एक बार सभी धर्मो के ईश्वर और उनके मृत संस्थापक घर आकर
बोले: हमको क्यों नहीं मानता है बे?
शुभ: नहीं मानूँगा। क्या कर लोगे?
त्रिशूलधारी: क्या बोला बे?
गजमानव: अरे काहे गुस्सा हो रहे हैं पिता जी?
शूलीधारी: आओ साथियों, यहाँ गुस्से से काम नहीं चलेगा।
पगड़ी-दाढ़ी धारी: ये आदमी खतरनाक है। कुछ करना पड़ेगा।
छुरी धारी: जो बोले...सो निहाल...निकालेगा कोई हल।
नग्न पुरुष: अहिंसा परमो धर्म:।
घुंघराले बाल धारी: आइए शांति से बात करते हैं।
(सब मिल कर मंत्रणा करते हैं)
सभी एक साथ: तय हुआ है कि भूख हड़ताल करेंगे।
शुभ: आप सब तो अमर हो। लगे रहो। हाथ कंगन को RC क्या? पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या? शुरू हो जाओ।
तब से ये सब दिल्ली के रामलीला मैदान में आमरण अनशन पर हैं। 10 साल हो गए। इसलिये आपकी मदद नहीं कर रहे। परेशान न हों। दिल्ली चलो। इनके साथ अनशन पर लग जाओ। शायद कोई मदद कर दे। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें