पूरे विश्व में बच्चा पिता का माना जाता है। उसका ही वंश उसके पुत्र से चलाया जाता है। माँ का कार्य केवल बच्चा पैदा करके पालना होता है। इसीलिए चाहें वो किसी भी जाति, धर्म, वंश, रंग, स्थान की हो, स्वीकार कर ली जाती है। इसीलिए love जिहाद जैसा गिरोह बना जो हिन्दू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसा कर विवाह करता था। क्योंकि लड़की कोई भी हो, वंश लडके का चलता है। मेरी बहन ने भी भाग कर एक मुसलमान लड़के से विवाह कर लिया था। अब हमारा और उसका कोई सम्पर्क/सम्बन्ध नहीं है।
हर कहानी, हर फिल्म में आप देख सकते हैं कि जब लड़की विवाह पूर्व गर्भवती होती है तो वो सबसे एक ही सवाल सुनती है, "किसका बच्चा है?" इसका अर्थ ये हुआ कि समाज बच्चा महिला का नहीं मानता। इनके अनुसार महिला केवल एक पात्र है जिसमें बच्चा पुरुष रख गया। आज कानून भी बच्चे के पिता को ही बच्चे का मूल स्वामी मानता है और इसी वजह से बच्चे की मां का परिवार नाम बदल कर लड़के के परिवार नाम पर रख दिया जाता है। जो बताता है कि लड़की कोई भी हो चलेगी। उसके कोई गुण नर बालक में नहीं आते।
मेडिकल साइंस के अनुसार भी नर बालक में पिता के गुण ही प्रभावी होते हैं। इसी तरह मादा बच्चे में भी सिर्फ माँ के ही गुण प्रभावी होते हैं। अतः यदि कोई ब्राह्मण यदि किसी बहुजन या किसी भी अन्य वंश की स्त्री से विवाह कर ले तो उसका वंश ब्राह्मण ही कहलायेगा।
कपोल कल्पित वाल्मीकि रामायण के रचयिता रत्नाकर थे जो कि ब्रह्मा के मानस पुत्र ऋषि प्रचेता और माँ चार्शिणी (वर्ण अज्ञात) के पुत्र थे। अतः ये भी ब्राह्मण थे। इनका नाम बाद में वाल्मीकि पड़ गया था।
अब आते हैं रावण के वर्ण और राष्ट्रीयता पर। पुस्तक के अनुसार रावण सीलोन नामक देश में रहता था जिसे आज श्री लंका कहा जाता है। यह एक दूसरा देश है जो भारत से बिल्कुल अलग थलग है। अतः रावण विदेशी था। रावण के पिता ब्राह्मण ऋषि विश्रवा और माता का नाम राक्षसी कैकसी था। अतः उपर्युक्त विवेचनानुसार रावण भी ब्राह्मण था। इतिसिद्धम! ~ Shubhanshu 2019©
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