एक लड़के का गैंग रेप हुआ था कुछ अमीर लड़कियों द्वारा। दूसरी घटना में होस्टल में प्रेमिका से मिलने आये के साथ हुआ। हॉस्पिटल जाना पड़ा।
इन घटनाओं ने आज से 35 साल पहले न सिर्फ महिलाओं के बलात्कारी पुरुषों में डर पैदा कर दिया बल्कि कई सालों तक महिलाएं खुले आम मनपसंद कपड़ों में घूम सकी थीं। फिर दोबारा से जब लोग इन घटनाओं को भूल गये तब फिर से पासा पलट गया।
डर से किस तरह के बलात्कारी प्रभावित होते हैं? यह वे होते हैं जिनको लगता है कि महिला ने उनकी बात नहीं मानी जबकि वह तो भोग्य है यानी पुरूष अहं/male ego वाले ऐसे लोग जो उसे बस सम्भोग की विषयवस्तु मानते हैं। इन लोगों की पहचान है कि यदि आप कुछ भी विपरीत लिंग जैसा करेंगे तो यह आपका मजाक उड़ाएंगे।
यह दोनो वर्ग में हो सकता है। जगह और स्थान बदलने पर लोगों की सोच विपरीत भी हो सकती है यानी महिला भी पुरुष के साथ वही व्यवहार करने लगती है जैसा उसने किया था। बात इस पर निर्भर करती है कि प्रभावी (dominant) कौन है।
जो भी प्रभावी है उसके मन में ऐसा धर्म/समाज/संगत/शिक्षा मिलकर डालता है। ये वे लोग भी हैं जो लड़कीं को खुली तिजोरी समझते हैं और हीरा/सोना जैसा बहुमूल्य सम्पत्ति बताते हैं। यही लड़कों के मामले में भी कुछ जगह पर।
अभी हम महिला के विषय में बात करेंगे:
यह क्या चक्कर है? महिला और सम्पत्ति? जी हाँ। भूल गए वह उपन्यास जिसको महाभारत कहा जाता है? भूल गये वह उपन्यास जिसे वाल्मीकि रामायण कहा जाता है?
महाभारत: पांडवों पर धन/सम्पत्ति समाप्त हो गयी। पँचाली को दांव पर लगा दिया।
वाल्मीकि रामायण (पौलस्य वध): राम से अपनी सगी बहन के ऊपर किये गए विवाहित से प्रणय निवेदन के विरोध में अत्याचार और अंगभंग के विरोध में राम की पत्नी का अपहरण क्योंकि राम पर धन नहीं था वनवास के दौरान। एक मात्र सम्पत्ति उनकी सीता ही थी।
अब? सम्पत्ति किसके लिये है? सीधी बात विपरीत लिंग के लिये या समान समलिंगी के मामले में। कारण? प्रजनन की प्रकृति/पृवृत्ति/इंस्टिंक्ट; हर हाल में अपनी सन्तति को उतपन्न करके अपनी प्रजाति को बनाये रखना। उसके लिए अबोध मन मे बना हार्मोनल सिस्टम। जिसे हवस कहिये या lust। दोनो में होता है यह।
बल्कि LGBTQ में भी। वह पृकृति में बस बन गए उसकी (रैंडम) गलती से लेकिन उनका सिस्टम तो समान ही है।
इस पर काबू पाना है तो जंगलवासी बनो, एकांत में रहो। विपरीत लिंग (आकर्षित करने वाला) से मिलो ही मत या फिर मेडिकली (चिकित्सीय रूप से) खुद के भीतर से वह हार्मोन खत्म करवा दो जो विपरीत लिंग (या जो भी लिंग आपको आकर्षित करता हो) के प्रति आपको आकर्षित करते हैं।
या आपके पास धर्ममुक्त/विवाहमुक्त/मुक्तविचार सोच हो जो संयम पैदा करना सिखाती है। अच्छा आहार हो जिनमें हार्मोन न हों। यह सब भी आपको खुद को मजबूत इंसान बनने में मदद करेंगे। अधिकारों और कानून को पढ़ो। जानो। महसूस करो। लड़ो उनके लिये। दूसरों को प्रोत्साहित करो। विपरीत लिंग से जानपहचान करो उनको अपना सच्चा मित्र समझो। बराबरी रखो।
छीन कर नहीं, request से भी नहीं, दूसरे के दिल में आकर्षण पैदा करके उसका दिल जीत लो। फिर चुनते रहिये अपने दिल का राजा/रानी।
जब लगे कि खुद पर काबू नहीं हो रहा और कुछ गलत सा जोर जबरदस्ती जैसा विचार मन में आये (आता है कभी-कभी जब आहार-विहार-संगत गलत हो) तो किसी कोने में जाकर खुद को ठंडा कर लो। ठंडा पानी पियो। नहा लो। अंग विशेष पर ठण्डा पानी डालो। न बात बने तो हाथों से या किसी इसी कार्य के लिये बने उपकरण की मदद ही ले डालो।
खाली इच्छा हो रही है और अंग तैयार नहीं तो अच्छा पोर्न देखो और उसे जागृत करके वही कर डालो जो ऊपर सुझाया था और उसे शांत कर लो। लेकिन इस सेक्स को बलात्कार में बदल कर सभ्य समाज में इसे मुद्दा मत बनाओ। खुद को बर्बाद मत करो किसी और को बर्बाद करके।
मैं जानता हूँ कि सब मेरे जैसे नहीं, इसीलिये सबके लिये उपाय सुझाये हैं। कुछ रह गया हो तो सहयोग करें। सुझाएँ अपने शोध। दूसरों के शोध को अपना बोल कर समय न खराब करें यह भी कहना चाहूंगा।
अपने अनुभवों को ही बताएं तो मदद भी कर सकूंगा। कोई लिंक/सर्वे को मैं धारणा कायम करने का प्रयास भर मानता हूं जो भरोसे लायक नहीं। हर इंसान यूनिक होता है और प्रत्येक के लिए मेरे शोध में जगह है। आपका स्वागत है। ~ शुभाँशु जी 2018©