Zahar Bujha Satya

Zahar Bujha Satya
If you have Steel Ears, You are Welcome!

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शुक्रवार, जनवरी 25, 2019

भविष्य का मुसाफिर वर्तमान में

केवल बुद्धिमान लोगों को ही मेरी बातें समझ में आ रही हैं। जो 1-2 लोग हैं। पहले कॉलेज में भी सबने यही कहा कि आपकी बातें बहुत समय आगे की हैं और अब यहाँ भी यही साबित भी हो रहा है कि दुनिया मुझसे कितना पीछे चल रही है। 

कमाल है कि मेरे साथ समय से आगे चलने वाले सिर्फ 3-5 लोग ही होंगे। ये भी ज्यादा ही लिख दिए। अभी लगभग पूर्ण मुझे एक ही मिला है। बाकी हैं कुछ जने आधे-अधूरे। अपनी क्षमता के अनुसार कदम आगे बढ़ा लिये। कदम से कदम मिला कर चलने वाले चाहिए।

अभी हम 2 हैं। उम्मीद है हम 2, पूरे 11 से कम नहीं हैं। 2 और मिल जाते तो 22 हो जाते। लेकिन इतना बदलने के लिये त्याग कौन करे बुराइयों का? सबको सांचों में ढलना है। सांचे बनाने के लिये बड़े लोग चाहिए। सब छोटे ही बने रहना चाहते हैं। कम्फर्ट ज़ोन हैं सबका। रूटीन लाइफ जी रहे हैं। मर मर कर। बेचारे। जी लो एक बार खुल कर। एक ही जीवन मिला है। इसे बर्बाद मत करो।

पहले कश्मीर जी थे, साथ लेकिन उनसे भी कुछ मुद्दों पर (जैसे राजनीति, सर्वभक्षी जीवनशैली आदि) मतभेद थे। अब वे खुद ही नहीं रहे तो उनका अभियान ठप सा हो गया है। वे खुद रचनाकार थे। उनकी शैली अलग थी और महत्वाकांक्षाओं का गुलदस्ता भी। मैं उनके साथ था लेकिन मेरा विषय/रास्ता कुछ अलग था। इसलिये हम लोगों की अलग-अलग 2 वेबसाइट बनीं।

काश्मीर जी- http://www.dharmamukt.com

Shubhanshu जी- http://zaharbujhasatya.dharmamukt.in

समय आने पर book निकलवाई जाएगी उनकी रचनाओं की। लेकिन हम अभी भी धर्ममुक्त हैं और रहेंगे। जिसको धर्म के पक्ष में आकर अपनी ऐसी-तैसी करवानी है, वह करवा सकता है। हम पर पूर्ण आत्मविश्वास है।

जब तक कोई हमें चुनौती नहीं देता तब तक ही हम शांत रहते हैं। बहस की जगह प्रमाण और तर्क से सीधा और सरल समाधान करने की मेरी कोशिश रही है।

मकसद धर्म और पाखण्ड हटाना नहीं था कभी। मकसद था कि लोग सत्य जानें। सत्य जानकार कौन गंदगी में रहेगा? इसलिये दलदल में एक रस्सी फेंकने का काम है मेरा। उसे पकड़ के बाहर आना आपका। ~ Shubhanshu SC Vegan, dharma mukt. 2019© january.

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