दोस्तों, जितने भी लोग नवेले नौसिखिया लेखकों की पुस्तकें पढ़ कर, फेसबुक पोस्ट पढ़ कर सीखते हैं कि अब तक जो उनको पढ़ाया जा रहा था वह गलत है और फलाना बात सही है आदि कह कर वास्तव में यह चुपचाप लोगों को भड़काया जा रहा है। उन पर अगर वास्तव में विधिमान्य प्रमाण उपलब्ध होते तो वे दावेदार कोर्ट जा चुके होते और जीत चुके होते।
FB पर इस तरह के भोले अर्धशिक्षित लोगों को कुछ लोग अपनी मैनिपुलेशन वाली किताबें और पोस्ट पढा कर भड़का रहे हैं। बिलकुल वैसे ही जैसे Anciant एलियन प्रोग्राम जनता को तो विश्वसनीय लगा लेकिन उसे खुद हिस्ट्री चेनल और मुख्यधारा वैज्ञानिकों ने नकार दिया।
इन सबका अध्ययन आप क्षद्मविज्ञान नामक विषय मे पढ़ सकते हैं। इसको समझना आम इंसान के वश की बात नहीं है इसलिये इसे क्षद्मविज्ञान की संज्ञा मिली है। इसमें टेलीपैथी, आध्यत्म, आत्माओं से बात करने वाले, तांत्रिक इत्यादि सभी आते हैं।
इसी तरह से होम्योपैथी, आयुर्वेद और यूनानी पैथी, रेकी, एक्यूप्रेशर, एक्यूपंक्चर, फेंगशुई, फीसियोथेरेपी आदि अवैध घोषित हैं मुख्यधारा में लेकिन लोग उनको अपनाते हैं और भारत सरकार उनकी पढ़ाई करवाती है और नौकरी भी देती है।
कुछ इसी तरह का होता है क्षद्म इतिहास। कुछ क्षद्मतिहासकारों और क्षद्मनिरिक्षकों को आप क्रमशः बौद्ध धर्म को सबसे प्राचीन, ब्राह्मणों को चम्पा और इंडोनेशिया से आया बताने वाले और EVM को पहले से सेट बताने वाले क्षद्म प्रमाण धारी मैनिपुलेशन विशेषज्ञ के रूप मे अपनी मित्र सूची में भी पा सकते हैं।
इस तरह के महान लोग बहुत सस्ते और free होते हैं। ये आपसे बाकायदा बहस भी करेंगे और इंटरनेट से उठा कर अपनी रिसर्च प्रस्तुत करेंगे जो सिर्फ मिलती जुलती और संयोगवश सिद्धान्त पर आधारित निकलता है। इस तरह के लोग सस्ती लोकप्रियता पाने, धर्म के प्रचारकर्ता और राजनैतिक कारणों से जनता में अज्ञानता भरने वाले होते हैं। जनता तो आपको पता ही है कि कितनी भोली है बेचारी।
उनको क्या पता कि क्या होता है विधिमान्य प्रमाण और क्या होता तर्क की कसौटी रूपी साइंटिफिक मेथड! हम तो यारों यूं ही बकते रहते हैं। हमारी कतई मत सुनना।
डिस्क्लेमर: निजी सोच। कोई भी बात आपको मानने की ज़रूरत नहीं है। केवल देख पढ़ कर निकल लीजिये। हम ठहरे मूर्ख। हम क्या जाने दुनिया की बातें। नमस्कार! ~ Shubhanshu SC 2018© 5:37 pm IST, 25 November 2018
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