महिला (मादा) को डरा कर रखा जाता है। वो अपने मन की बात कह नहीं पाती। पुरुष को ज्यादा आज़ाद रखा जाता है इसीलिए पुरुष प्रधान दुनिया हो गई। बात सिर्फ बच्चा पालने की थी जिसके कारण महिला के हाथ बांधे गए। बाकी सभी जानवरो में मादा ही सबसे ज्यादा मजबूत और खतरनाक होती है। इंसांनो में भी यही सत्य है लेकिन परवरिश और सामाजिकता ने शेर को गीदड़ बना कर रखा है और इसका प्रमुख ज़िम्मेदार धर्म और संस्कृति हैं।
अपराध सदा से होते रहे हैं। आज मीडिया बिजनेस बन गया है तो खबर फैलाने का काम करने लगी है। पहले बात दबा दी जाती थीं आज सनसनी बना कर note कमाए जाते हैं। खुद देखिये कोई दुर्घटना हो जाये तो लोग उसकी वीडीओ बनाते हैं न कि मदद करते हैं। आज सनसनी मनोरंजन की तरह फैल रही है।
बाकी जो नृशंसता बढ़ी है उसके पीछे कानून का डर है। अपराधी को लगता है कि न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। इसलिये वो हत्या करना बेहतर समझते हैं बजाय कैद होने के।
समस्या तो ये कुंठा है जो सामाजिक बंधनो के कारण उपजती है। जानवर आज़ाद हैं विवाह और कपड़ो से और वे प्रकृति के अनुसार जीते हैं। जबकि इंसान को बंधनो और कानून के जाल में फंसा दिया गया है वो अब मर जाना चाहता है अपराध करके ही सही। जैसे आप सब देख रहे कि लोग मरने के लिये ही बलात्कारी बनते हैं। सेक्स इतना ज़रूरी हो गया है और मिल नहीं पा रहा। समस्या ज़रूरत अधिक और उसकी आपूर्ति की कमी है। इसीलिये छीनाझपटी मची हुई है।
आप भी कानून तोड़ दोगे अगर भोजन करने पर 7-10 साल की कैद की सज़ा रख दी जाए। आप भी छीनोगे रोटी किसी रोटी वाले से और मार डालोगे उसे जला कर क्योंकि ज़िंदा छोड़ेंगे तो जेल जाना पड़ेगा और कौन जेल जाना चाहता है?
99% प्लान बना कर हत्या करने वाले हत्यारोपी कभी पकड़े नहीं जाते। इसी कारण सुपारी लेकर हत्या करने का व्यवसाय तक बना लिया गया है। कानून हत्या रोकने में विफल है। वही पकड़ा जाता है जो खुद ही पकड़ा जाना चाहता है। दरअसल लोग दूसरे को तभी मारते हैं जब खुद की जान की कोई चाहत नहीं बचती या फिर वे आत्मरक्षा में मार डालते हैं। 1% संस्कृति और इज़्ज़त की ख़ातिर कत्ल करके अपनी मौत/आजीवन कारावास को चुन लेते हैं।
Note: दिल्ली की बस में ज्योति की नृशंस बलात्कार के बाद हत्या करने के केस में मिली फांसी की सज़ा के 6 साल बाद भी कानून अभियुक्तों की तरफ से सजा कम करने की अपील, राष्ट्रपति से फांसी को उम्रकैद में बदलने की याचिका का इंतज़ार कर रहा है। अभी हाल ही में 7 दिन का उनको नोटिस दिया है कि अपनी जान बचाने की कोशिश कर लो नहीं तो 7 दिन बाद कभी भी फांसी हो जाएगी। ज़ाहिर है कि उनको मरना ही पसंद है। ~ ज़हरबुझा सत्यवादी शुभाँशु 2019©
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