Zahar Bujha Satya

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रविवार, मार्च 31, 2019

प्यार बांटते चलो ~ Shubhanshu

शुभ: एक बार में सिर्फ एक के साथ ही सम्बन्ध क्यों रखूँ?

धार्मिक स्त्री: एक बार में एक को ही तो प्यार कर सकते हैं। 1 से ज्यादा में प्यार बंट जाएगा।

शुभ: क्या हम प्यार को बांटे बिना रह सकते हैं? यह बताओ, तुम्हें प्यार करूँ या अपने माता-पिता-भाई-बहन को भी?

धार्मिक स्त्री: अब वो तो...

शुभ: बच्चा तो नहीं पैदा करना है? क्योंकि फिर हमारा प्यार उसमें भी बंट जाएगा। 1 से ज्यादा बच्चे पैदा हुए तो प्यार के और भी टुकड़े होंगे। क्या प्यार बिना बंटे रह सकता है?

धार्मिक स्त्री: अब वो मैं...

शुभ: तुमको कुत्ता भी पालना है। उसकी भी बहुत परवाह है तुम्हें। उसने भी तुम्हारा और मेरा प्यार बाँट लिया। फिर तुम तो धार्मिक हो, ईश्वर को सबसे ज्यादा प्यार करती हो जैसे मीरा का श्याम। फिर मैं भी शिव और राम की भक्ति करूँ, फिर देश से भी प्रेम करूँ तो प्यार के कितने टुकड़े करूँ? और जब इतने टुकड़े करने ही हैं तो फिर ये सौत कह कर अपनी ही साथी और मेरी प्रेमिका का अपमान क्यों? क्या यह सिर्फ तुम्हारी सम्पत्ति पर एकछत्र कब्जे की गन्दी नियत नहीं है?

धार्मिक स्त्री: ओह! ऐसा तो मैंने कभी सोचा ही न था। सॉरी शुभ। मुझे लोगों ने बुरा बना दिया था। अब मैं भी किसी को पसन्द करुँगी तो तुमको बता कर उसके साथ समय बिताउंगी। कोई समस्या तो नहीं?

शुभ: बिल्कुल! बात बराबरी की है तो रहेगी। बस कोई यौन गुप्त रोग मत ले आना। जैसे मैं प्रोटेक्शन रखना चाहता हूँ तुम भी रखना।

धार्मिक स्त्री: कौन हो आप गुरुदेव? मुझे जीत लिया आपने।

बातें बड़ी करते हैं लोग कि प्यार बांटते चलो लेकिन जब बांटने की बारी आती है तो नफरत से भर उठते हैं। ये कमिटमेंट करने की प्रथा खत्म करो। आप खुद को धोखा नहीं दे सकते। आपकी बायोलॉजी और कैमिस्ट्री ही ऐसी है कि एक ही व्यक्ति से जुड़ा नहीं रख सकती आपको। प्यार बांटने की चीज़ है। इसे बांटो। किसी को मना मत करो। सभी को अपना लो। सबको आत्मनिर्भर रखो। किसी का भार मत उठाओ। life एक है और इसे जीने का हक है सिर्फ आपका। 2019/03/31 15:17 ~ Shubhanshu 2019©

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