मैं 8वी कक्षा से सेक्स के बारे में सब जानता हूँ। पोर्न कुछ किताबों से फिर बाद में 9वी में आकर इंटरनेट पर खुद ढूंढा। बहुत पैसे खर्च किये पोर्न को देखने में। फिर cd ली, फिर dvd, लेकिन मुझे सामान्य पोर्न ही ठीक लगा और मैंने देखा और हस्तमैथुन भी किया लेकिन कभी ज्यादा नहीं किया।
सभी तरह के पोर्न देख कर मुझे कुछ फील नहीं होता है, सिर्फ कुछ मॉडल से ही फीलिंग आती हैं। मेरी पसन्द भी सबकी जैसी नहीं। असली जीवन में भी मुझे केवल कुछ ही लड़कियों से आकर्षण हुआ, हर कोई मुझे महिला ही नहीं लगती। लड़का ही लगती है। कोई-कोई ही होती है ऐसी जिनसे मैं शर्मा जाता हूँ।
तब से अब तक बहुत शोध किया है पोर्न पर लेकिन मेरे भीतर कभी कोई दुर्भावना उतपन्न नहीं हुई। न ही मेरे दोस्तों के मन में। वे सामान्य जीवन जीते हैं। लड़कियों का सम्मान करते हैं और एक मित्र जो 8वी कक्षा से साथ है वह भी मेरी तरह विवाहमुक्त हो गया जब उसको उसकी प्रेमिका ने धोखा दे दिया।
उस समय मेरे सहयोग से उसे उसकी प्रेमिका से मिलाने के भरसक प्रयत्न किए गए लेकिन लड़की चाहती ही नहीं थी उसे पाना, तो सम्भव न हो सका। फिर वह हार कर मेरी बताई बातों पर गौर करने लगा कि मैं क्या कहता रहा उसे हमेशा। उसके बाद उसने मुझसे जानकारी मांगी, मैंने दी और वह धर्ममुक्त और विवाहमुक्त हो गया। ~ शुभाँशु जी 2018©
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