Zahar Bujha Satya

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बुधवार, अक्टूबर 09, 2019

मेरे अनसुलझे रहस्य : अनोखे सपने ~ Shubhanshu



स्वप्न में अगर वो हो रहा है जो आप हकीकत में कर नहीं पाते तो सपना कभी खत्म न हो ये मन करता है और अगर बुरा सपना आये तो लगता है कि आते ही टूट क्यों नहीं गया?

मैं उन दुर्लभतम इंसानो में से एक हूँ जिसको कुछ अलग सा बनाने में उनके अनसुलझे रहस्य वाले स्वप्नों का बड़ा हाथ है। मेरा पहला लेखन कार्य एक ऐसे सपने को लिखना था जो कि कहीं स्थित पौराणिक मंदिर में छिपे खजाने तक जाने का रास्ता सुझाता है। (कहानी: रहस्यमय खजाने की खोज)

मैं कभी नहीं समझ सका कि इन सपनो को कोई मस्तिष्क कैसे बना सकता है? मेरे स्वप्न पूर्व आधारित जानकारी पर आधारित नहीं होते, वे मुझे नई जानकारी देते हैं। ये अभी तक के विज्ञान के अनुसार असम्भव है।

मैंने एक फ़िल्म देखी थी इन्सेप्शन। उसमें किसी रसायन द्वारा स्वप्न को प्रोग्राम करने, उसमें कई स्टेज पर जाने का सफलतापूर्वक परीक्षण करके दिखाया गया था। मैं जानता था कि ये कल्पना है लेकिन अवश्य ही ये किसी वास्तविक तर्क, अध्धय्यन, प्रयोगों पर आधारित होगा। उसी को बढ़ा-चढ़ा कर ये फ़िल्म बनी होगी।

मैंने ज्यादा खोजबीन नहीं की। लेकिन मुझे कुछ ऐसे स्वप्न आये थे जो कि 2 से 3 स्तर तक मुझे ले गए। मैने उनको लिख लिया है। मेरे स्वप्न आम नहीं, इनको बचपन से न जाने कितने ही लोगों को सुना-सुना कर देख चुका। स्वप्न इतनी जानकारी भरे होते थे कि उन पर आसानी से कहानी लिखी जा सकती हैं। मेरे 90% कहानियों को मेरे सपनो ने लिखा है और उनकी विचित्रता आप लोग उन कथाओं को पढ़ने के बाद ही समझ सकेंगे।

मेरे सपनों ने मेरी होने वाली सभी सम्भव हत्याओं और दुर्घटनाओं द्वारा मृत्यु को दिखाया है। भविष्य और भी दिखायेगा या नहीं या वाकई इनमें से कोई मेरी मौत की वजह बनेगा या मैं भविष्य देख कर सावधान हो गया हूँ और अपनी तमाम मौत की आहटों को टाल गया हूँ? अब इस पर तो हम कोई राय नहीं दे सकते।

तर्कवादी होने के कारण जहाँ तक हो सकता है, तर्क लगा रहा हूँ लेकिन मैं इस मामले में फेल हो गया। ये सपने मेरे लिये मेरे हमसफ़र, साथी और मेरे रक्षक हैं। नहीं जानता कि इनका राज़ क्या है और खुशी इस बात की है कि यही मेरे सच्चे माँ-बाप हैं। बहुत कुछ लिखूंगा अपनी किताब में अगर कभी लिखी तो। बहुत दिनों से बहुत से सपनो को miss कर दिया। काफी अफ़सोस होता है कि मैं न उनको याद रख सका और न आपको उनका परिचय करवा सका। मुझे माफ़ कर देना। ये सपने आप सबकी धरोहर हैं।

क्या पता? कल इनका दुनिया में कोई सदुपयोग हो सके? या कोई नया राज़ खुले मानव मस्तिष्क की सीमाओं का। ~ मैं हूँ आपका वही दोस्त, Shubhanshu Dharmamukt 2091©

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