Zahar Bujha Satya

Zahar Bujha Satya
If you have Steel Ears, You are Welcome!

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सोमवार, फ़रवरी 25, 2019

सोच बदलिये, अच्छे इंसान बनिये ~ Shubhanshu

लोगों को व्यवहार को सही दिशा में करना होगा। अन्यथा बदनामी रूपी परिणाम मिलेंगे। ये सब रिजेक्शन का परिणाम है। सोच बदलनी होगी कि सही व्यक्ति कौन है जिससे अगला डिमांड कर रहा है।
जैसे, रिक्वेस्ट लेना मतलब सेक्स चैट का कॉन्सेन्ट समझना।
कम कपड़े मतलब सेक्स करने के लिये इनविटेशन।
ब्रा न पहनना मतलब भी सेक्स इनविटेशन।
इस तरह की सोच खत्म करनी होगी।

1. महिला की तरफ से पहल का इंतज़ार करें।
2. उससे दोस्ती रखें। उससे साधारण बात करें।
3. अगले को खुद के बारे में समझने का मौका दें।
4. अब अगर अगले को आप पसन्द आये तो वह खुद ही शुरुआत करेंगी।
5. याद रखिये प्यासा कुएं के पास आता है न कि कुआं।
6. आप प्यासे हैं और कुंआ सूखा तो आपकी प्यास नहीं बुझेगी।
7. कुएं में पानी लबालब हो तो वह बह कर आपके पास भी आ सकता है। लेकिन ऐसा कम होता है क्योकि लड़के पहल करेंगे, ये धारणा बनाई गई है। लेकिन धैर्य रखिये जल्दबाजी में जूते ही पड़ेंगे।
8. जब कप खुद पर काबू रखेंगे तभी नई सोच विकसित होगी कि आग दोनो तरफ होती है न कि सिर्फ एक तरफा। एक तरफा सिर्फ बलात्कार होता है।

होश् में रहना ही समझदारी है। क्यों मूड खराब करना? जब चलाना हाथ ही है? नमस्कार! ~ Shubhanshu Singh Chauhan 2019©

शुक्रवार, फ़रवरी 15, 2019

मैं हूँ ग्रह Ross 128 B से एक परग्रही

अपनी इमेज एक भले इंसान की बनाये रखें। गुस्सा आपको आता नहीं, यह कहते हैं बहुत लोग लेकिन आप सभी गुस्सा होते हैं। अपशब्द कहकर अच्छा लग सकता है लेकिन यह आपकी अच्छी ईमेज को भी तार-तार कर देते हैं।

ऐसा नहीं हैं कि आपको गाली देना आता न हो या आप उनका ज्ञान न रखें। उसका भी समय आएगा। गाली हमेशा अकेले में दें। पब्लिक प्लेस पर गाली देना मानहानि के अंतर्गत अपराध है।

गाली देने से बहुत लाभ हैं लेकिन क्या इसके लिये हम पहले उन हानियों को पैदा करें जिनको गालियां मिटाती हैं? और इनके साइड इफ़ेक्ट का क्या? जो कि आपको एक बुरा इंसान घोषित कर देती हैं? हमको कोई अपमान जनक शब्दों से सम्बोधित करता है तो गुस्सा और अपशब्द दोनो उगलते हैं हम लेकिन हमको खुद पर कंट्रोल होना चाहिये। खुद की परीक्षा लीजिये कि आप किस तरह बिना गाली दिए भी अगले को आहत करके उसकी ego को चोट पहुँचा सकते हैं या हो सकता है कि वह आपकी परीक्षा ले रहा हो और आप उसमें पास हो जाएं तो वह आपको समझने लगे?

बेहतर बनने की कोशिश कीजिये। दुनिया में लोग अजूबे ढूढ़ रहे हैं। एलियन को कौन नहीं देखना चाहता? कौन नही चाहता उसका एक ऑटोग्राफ? अजूबा बनिये। हैरान कर दीजिए लोगों को अपने अच्छे व्यवहार से।

ऐसा नहीं है कि अपशब्द गलत हैं या उनको देने से आप अच्छे या बुरे बन जाते हैं लेकिन आपकी दुर्भावना अगर उसमें जुड़ी है तो वह बुरे हैं। आप प्यार से किसी को गाली दीजिये अगले को उसमें प्यार दिखेगा गाली नहीं।

अगला प्यार ही सुनेगा। गाली म्यूट हो जायेगी लेकिन अगर आप दुर्भावना से किसी को महान, विद्वान, ज्ञानी, सर्वज्ञ, ईश्वर, परमात्मा भी बोलोगे तो वह उसके दिल में जाकर लगेगा और सिर्फ लगेगा ही नहीं बल्कि गहरी चोट करेगा। इतनी गहरी कि अगला 10 बार सोचेगा आपसे पंगा लेने की या बदल जायेगा तर्क के साथ।

लोगों को शांति से समझाया जा सकता है अन्यथा वे बहुत जल्दी आपको ब्लॉक कर देंगे। जिसे समझना नहीं है वह आपको कभी भी ब्लाक कर सकता है। बेहतर होगा कि आप देखें कि अगला आपकी लेखनी पूरी पढ़ रहा है या नहीं? आपके दिए लिंक पर जाता है या नहीं? आपकी बातों को अनदेखा करता है या नहीं?

अगर वह सिर्फ एक तरफा बोल रहा है तो वह बोल नहीं रहा। वह डिक्टेट कर रहा है। यानी तानाशाही उसका स्वभाव है। वह आपको अपने गुप्तांग पर रखता है। फिर बस मुस्कुराइए और उधर से निकल आइये। उधर आपकी अब कोई आवश्यकता नहीं रही।

मुझे कोई उम्मीद नहीं है कि आप मेरी इस अमूल्य सलाह पर अमल करेंगे। मुझे फर्क भी नहीं पड़ता कि अगला क्या कर रहा है। लेकिन हाँ इस पोस्ट के माध्यम से मैं यह ज़रूर कहना चाहता हूँ कि अगर आप मेरे जैसे नहीं हैं तो मैं ही अकेला बन जाऊंगा अजूबा और आप देखते रहियेगा और पूछते रहियेगा, "आखिर किस दुनिया से हो आप, कौन हो आप?"

और मैं हमेशा कि तरह एक ही शब्द में अपना परिचय देता रहूँगा। मैं हूँ ग्रह Ross128B से इधर आया हुआ एक एलियन। ~ Shubhanshu SC 2019©

सोमवार, फ़रवरी 04, 2019

सीधी दुनिया, कितनी नाजुक

कुछ आदतें यदि बाल्यकाल से ही अभ्यासित न की जाएं तो वे ज़िद्दी हो जाती हैं। जैसे:

1.कपड़े पहनना जबकि अभ्यास से बहुत लोग बर्फ और तपती गर्मी में भी नग्न रहने में सफल हुए हैं। प्रारंभ में तो सब नग्न ही थे। गुप्तांग सबके होते हैं उनको खरोंच से बचाने का तर्क बेकार है क्योंकि तब आप झाड़ियों में घुसोगे ही नहीं।

2.चप्पल पहनना जबकि आदिवासी बिना चप्पल के ही पैरों को कठोर हो जाने देते हैं।

3.कमर-जांघ की मांसपेशियां का कठोर होना। अभ्यास से इनको तोड़ा और लचीला बनाया जा सकता है।

4.पका भोजन खाना और कच्चा खाने पर पेट दर्द होना। अभ्यास करके हम पेट को वापस मजबूत बना सकते हैं। किटाणु रहित करने के लिये पोटेशियम परमेगनेट से धुलें।

5.संस्कृति यानी जो बड़ों ने कहा उसे आंखें मीच के मान लेना। यह भी न सोचना कि क्या वह आपके समय और व्यक्तिव पर लागू होता है या नहीं।

6.धर्म यानि संस्कृति का मूल तत्व। इसी से प्रेरित होकर मानव खुद को दूसरे धर्म/संस्कृति से अलग दिखाने और खुद को श्रेष्ठ महसूस करने का एक आकर्षक प्रपंच रचता है। यह दूसरे धर्म के लिये नफरत की जड़ बनता है और अपने ही धर्म के लोगों का इसके ठेकेदार शोषण करते हैं। इसकी अच्छाइयों से धोखा न खाइए। इंसानों/पशुओं मे अच्छाई और बुराई के लिये सहानुभूति और सबक नाम का गुण होता है जो उसे भलाई/बुराई की समझ देता है। उदाहरण, सभी जंतु (गर्म खून) आग, गहरे पानी (जलचरों को छोड़ कर) और ऊंचाई (पक्षियों को छोड़ कर) से डरते हैं। यह उनको कोई सिखाता नहीं है।

7.संगत, यानी आपके आसपास के मित्र/सहयोगी/साथी/पड़ोसी रूपी परोक्ष/अपरोक्ष शिक्षक। जब भी हम 1 से अधिक लोगों को एक सा व्यवहार करते देखते हैं तो वह हमारे मन पर गहरा प्रभाव डालता है। हम उसे बिना परखे अपना लेते हैं क्योंकि हमें वह आज़माया हुआ नुस्खा लगता है। यही सही हो तो अच्छा इंसान और अगर गलत हो तो बुरे इंसांनो को जन्म देता है।

जिनकी इच्छाशक्ति प्रबल होती है और जो दूसरों को सर्वोच्च नहीं मानते बल्कि खुद ही फैसले लेने के लिये खतरे उठाते हैं वही दुनिया में नई बातों, सिद्धान्तों, आविष्कारों, कलाकृतियों, कलाओं और अन्य ऐसी ही नई विधाओं, सुविधाओं का सृजन करते हैं। यह लोग सही को अपनाते और गलत का सदुपयोग करते हैं।

ये किसी से नफ़रत नहीं करते बल्कि उनका कहां इस्तेमाल हो सकता है, यह देखते हैं। यही श्रेष्ठता है। यही मानव और जंतुजगत के अजूबे हैं। यही भावी एलियन हैं जो अभी से इसी पृथ्वी पर उपेक्षित जीवन जी रहे हैं, उनके द्वारा जो उनकी धूल बराबर भी नहीं हैं। फिर भी वे उनको प्रेम करते हैं। यही तो है उनकी true beauty!

Love them! They are all your true wellwishers! ~ Shubhanshu Singh Chauhan Vegan Irriligious Free thinker 2019© 12:13 PM

शनिवार, जनवरी 26, 2019

सकारात्मक और नकारात्मक विचार

आप positive और निगेटिव को मुख्यधारा के विज्ञान से समझिये। इंटरनेट पर जो इस संदर्भ में ऊर्जा होने का उदाहरण देते हैं, कम्पन होने की कल्पना करते हैं; इस तरह के लिंक pseudoscience से प्रेरित कहलाते हैं। यानी सही बात को गलत तरह से जादू बना कर पेश करना। सच्चाई छिपाना।

Postive मतलब affermative वाक्य। अर्थात हर वह वाक्य जिसमें न, मत, मना, नहीं आदि शब्द अनुपस्थित होते हैं।

निगेटिव में यही शब्द होते हैं। बस यही होता है सोच का फर्क।

साथ ही लापरवाही भी पोसिटिव वाक्य में हो सकती है। इसलिये positive को हम प्रीवेंटिव शब्द से सपोर्ट करके शुद्ध करते हैं। यानी वह सकारात्मक सोच जो लापरवाही और असुरक्षा से ग्रस्त न हो वही सकारात्मक (positive) सोच है। इसमें कोई वाइब्रेशन या ऊर्जा नही होती है बस समझने के लिये और जादुई महसूस करने हेतु ऐसा बोला जाता है ताकि लोग इसकी ओर आकर्षित हो सकें।

बिल्कुल एक विज्ञापन की तरह जैसे निरमा साबुन में लड़कीं दिखाई जाती है लेकिन लेने जाओ तो सिर्फ साबुन मिलेगा। लड़की

 नही देंगे दुष्ट। समझ गए या और समझाएं? ~ Shubhanshu SC Vegan 2019©

हमाम में सब नँगे हैं

कोई भी सभ्य व्यक्ति किसी का भी न तो contact नंबर/फ़ोटो देगा न पूछेगा। आप अपनी बहन के नम्बर/फ़ोटो बाँट सकते हैं? प्रेमिका के? नही न? हम दरअसल किसी का भी नंबर/फ़ोटो/सम्पर्क बिना उससे सलाह किये नही दे सकते।

यह प्राइवेसी एक्ट का उल्लंघन होता है। सज़ा हो सकती है। अतः प्रेमिका और लड़की का किसी पोस्ट में ज़िक्र होते ही उसका नंबर मांगने की यह गन्दी आदत सभी जन छोड़ दें।

दरअसल यह महिला को वस्तु समझने की घटना है। जैसे कोई लड़की मेरे साथ सेक्स करती है, साथ रहती है, प्रेम करती है तो लोगों को लगता है कि वो सेक्स की भूखी है या धन के बदले सेक्स करती है बिना पीछे पड़े। इसलिये इतनी घटिया सोच लड़कों में उनकी संगत ने डाली है।

यही वह बात है जिस कारण महिला मुक्ति आंदोलन शुरू हुआ क्योकि लड़कों की नज़र में महिला एक सेक्स डॉल से ज्यादा नहीं थी। यही कारण है कि सेक्सडॉल की बिक्री धुआंधार हो रही है जबकि उसकी कीमत करोड़ो में है।

सेक्स शब्द ही ऐसा है जो आनन्द देता है। जितना संक्रामक यह है इतना और कुछ भी नहीं। यह देखने, सुनने, पढ़ने मात्र से आपको कामोत्तेजित कर सकता है। छूने पर तो करना स्वाभाविक ही है। फिर इसके दुरुपयोग इस दुरूपयोगी मानव जगत द्वारा सबसे अधिक होना ही था।

समस्या यह है कि भारत के लोग पर्दे के आगे सेक्स मुक्त और पर्दे के पीछे सेक्स में औंधे मुहँ पड़े हुए हैं। पर्दे में बिना ज्ञान के आप प्रयोग करते हैं और वह असफल भी होते हैं और उनका नतीजा बलात्कार, अनचाहा गर्भ, यौनांगों में घाव, बीमारी, धोखा, ठगी, बदनामी, अपमान, शोषण आदि के रूप में सामने आता ही है।

ज़रूरत अब इस पर्दे को हटाने की है और अच्छे-अच्छे चेहरों के मुखोटे उतर जाएंगे। याद रखिये कपड़े पहनने या पर्दा डालने से सच्चाई समाप्त नहीं हो जाती। आ कितना भी नाटक कर लो कि आप सेक्स से अछूते हैं लेकिन सत्य तो यह है कि कपड़ों के नीचे और हमाम में, सब नँगे हैं। नमस्कार! ~ Shubhanshu SC 2019© 6:40 am Jan 26.

शुक्रवार, जनवरी 25, 2019

भविष्य का मुसाफिर वर्तमान में

केवल बुद्धिमान लोगों को ही मेरी बातें समझ में आ रही हैं। जो 1-2 लोग हैं। पहले कॉलेज में भी सबने यही कहा कि आपकी बातें बहुत समय आगे की हैं और अब यहाँ भी यही साबित भी हो रहा है कि दुनिया मुझसे कितना पीछे चल रही है। 

कमाल है कि मेरे साथ समय से आगे चलने वाले सिर्फ 3-5 लोग ही होंगे। ये भी ज्यादा ही लिख दिए। अभी लगभग पूर्ण मुझे एक ही मिला है। बाकी हैं कुछ जने आधे-अधूरे। अपनी क्षमता के अनुसार कदम आगे बढ़ा लिये। कदम से कदम मिला कर चलने वाले चाहिए।

अभी हम 2 हैं। उम्मीद है हम 2, पूरे 11 से कम नहीं हैं। 2 और मिल जाते तो 22 हो जाते। लेकिन इतना बदलने के लिये त्याग कौन करे बुराइयों का? सबको सांचों में ढलना है। सांचे बनाने के लिये बड़े लोग चाहिए। सब छोटे ही बने रहना चाहते हैं। कम्फर्ट ज़ोन हैं सबका। रूटीन लाइफ जी रहे हैं। मर मर कर। बेचारे। जी लो एक बार खुल कर। एक ही जीवन मिला है। इसे बर्बाद मत करो।

पहले कश्मीर जी थे, साथ लेकिन उनसे भी कुछ मुद्दों पर (जैसे राजनीति, सर्वभक्षी जीवनशैली आदि) मतभेद थे। अब वे खुद ही नहीं रहे तो उनका अभियान ठप सा हो गया है। वे खुद रचनाकार थे। उनकी शैली अलग थी और महत्वाकांक्षाओं का गुलदस्ता भी। मैं उनके साथ था लेकिन मेरा विषय/रास्ता कुछ अलग था। इसलिये हम लोगों की अलग-अलग 2 वेबसाइट बनीं।

काश्मीर जी- http://www.dharmamukt.com

Shubhanshu जी- http://zaharbujhasatya.dharmamukt.in

समय आने पर book निकलवाई जाएगी उनकी रचनाओं की। लेकिन हम अभी भी धर्ममुक्त हैं और रहेंगे। जिसको धर्म के पक्ष में आकर अपनी ऐसी-तैसी करवानी है, वह करवा सकता है। हम पर पूर्ण आत्मविश्वास है।

जब तक कोई हमें चुनौती नहीं देता तब तक ही हम शांत रहते हैं। बहस की जगह प्रमाण और तर्क से सीधा और सरल समाधान करने की मेरी कोशिश रही है।

मकसद धर्म और पाखण्ड हटाना नहीं था कभी। मकसद था कि लोग सत्य जानें। सत्य जानकार कौन गंदगी में रहेगा? इसलिये दलदल में एक रस्सी फेंकने का काम है मेरा। उसे पकड़ के बाहर आना आपका। ~ Shubhanshu SC Vegan, dharma mukt. 2019© january.

मंगलवार, जनवरी 22, 2019

विवाह यानि इंसानों का वस्तुकरण

जिन्होंने सम्भोग केवल बच्चा पैदा करने हेतु किया है वे महिला के ओर्गास्म को कोई वैल्यू नहीं देते। जबकि कौमार्य को देते हैं क्योकि उनको लगता है कि यह सील है उनके शुद्ध वंश की। यही लोग कौमार्य को अपने हिसाब से ढूंढते हैं और सन्तुष्ट न होने पर महिला की हत्या तक कर देते हैं। क्या आपको इनकी मानसिकता वाला विवाह पसन्द है? जो महिला को बस उत्पाद समझते हैं? ~ Vegan Shubhanshu Singh Chauhan 2019©

मैं ऐसे ही नहीं बड़ी बड़ी बातें करता हूँ। बातें बड़ी हैं इसलिये करता हूँ।

पहचान छुपाने का ये है मुख्य कारण

जिनको सच में ऐसे मुंडी चेंज के डर हैं जिनमें पोर्न स्टार की सेक्सी बॉडी पर उनका फ़ोटो लगा दिया जाए तो जान लेना चाहिए कि सिर्फ फ़ोटो से काम नहीं चलता और भी कांटेक्ट होने चाहिए। जैसे इतनी अभिनेत्रियों के फोटो अश्लीलता से मुंडी बदले जाते हैं लेकिन उन अभिनेत्रियों को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योकि कांटेक्ट ही नहीं हो सकता।

जिनको करीबियों से डर है वे डिजाइन और गार्ड फीचर साइड पोज (मॉर्फ असम्भव) में लगा सकती हैं या अगर वास्तव में इन्बॉक्स/Messenger समस्या है तो उसे अनइंस्टाल करके व्हाट्सएप use कर सकती हैं और अगर सिर्फ विचार बांटने हैं तो वे लड़के के नाम से id भी बना सकती हैं।

दरअसल ज्यादातर बिना फेस की महिला id सेक्स चैट मे इन्वॉल्व होती हैं। अब आप समझ लो। अपवादों को मारो गोली। यही है ज़हरबुझा सत्य। ~ Vegan Shubhanshu Singh Chauhan 2019©

P.S.: Hey Reader! You are a great person!

बुधवार, जनवरी 16, 2019

ऐसे लड़के से दूरी भली

उस लड़के से प्यार मत करना, जो प्यार का असली मतलब जानता हो।
मत करना उससे भी प्यार जो इसे निभाना जानता हो।
मत करना उससे भी जो खोया रहता है, अपने ही ख्यालों में।
उस लड़के से बिल्कुल प्यार मत कर बैठना जो अकेला रहता हो।
उससे भी नहीं जो हर समय आपको अपने अनुभव बताता रहता है।
उससे भी नहीं जो आपसे कुछ भी नही छुपाता, मुहँ पर ज़हरबुझा सत्य कह देता हो।
उससे भी नहीं जो आपको आपकी आंतों तक को हंसाता हो। हंसा हंसा कर रुला दे।
उससे भी नहीं जो अपने 2 शब्दों (Thank You) से आपकी आँखों में पश्चाताप के आंसू ला दे।
उससे तो कतई नहीं जो आपके भले के लिये आप पर हाथ तक उठा दे।
क्योकि वह जानता है कि तुम्हें मरते नहीं देख सकता।
उससे तो बात भी मत करना जो कोई नशा नहीं करता लेकिन उसकी बातों में नशा हो। जिसकी लत लग जाए तुमको।
भाग जाना उसके पास से जो तुम्हारी देह, चेहरे की तारीफ न करे फिर भी तुमसे भुलाया न जा रहा हो।
अच्छी लगे जिसकी कड़वी बोली भी।
उससे भी नहीं जो अखबार/tv नहीं देखता, खुद ही ग्रन्थ लिखा करता हो।
उससे तो बिल्कुल भी नहीं जो खुद ही रचना करता, चित्र बनाता हो।
उससे भी नहीं जो विज्ञान, तर्क और सत्य के लिये ज़िद्दी हो। पीछे न हटता हो।
उससे तो दूर ही रहना जो कभी हार नहीं मानता, लेकिन जब बात प्यार की हो तो हार जाता हो।
जो विश्वास, कर्तव्य, करुणा, त्याग, क्रोध जैसी भावनाओं से भरा होकर भी खुद पर पूरा नियंत्रण रखता हो। नम्र हो।
क्योकि अगर एक बार आप ऐसे लड़के के प्यार में पड़ गए, चाहे उसे आपसे प्यार हो या न हो, तो आप वापस लौट कर नहीं आ
पाओगे। वहीं रह जाओगे। हमेशा के लिये। हमेशा-हमेशा के लिये। 2019/01/16 19:05 ~ Shubhanshu Singh Chauhan 2019©

क्या साइकिक हूँ मैं? ~ Shubhanshu

मुझे ऐसा लगता है कि मेरे अंदर कुछ साइकिक शक्तियां हैं बचपन से क्योंकि संयोग इतने अधिक नहीं हो सकते। एक मुख्य असर जो सभी ने देखा है वह यह है कि मुझे सताने वाले लोग या तो शीघ्र ही बर्बाद हो गए या उनकी संदिग्ध हालातों में मृत्यु हो गई।

ऐसे ही जब किसी ने मेरी बात नहीं मानी जबकि मैंने उसके भयानक परिणाम का पूर्वानुमान लगा लिया था जो कि अपने आप होता है उनका उससे भी बदतर हश्र हुआ।

ये इतना सत्य है कि फेसबुक पर मुझे सताने वाले 3 लोगों की रहस्यमय तरीके से मृत्यु हो गई। इन्हीं 2 वर्षों में (2017-2019)।

ये कुछ कुछ बद्दुआ या श्राप का पर्याय जैसा लगता है। मैंने इसकी खोज की और पाया कि आकर्षण का सिद्धांत इसके पीछे की वजह हो सकता है। ये कहता है कि यदि आप कोई भी इच्छा जितना आवेग, गुस्से, दुःख या खुशी में करेंगे वह ज़ल्दी घटेगी।

मैंने कुछ और घटनाओं का अवलोकन किया। देखा कि इसके सकारात्मक परिणाम ज्यादा ही मिलते हैं। जैसे मैं अगर फेसबुक का ही उदाहरण दूँ तो कमाल की बात यह होती है कि जिस बहस या चर्चा में मुझे जो उदाहरण और meme चाहिए होती है वह मुझे मेरी timeline या किसी अचानक मिले मेसेज, लिंक या इनबॉक्स में आये किसी के साथ हुए वार्तालाप में मिल जाते हैं। यह इतना अप्रत्याशित होता है कि कहीं से कोई लिंक वास्तविक घटना से जुड़ा नहीं मिलता।

अब अगर न भी मिले तो वह मुझे कोई फ़िल्म में मिल जाता है जो तुक्के से मैंने रैंडम चुनी होती है। या कोई गेम में वह जवाब होता है या कोई दोस्त आकर वह जवाब दे जाता है। कहीं न कहीं से मुझे जवाब, मदद आ ही जाती है। यह इतना अधिक होता है कि मैं मौत से भी नहीं डरता और आत्मविश्वास से भरा रहता हूँ। इतनी बड़ी-बड़ी परिस्थितियों को हरा कर निकल आया हूँ और इसलिये फेसबुक पर भी मुझसे ज्यादा तर लोग बहस करने में डरते हैं।

आपको हैरानी होगी कि यह सिर्फ भारत में नहीं है बल्कि यही हालात विदेशी लोगों और विदेशी समूह में भी प्रचलित है। फेसबुक पर मौजूद flat earther, vegan और meat eater open debate group के लोग मुझे पहाड़े की तरह रटे बैठे हैं। वे चर्चा में हार कर व्यक्तिगत अपमान करने लगते हैं। जब कुछ नही मिलता तो इंडियन कह कर ही थूकते हैं। उनको किसी ने सिखाया है कि दलित एक गाली है तो वे मुझे दलित कह कर सम्बोधित करने लगते हैं। कोई कहता कि सड़कों पर टट्टी करने वाले, टॉयलेट बनवा ले। कोई कहता कि nigga (नाइजीरिया के नीग्रो) हूँ मैं। यानी रंगभेद, कालों के प्रति।

यह सब किसलिए क्योंकि वे तर्क नहीं कर पाते। इंडिया में भी नास्तिकता प्रचार अभियान, नास्तिक वर्ल्ड, महिलाओं चुप्पी तोड़ो, साइलेंस ब्रेकर, शर्म छोड़िये चुप्पी तोड़िये जैसे समूह के लोग अच्छी तरह से जानते हैं। इन सभी समूहों में मैं ब्लाक हूँ। पहले वाले में जब साल भर कारण पूछता रहा तब जाकर ब्लॉक हटा है कुछ माह पूर्व। बाकी के एडमिन कायरों की तरह चुप्पी साधे बैठे हैं। दरअसल इनको मेरे सवालों के जवाब पता नहीं होते तो व्यक्तिगत आरोप लगाते हैं। लेकिन मैं ये आपको क्यों बता रहा हूँ?

दरअसल महिलाओं चुप्पी तोड़ो समूह को मैंने दुखी होकर कोसा था और कमाल है कि उसी हफ्ते वह समूह अचानक गायब हो गया। मुझे लगा कि मैं ब्लॉक हूँ इसलिये नहीं दिख रहा होगा लेकिन मुझे मेरी मित्र ने बताया कि ये समूह गायब हो गया है। एडमिन सकते में हैं कि 60000 लोगों का समूह गायब कैसे हो गया?

अभी बस इतना ही। बताना शुरू किया तो न जाने कहाँ पर खत्म हो ये सब। मेरी जीवनी में आप संपूर्ण घटनाओं को पढ़ेंगे। नमस्कार।

Update: लगभग 6 माह पूर्व मेरा गूगल प्लस एकाउंट रेफरल लिंक्स के कारण सस्पेंड कर दिया गया। मैंने उनको हटाया और रिव्यू के लिये अपील की। कुछ घण्टे बाद सब ठीक हो गया। लेकिन फिर कुछ देर बाद ससपेंड हो गया। मैंने बचीखुची सभी पोस्ट हटा डालीं। कुछ घण्टे बाद सब ठीक हो गया। फिर 10 मिनट बाद फिर से सस्पेंड हो गया।

अब क्या हटाता? इंतज़ार किया 3 दिन। कुछ न हुआ। फिर गुस्से में मैंने गूगल प्लस अकॉउंट ही डिलीट कर दिया। लेकिन ये क्या? Your account is under review. ये कैसे हटेगा?

हफ्तेभर बाद भी कुछ न बदला तो मैंने दूसरा अकॉउंट बनाया उससे अपना मुख्य अकॉउंट वापस देने की अपील की गूगल प्लस हेल्प कम्युनिटी में और कहा कि मेरा अकॉउंट आज़ाद करके मुझे दोबारा बनाने दें। लेकिन उधर के एक एडमिन ने मुझे निराश किया। उसने मुझसे कहा:

1. आपने अपना एकाउंट डिलीट कर दिया। अब वह है नहीं तो रिव्यू किसका करें?

2. आपने दूसरी id बनाई जो कि गलत है। आप हमको धोखा दे रहे हैं।

अब मैंने कहा कि

1. जब review नहीं हो रहा था तभी तो डीलीट किया।

2. बिना दूसरी id के गूगल कम्युनिटी हेल्प लेना असम्भव है।

फिर उसने कहा कि आपका एकाउंट कई बार ससपेंड हुआ है इसलिए हो सकता है परमानेंट बन्द हो गया हो। मैंने कहा कि अगर ऐसा होता तो मुझे बताया जाता। इस पर उसने कहा मैं कोई मदद नहीं कर सकता। इसके बाद मैं किसी दूसरे रास्ते से गूगल तक पहुँचने का प्रयास करने लगा। मैंने एडवर्ड्स टीम से सम्पर्क किया। उन्होंने भी असमर्थता दर्शा दी कि गूगल प्लस कम्युनिटी ही रास्ता है।

उधर से पहले ही मैं निराश हो चुका था। मैं 2000 फॉलोवर्स खो चुका था और बहुत निराश हो चुका था और तब मैंने अपने साथ हुई इस बेईमानी के प्रति अपना गुस्सा प्रकट करते हूए खुद से कहा कि देखना अब तुम्हारा (गूगल प्लस) ये प्लेटफार्म ही बन्द होगा। मुझे परेशान किया है मैं तुम्हें परेशान कर दूंगा।

हाल ही में गूगल प्लस प्लेटफार्म को एक बड़े सायबर हमले के बाद बन्द कर दिया गया है। इस अप्रैल से यह प्लेटफार्म ही डिलीट कर दिया जाएगा।

Note: संपूर्ण घटनाएं और पात्र सत्य हैं। ~ Vegan Shubhanshu SC 2019©