बहुमत का ही मूल्य होता है। जो लोग नेता नहीं चुने उनकी कोई वैल्यू ही लोकतंत्र में नेता चुनने में नहीं होती। दरअसल जिस तरह से पुराने नेता ही बार-बार सत्ता में आकर गाली खाते हैं उससे जो विपक्षी है वे भी एक से दोषी हैं। वोट न देने वाले ही किसी भी प्रकार से दोषी नहीं हैं।
इसीलिए पढ़ालिखा धनी वर्ग कभी वोट देने के लिये ट्रॉली में भर के और धक्के खाकर लाइन में लग कर वोट देने नहीं जाता।
सिर्फ पैसे के लालच में गरीब और मध्यम वर्ग का वह तबका जाता है जो किसी न किसी धार्मिक, जातीय, या नफ़रत की भावना से या फिर वोट देना ज़रूरी है ऐसा समझ कर देने जाता है। छात्र तो अपने छुटभैया नेता के साथ मिल कर गुंडागर्दी कर सकें इसलिये अपने जानने वाले को वोट देकर लुभाते हैं।
और ये नेता कौन बनने आता है? गली का गुंडा, पुजारी, नेता का लड़का, उसकी पत्नी, बेटी, कोई व्यापारी, अभिनेता-अभिनेत्री, कोई संत, साधु, प्रसिद्ध हस्ती, अंडरवर्ल्ड के लोग आदि आसानी से नेता बन जाते हैं। अच्छे लोगों को नेता बनाने के लिये अन्ना हजारे जैसा आंदोलन ही कभी-कभी काम कर सकता है और वैसा आंदोलन बार बार नहीं होता।
कुछ लोग कहते हैं कि जो वोट नहीं देते उनके कारण गलत नेता चुने जाते हैं तो वे मूर्ख हैं क्योंकि जो वोट देना नहीं चाहता वो नोटा का बटन दबाएगा और उससे क्या बदल जायेगा? ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©
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