुरानी साथी के साथ होती है तो?
समाज में हस्तमैथुन करने वालों को नफरत से देखा जाता है। उनको मानसिक बीमार और कई काल्पनिक ख़तरों से डराया जाता है जबकि हस्तमैथुन पर्याप्त मात्रा में सेक्स करने के समान है। स्वस्थ वयस्क पोर्नोग्राफी, सेक्स घटनाओं से युक्त पुस्तक, स्वप्न आदि से भी वे सभी रसायन बनते हैं जो सामान्य सेक्स में बनते हैं।
अतः यदि सामान्य सम्भोग न भी मिले तो कामोत्तेजक माध्यम से हस्तमैथुन करना उत्तम है। यदि परंपरागत हस्तमैथुन से भी अरुचि हो गई हो ('अपना हाथ जगन्नाथ कर-कर के थक गया हूँ' बोल कर लड़की की इच्छा करना) तो सेक्स टॉय खरीदने में शर्म न करें। मैंने इस्तेमाल किये हैं। अच्छे और अपने लायक का चुनाव करें। लुब्रिकेशन महंगा आता है लेकिन आप गूगल करके खुद भी बना सकते हैं। इससे कामोत्तेजना की उग्रता कम होगी और मन में जबरन सम्भोग प्राप्त करने की इच्छा का समापन होगा। फलत: बलात्कार समाप्त।
बाकी महिलाओं से निवेदन है कि अपनी सेक्स की इच्छा को न दबाएं और अपने पसंद के साथी के साथ स्वयं पहल करके गर्भनिरोधक के साथ संभोग का आनन्द उठाएं। इसमें न तो कोई शर्म की बात है और न ही कुछ गलत ही है। हम सब आखिर सम्भोग से ही पैदा हुए हैं और ये उतना ही पवित्र है जितना कि ज़हरबुझा सत्य। पवित्र कार्य करने में धूर्तों द्वारा बनाये गए एकल विवाह का इंतजार न करें। विवाह सिर्फ बच्चा पैदा करके पालने की व्यवस्था है। इसमें सेक्स के आनंद का कोई स्थान नहीं है। सेक्स का आनंद प्रकृति के नियम से ही आ सकता है जो समय के साथ सम्भोग साथी बदलने की मांग करती है। संपूर्ण जगत में प्रकृति का यही नियम है (हंस/सारस की एक प्रजाति को छोड़ कर)।
90% महिलाओं को कभी भी पुरुषों से चरमसुख नहीं मिला है इसलिये वे संभोग में रुचि नहीं ले पाती हैं। पुरूषों की इस लचर हालत का जिम्मेदार स्त्री की तरफ से पहल (seduce) न होना है। इसके चलते वे अधिक उत्तेजित हो जाते हैं और foreplay न करके सीधे योनी की ओर निशाना लगाते हैं जो कि महिला को उत्तेजित नहीं करता। इस तरह जब तक स्तन मर्दन, क्लोटोरिस की रगड़न, योनी में घर्षण आदि से स्त्री उत्तेजित होती है, तब तक पुरुष समापन की ओर बढ़ चुका होता है। इसे आमतौर पर शीघ्रपतन समझ लिया जाता है जबकि 90% मामलों में ये केवल एक तरफा सम्भोग में रुचि लेने के कारण होता है।
सही तरीका यह है कि दोनो साथी एक समान कामोत्तेजित हों, तभी सम्भोग प्रारम्भ किया जाए। सम्भोग की पूर्णता के लिये मिशनरी अवस्था प्रमुख है। इसमें स्तनमर्दन, चुम्बन, क्लोटोरिस की मालिश, गले पर चुम्बन, नाभि को चाटना, स्तन की चुचुक (nipples) जीभ से चाटना व चूसना, धुली हुई योनि को ऊपर के भाग सहित चाटना, कान को होठों से दबाना आदि उत्तेजना वर्धक संवेदनशील स्थल हैं जिनसे आप अपनी साथी को कामोत्तेजित कर सकते हैं। पुरुषों के भी इन्हीं स्थलों पर व धुले हुए लिंग पर महिला अपने होठों के प्रयोग से उसे उत्तेजित कर सकती है यदि वह सम्भोग के लिये तैयार न हो। अस्थाई मुख मैथुन भी पुरुष के लिंग को शिथिलता की अवस्था से निकाल सकता है।
बाकी की 10% में से भी 8% वे हैं जिन्होंने एक बार चर्मोत्कर्ष हस्तमैथुन या किसी अनुभवी से प्राप्त कर लिया हो और फिर उससे दोबारा सेक्स करने का मौका न मिला हो। बाकी की 2% को ही मेरी तरह अनुभवी और संभोग के रहस्यों को समझने वाले पुरुषों ने चरमसुख हर बार और कई-कई बार दिया है और यही सबसे सुखी महिलाओं में भी गिनी गई हैं।
Note: सभी आंकड़े अनुभव और असली सर्वेक्षण से प्राप्त ज्ञान से अनुमानित। आंकड़ें पुलिसलाइन की पारिवारिक अदालत की सलाहकार, डॉक्टरों, मनोवैज्ञानिको और वक़ीलों से हुई बातचीत पर आधारित। इनमें समय के साथ अंतर आ सकता है। ~ Shubhanshu 2019©