Zahar Bujha Satya

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मंगलवार, नवंबर 27, 2018

आओ काटें धर्मो का जाल

4200 से ज्यादा religion हैं। जिनमें से कुछ खुद को धर्म नहीं मानते, धम्म/पंथ मानते हैं। जबकि इन विद्वानों को ये न पता कि धर्म की पहचान है खुद को दूसरे सभी से श्रेष्ठ बताना और साबित करने का प्रयास करना लेकिन कर न पाना। इसी कारण से इतने धर्म प्रचलन में हैं।

कोई कहता है कि धर्म का संस्थापक होना ज़रूरी है लेकिन यह भी ज़रूरी नहीं कि कोई एक व्यक्ति ही संस्थापक हो। कुछ धर्म ज्यादा लोगों ने मिल कर भी बनाये नए हो सकते हैं जो बाद में आपस में ही उलझ कर धुंधले हो गए। जबकि धर्म की पहचान है खुद को बाकी सब धर्मों से श्रेष्ठ बताना, किसी व्यक्ति, वस्तु, नाम (संज्ञा) की उपासना करना, जय घोष करना, प्रार्थना करना इत्यादि।

सोचिये अगर इनमें से एक भी खुद को श्रेष्ठ साबित कर पाता, तो क्या होता? बाकी सब धर्मों का वजूद मिट जाता। इसी से साबित होता है कि सभी धर्म झूठ की बुनियाद पर खड़े हुए हैं। अगर सत्य जानने में जुट जाओगे तो मेरे जैसे बन जाओगे यानि धर्ममुक्त!

नोट: क्षद्मविज्ञान से धोखा न खाएं। मुख्यधारा का विज्ञान ही सत्य है और इसकी पहचान होती है वैज्ञानिक विधि से। जो तर्कपूर्ण और प्रयोगात्मक है। खास बात यह कि यह विधि सभी प्रकार के धर्मों का खण्डन अपने निर्माण के समय ही कर चुकी है। यह कहती है कि अगर आपके पास सही समय, सही स्थान और सही उपकरण हो तो सब कुछ सम्भव है। 😀 ~ शुभाँशु सिंह चौहान 2018©

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