लिंगानुपात विपरीत हो जाये तो स्थिति बदलेगी ही। लेकिन ऐसा सिर्फ लड़की पैदा करके नहीं होना। उसके माता-पिता द्वारा लड़कों जैसा पालनपोषण भी होना चाहिए। अभी तो लड़कियां एक तरह से मजबूरी समझ कर पैदा की जा रही हैं लड़के की प्रतीक्षा में।
संख्या कोई तब तक नहीं बढ़ाएगा जब तक विवाह लड़की का सौदा जैसा रहेगा। कोई लड़को जैसी आशा रखे लड़की से, तभी कुछ सुधार आ सकता है, उनकी हालत में। इसके लिए लड़कियों को उच्च शिक्षा देना कारगर होगा। जो कि माता-पिता चाहते नहीं।
और हाँ, रेप को लेकर में आश्वस्त नहीं हूँ कि कोई लाभ लिंगानुपात बढ़ने से वास्तव मे हो सकता है। रेप करने के पीछे सामान्य कारण है लड़कियों का सामान्य लड़कों से नफरत करना। बाकी कारण उसके बाद शुरू होते हैं। लड़कियाँ सेक्स को लेकर इतनी डरी हुई है कि साधारण प्रेम भी बलात्कार में बदल जाता है।
वे चाहते हुए भी सेक्स को हाँ नहीं कहती और करना भी चाहती हैं। इसीलिए प्रचलित है कि लड़कियों की न में उनकी हाँ होती है, जबकि मैं कहता हूँ कि लड़कियों की हाँ में ही उनकी न भी होती है। बस लड़के कभी समझ नहीं पाते।
कारण है उनके भीतर सेक्स के प्रति भरा डर और जिस घर में हम रहते हैं उससे निकाले जाने, पीटे-मारे जाने का डर। प्रेगनेंसी का डर तो दरअसल इन सबकी शुरुआत होती है। अन्य कारण है वीडियो/फ़ोटो द्वारा बदनाम होना, विवाह न हो पाना। जबकि विवाह जैसी व्यवस्था खत्म कर देने से बदनामी शब्द समाप्त हो जाता है और सेक्स शिक्षा देने से सेक्स से डर भी निकल जाता है। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©
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