आप positive और निगेटिव को मुख्यधारा के विज्ञान से समझिये। इंटरनेट पर जो इस संदर्भ में ऊर्जा होने का उदाहरण देते हैं, कम्पन होने की कल्पना करते हैं; इस तरह के लिंक pseudoscience से प्रेरित कहलाते हैं। यानी सही बात को गलत तरह से जादू बना कर पेश करना। सच्चाई छिपाना।
Postive मतलब affermative वाक्य। अर्थात हर वह वाक्य जिसमें न, मत, मना, नहीं आदि शब्द अनुपस्थित होते हैं।
निगेटिव में यही शब्द होते हैं। बस यही होता है सोच का फर्क।
साथ ही लापरवाही भी पोसिटिव वाक्य में हो सकती है। इसलिये positive को हम प्रीवेंटिव शब्द से सपोर्ट करके शुद्ध करते हैं। यानी वह सकारात्मक सोच जो लापरवाही और असुरक्षा से ग्रस्त न हो वही सकारात्मक (positive) सोच है। इसमें कोई वाइब्रेशन या ऊर्जा नही होती है बस समझने के लिये और जादुई महसूस करने हेतु ऐसा बोला जाता है ताकि लोग इसकी ओर आकर्षित हो सकें।
बिल्कुल एक विज्ञापन की तरह जैसे निरमा साबुन में लड़कीं दिखाई जाती है लेकिन लेने जाओ तो सिर्फ साबुन मिलेगा। लड़की
नही देंगे दुष्ट। समझ गए या और समझाएं? ~ Shubhanshu SC Vegan 2019©
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