संघ: परीक्षा देनी होगी। ये बताओ जो मूर्ति हमने लगवाई है, सब थूक रहे। आपका क्या कहना है?
शुभ: 3000 करोड़ की चीन से डील करके बहुत बढ़िया कार्य किया गया है। चीन को इस मेहनत के लिए शत शत नमन। हमारी क्या औकात जो make in india कर सकें। हम कोई चीन से आगे थोड़े ही न हैं। 2 बार आक्रमण करके इस देश ने जो भी किया उसे 1 डील से भुलाने का बहुत शानदार कार्य किया गया है इसके लिए आपको भी शतशत नमन क्योकि आपकी ही एक शाखा राजनीति में इस समय सक्रिय है जिसके कर कमलों से महान वैज्ञानिक रिसर्च और प्रोजेक्ट्स को वित्तीय सुविधा देने के कार्य को रोक कर इस महान मूर्ति को प्राथमिकता दी गई। उसका बजट इसमें लगवा दिया इससे देश में विज्ञान की बातें करनी कम होंगी और धर्म से लोग ज्यादा जुड़ेंगे। साथ ही अगले सत्र के लिए सीट भी पक्की करनी है। क्रांतिकारी को सामने रखने से जनता इमोशनल flower बनके fool को वोट देगी और हम लोगो को वेतन मिलेगा। तो sir कैसा रहा मेरा विश्लेषण?
संघ: अरे, इसे कौन लाया था, उसे भेजो इधर? तुम जाओ बेटा। अभी जगह कम है यहाँ। फिर कभी try करना।
संघ में भर्ती हमारा दोस्त: जी सर, क्या हुआ? कोई समस्या?
संघ: देखो, अपना बोरिया बिस्तर लेकर निकल लो।
दोस्त: लेकिन sir ये तो भक्त है। इसने क्या गलत कह दिया भला?
संघ: देख बे, भक्त है मानते हैं। इसीलिए ज़िंदा भेज रहें हैं लेकिन हमें अंधभक्त चाहिए। समझा? ये तो साला सत्यवादी हरीशचंद्र का बाप लग रहा है। 2 मिनट पहले तो मैं अपना इस्तीफा तक देने की सोचने लगा था। फिर साला होश आया कि नहीं, ये साला कोई जादू कर रहा है हम पर। बस फिर क्या था हम फिर से संभल गए लेकिन बाकी लोगों की मुझे कल एक्स्ट्रा क्लास लेनी पड़ेगी क्योंकि साला आज हमारी कोई बात ही नहीं मान रहा है। कोई बोला कि बात तो सही कह रहा है लौंडा। गलती हुई है। हद हो गई यार। अब निकल बे। कोई और शाखा जॉइन कर ले। इधर मत आना तुम दोनों। खाल उतार के भूसा भरवा दूँगा। जय श्री आम। ~ Shubhanshu Singh Chauhan 2019© Vegan
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