प्रायः स्त्री को किसी पुरुषों से अलग सुरक्षा की ज़रूरत नहीं लेकिन जिस परिवेश में उसे रखा गया है वहाँ लड़को और लड़कियों को एक दूसरे से अलग रखा जाता है। लड़कियों को सेक्स की बातों से अनजान और व्यस्त रखा जाता है। उनके tv तक देखने पर नज़र रखी जाती है। इस कारण लड़कियों को विवाह होने तक सेक्स के बारे में सिर्फ यही पता होता है कि यह कोई गन्दी बात है। इसे नहीं करना है।
दूसरी श्रेणी की लड़कियां इसे शादी के बाद ही सही मानती हैं (व्यभिचार को पाप मानने के कारण), इस कारण शादी से पहले ये पाप न हो जाये इसलिये उनको समाज द्वारा आज़ाद छोड़े गए लड़कों से जो सब कुछ जानते हैं (लेकिन सब अफवाह और घटिया सोच के साथ) जबरन सेक्स कर लिए जाने का खतरा बना रहता है।
लड़कों को भी धर्म/समाज यह सिखाता है कि लड़की को अपना शील (hymen, कौमार्य) सुरक्षित रखने के लिये घर के भीतर कैद रहना चाहिए और लड़कों से दूर भी। सभी को भाई समझना चाहिए। भाई मतलब जिससे सेक्स सम्बन्ध बनाना धर्मानुसार पाप हैं।
ये भी एक अंधविश्वास है क्योंकि विज्ञान के अनुसार बच्चा सुरक्षित सेक्स सम्बंध से नहीं बल्कि सही समय पर शुक्राणु और अंडाणु के मिलने से बनता है।
हालांकि रक्तसम्बन्धो में उतपन्न होने वाले बच्चों में जंतुविज्ञान में एक आशंका जताई जाती है कि बच्चे में कुछ दोष हो सकते हैं जबकि वास्तविक वर्तमान में ऐसा कुछ नहीं देखा गया है, वैसे ही जैसे जंतुविज्ञान का एक पाठ यह कहता है कि 20 ज़रूरी अमीनो अम्लों में से 10 को मनुष्य वनस्पति से प्राप्त नहीं कर सकता। उसे उसके लिये जानवर खाने होंगे। जबकि हकीकत और वर्तमान में ऐसा कभी देखने को नहीं मिला।
यह पाठ भी इसी पाठ की तरह संदिग्ध है। जिसे भविष्य में किसी बड़े आंदोलन के बाद हटाया जाएगा क्योंकि दरअसल जंतुविज्ञान की नींव पशुउत्पाद बेचने के लिये ही रखी गई थी न कि ज्ञान के लिये। इसके लिये ही जंतु विज्ञान, आर्थिक प्राणी विज्ञान नामक पाठ पर समाप्त होता है।
इस तरह समाज के बद्तमीज टाइप लोग अपने आसपास के लड़कों को यह धर्म सलाह देते हैं कि ऐसी महिला/युवती जो घर से बाहर, अकेली, कम कपड़ों में, लड़के से बात करती दिखे वह सेक्स की भूखी है। लेकिन समाज के डर से वह सबके सामने न ही कहेगी। लेकिन उसकी "न में ही हाँ होती है" और अगर वह सिर्फ आपको न बोले लेकिन किसी अन्य को हाँ, मतलब मामला प्रेम का है तो ये उसके माता-पिता की इच्छा का अपमान है।
अतः इसकी सज़ा के रूप में इसका बलात्कार किया जा सकता है क्योकि इनकी नज़रों में उसका प्रेमी पहले ही उसकी इज़्ज़त लूट चुका है, अतः अब सब इसकी इज़्ज़त लूट सकते हैं।
इस तरह की सोच ही समाज का निर्माण देश-विदेश, जहाँ भी धर्म जीवित हैं और व्याभिचार (fornication) शब्द को बुरी नज़र से देखा जाता है, हुआ है। विश्व भर में इस समस्या से जूझ रही है महिला।
व्यभिचार का सही अर्थ होता है:
संज्ञा: व्यभिचार (fornication)
उपयोग: वल्गर
एक-दूसरे से शादी नहीं करने वाले व्यक्तियों के बीच सवैच्छिक संभोग
~ विवाहेतर सेक्स, मुफ्त प्यार
विवाहेत्तर यौन संबंध जो जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण रूप से विवाह संबंधों में हस्तक्षेप करते हैं
= व्यभिचार
~ विवाहेतर सेक्स, मुफ्त प्यार
यह 2 अर्थ दिए गए हैं शब्दकोश में इस शब्द के। मूल अर्थ है कि विवाहित स्त्री पुरुष किसी अन्य विवाहित या अविवाहित से सेक्स न करें। जबकि मूल मकसद वंश को शुद्ध और एक ही घर में रखना था।
कारण भी उस समय जायज था क्योंकि गर्भ निरोधन, pull out गर्भनिरोधक विधि (यानी स्खलन से पूर्व ही लिंग बाहर खींच कर योनि से बाहर वीर्यपात करना) कोई नहीं जानता था। बाकी कुछ लोगों को पता नहीं था कि महिला केवल माह में 7 दिन बच्चे पैदा करने और सम्भोग करने के लिये स्वतः ही उत्तेजित होती है। अतः वे 2 भिन्न गलत फ़हमियों में भी पड़ गए।
1. लड़कियों को प्रायः सेक्स में रुचि नहीं होती। जिसे होती है वह चरित्रहीन है।
2. एक बार सेक्स करने से बच्चा नहीं होता।
ये दोनों ही बातें केवल अज्ञानता के कारण ही पैदा हुई हैं। कारण इतना सा है कि महिला का मासिक चक्र प्रायः 28 दिन का होता है जिसमें सिर्फ मध्य का 1 दिन अण्डोत्सर्ग होता है और उसी दिन से 3 दिवस पूर्व और 3 दिवस बाद तक ही वह उपजाऊ (fertile) होती है। बाकी दिनों में यदि वह इसकी आदत न डाले हो तो वह स्वतः कामुक नहीं होती।
जबकि पुरुष का वृषण में बनने वाला टेस्टोस्टेरोन हार्मोन उसे लगभग हर समय (सुबह के समय सबसे अधिक) उत्तेजित रखता है कि वह स्त्री के शरीर (अधिकतर मामलों में सुडौल) को देखते ही यौन उत्तेजना महसूस करने लगते हैं। यह सब नार्मल है। लेकिन इस पर नियंत्रण करना अधिकतर लोग जानते हैं क्योकि मनुष्य जब तक खुद को घमण्डी और ताकतवर और उच्च न समझे तब तक वह दूसरों की इच्छा और सहमति का सम्मान करता है।
अतः यह सब मिलकर समाज की दशा निर्धारित करते हैं जिनमें महिलाओं को ही दबा कर रखा जाता है क्योंकि उनको लड़कों से दूर रख कर क्योंकि वे व्यायाम वाले कार्य करते हैं; अन्य कमज़ोर महिलाओं की संगत में रखकर कमजोर बना दिया गया है। जबकि महिलाओं में भी ताकतवर महिलाएं समूह में नेतृत्व या गुंडागर्दी करती पाई जाती हैं।
अधिक जानकारी जैसे कौमार्य की सच्चाई आदि के लिये हमारा विशेष लेख "राज़ प्रेम का" हमारी वेबसाइट पर पढ़ें। 2019/01/01 18:47 ~ Vegan Shubhanshu Singh Chauhan 2018©
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