महिलाएं दबा कर रखी गई हैं उनके बारे में कुछ पता कैसे चले। पुरुष दबंग है समाज के सहारे से। फिर? जिसको प्रोत्साहन मिलता है वह काम भी करता है। महिलाओं को कौन प्रोत्साहित करें? वह खुद ही चुप्पी साधे बैठी हैं। हम किसी को परोस के तो दे सकते हैं लेकिन चम्मच से खिलाना हमारे वश का नहीं। मुकाबला करना है समाज से तो सड़को पर आओ महिलाओं। दिखाओ अपनी ताकत या फिर शिकायते करना भी बन्द कर दो। ~ शुभाँशु जी 2018©
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