कुछ लड़कियाँ और लड़के जो शादी के सपने देखती/देखते हैं, वे बच्चों को पसन्द करने का अभ्यास करती/करते रहती/रहते हैं। जबकि मुझे बच्चे के प्रति सिर्फ ज़िम्मेदारी का भाव रहता है। उनको पैदा करने की भावना नहीं उतपन्न होती है क्योकि देश बढ़ती जनसँख्या से इतना बर्बाद हो चुका है कि नए के लिये यहाँ बेहतर माहौल ही नहीं। वह या तो अपराधी बन जायेगा या भृष्टाचारी।
सत्यवादी हुआ मेरी तरह तो उसकी हत्या कर दी जाएगी। कैसे भी कोई सूरत नज़र नहीं आती। इसलिये मैं बच्चा मुक्त ही बेहतर हूँ। ~ शुभाँशु जी 2018©
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