सवा सौ रुपये के पौवा में बिकने वाला वोटर FB से क्रांति लाएगा तो ऐसा सोचना भी मूर्खता ही है। जो महंगे घरों में, ac की ठंडक/गर्मी में लेट कर महंगे लैपटॉप या फोन पर आपकी पोस्ट पढ़ते हैं, वे आलसी बड़े घरों के विद्वान तो वोट देने ही नहीं जाते कभी। उनकी वाह वाही से उछलना भी मूर्खता।
ज्ञात हो कि भारत में लगभग 60% से ज्यादा मतदान नहीं होता और इसमें से भी 10% भ्रमित युवा और 50% मतदाता अनपढ़, मजदूर और गरीब होते हैं जिनको लालच देकर ट्रैक्टर ट्राली में भर कर लाया जाता है। ~ ज़हरबुझा सत्य वाया Vegan Shubhanshu SC 2018©
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