कानून सबके लिए बराबर है। ऐसा कोई नियम नहीं जिसमें लिखा है कि व्यक्ति को विशेष अधिकार होने पर ही उसकी समस्या सुनी जाएगी।
अतः निंदा करना, कोसना, हिंसा इत्यादि सिर्फ राजनीतिक हलचलें हैं और यह नफरत दिखाने वाले सभी लोग चाहें खुद को किसी भी श्रेणी/वर्ग में क्यों न रखते हों सभी एक से दोषी हैं।
कानून के होते हुए भी नफ़रतें फैलाना, भारत में अस्थिरता लाने और धारा 144 को लागू करके राष्ट्रपति शासन लगाने की कवायद है ताकि जो नेता जीत नहीं पा रहे कम से कम और भी कोई नेता न बन सके की सोच से ग्रसित हैं। जो कि ईर्ष्या, वोट बैंक की रणनीति के अलावा कुछ न है।
दूसरे की लकीर छोटी करने की जगह अपनी रेखा बड़ी खींचो। यही सिखाया गया था स्कूल में मुझे। शायद ये लोग स्कूल के द्वारा प्रेम करना नहीं बल्कि मूर्तियों के द्वारा नफरत करना ही सीखे हैं। देश में सभी एक दूसरे से प्रेम करें। आंख के बदले आंख लोगे तो सब अंधे हो जाएगें। फिर टटोलते रहना क्योकि तब शायद आप अपने और पराए में भेद न कर सकें। बस फर्क इतना है कि वह समय बहुत ही कठिन होगा। बेहतर होगा आज ही एकदूसरे के काम आया जाए! ~ Shubhanshu SC 2018©
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