मुझे ऐसा लगता है कि मेरे अंदर कुछ साइकिक शक्तियां हैं बचपन से क्योंकि संयोग इतने अधिक नहीं हो सकते। एक मुख्य असर जो सभी ने देखा है वह यह है कि मुझे सताने वाले लोग या तो शीघ्र ही बर्बाद हो गए या उनकी संदिग्ध हालातों में मृत्यु हो गई।
ऐसे ही जब किसी ने मेरी बात नहीं मानी जबकि मैंने उसके भयानक परिणाम का पूर्वानुमान लगा लिया था जो कि अपने आप होता है उनका उससे भी बदतर हश्र हुआ।
ये इतना सत्य है कि फेसबुक पर मुझे सताने वाले 3 लोगों की रहस्यमय तरीके से मृत्यु हो गई। इन्हीं 2 वर्षों में (2017-2019)।
ये कुछ कुछ बद्दुआ या श्राप का पर्याय जैसा लगता है। मैंने इसकी खोज की और पाया कि आकर्षण का सिद्धांत इसके पीछे की वजह हो सकता है। ये कहता है कि यदि आप कोई भी इच्छा जितना आवेग, गुस्से, दुःख या खुशी में करेंगे वह ज़ल्दी घटेगी।
मैंने कुछ और घटनाओं का अवलोकन किया। देखा कि इसके सकारात्मक परिणाम ज्यादा ही मिलते हैं। जैसे मैं अगर फेसबुक का ही उदाहरण दूँ तो कमाल की बात यह होती है कि जिस बहस या चर्चा में मुझे जो उदाहरण और meme चाहिए होती है वह मुझे मेरी timeline या किसी अचानक मिले मेसेज, लिंक या इनबॉक्स में आये किसी के साथ हुए वार्तालाप में मिल जाते हैं। यह इतना अप्रत्याशित होता है कि कहीं से कोई लिंक वास्तविक घटना से जुड़ा नहीं मिलता।
अब अगर न भी मिले तो वह मुझे कोई फ़िल्म में मिल जाता है जो तुक्के से मैंने रैंडम चुनी होती है। या कोई गेम में वह जवाब होता है या कोई दोस्त आकर वह जवाब दे जाता है। कहीं न कहीं से मुझे जवाब, मदद आ ही जाती है। यह इतना अधिक होता है कि मैं मौत से भी नहीं डरता और आत्मविश्वास से भरा रहता हूँ। इतनी बड़ी-बड़ी परिस्थितियों को हरा कर निकल आया हूँ और इसलिये फेसबुक पर भी मुझसे ज्यादा तर लोग बहस करने में डरते हैं।
आपको हैरानी होगी कि यह सिर्फ भारत में नहीं है बल्कि यही हालात विदेशी लोगों और विदेशी समूह में भी प्रचलित है। फेसबुक पर मौजूद flat earther, vegan और meat eater open debate group के लोग मुझे पहाड़े की तरह रटे बैठे हैं। वे चर्चा में हार कर व्यक्तिगत अपमान करने लगते हैं। जब कुछ नही मिलता तो इंडियन कह कर ही थूकते हैं। उनको किसी ने सिखाया है कि दलित एक गाली है तो वे मुझे दलित कह कर सम्बोधित करने लगते हैं। कोई कहता कि सड़कों पर टट्टी करने वाले, टॉयलेट बनवा ले। कोई कहता कि nigga (नाइजीरिया के नीग्रो) हूँ मैं। यानी रंगभेद, कालों के प्रति।
यह सब किसलिए क्योंकि वे तर्क नहीं कर पाते। इंडिया में भी नास्तिकता प्रचार अभियान, नास्तिक वर्ल्ड, महिलाओं चुप्पी तोड़ो, साइलेंस ब्रेकर, शर्म छोड़िये चुप्पी तोड़िये जैसे समूह के लोग अच्छी तरह से जानते हैं। इन सभी समूहों में मैं ब्लाक हूँ। पहले वाले में जब साल भर कारण पूछता रहा तब जाकर ब्लॉक हटा है कुछ माह पूर्व। बाकी के एडमिन कायरों की तरह चुप्पी साधे बैठे हैं। दरअसल इनको मेरे सवालों के जवाब पता नहीं होते तो व्यक्तिगत आरोप लगाते हैं। लेकिन मैं ये आपको क्यों बता रहा हूँ?
दरअसल महिलाओं चुप्पी तोड़ो समूह को मैंने दुखी होकर कोसा था और कमाल है कि उसी हफ्ते वह समूह अचानक गायब हो गया। मुझे लगा कि मैं ब्लॉक हूँ इसलिये नहीं दिख रहा होगा लेकिन मुझे मेरी मित्र ने बताया कि ये समूह गायब हो गया है। एडमिन सकते में हैं कि 60000 लोगों का समूह गायब कैसे हो गया?
अभी बस इतना ही। बताना शुरू किया तो न जाने कहाँ पर खत्म हो ये सब। मेरी जीवनी में आप संपूर्ण घटनाओं को पढ़ेंगे। नमस्कार।
Update: लगभग 6 माह पूर्व मेरा गूगल प्लस एकाउंट रेफरल लिंक्स के कारण सस्पेंड कर दिया गया। मैंने उनको हटाया और रिव्यू के लिये अपील की। कुछ घण्टे बाद सब ठीक हो गया। लेकिन फिर कुछ देर बाद ससपेंड हो गया। मैंने बचीखुची सभी पोस्ट हटा डालीं। कुछ घण्टे बाद सब ठीक हो गया। फिर 10 मिनट बाद फिर से सस्पेंड हो गया।
अब क्या हटाता? इंतज़ार किया 3 दिन। कुछ न हुआ। फिर गुस्से में मैंने गूगल प्लस अकॉउंट ही डिलीट कर दिया। लेकिन ये क्या? Your account is under review. ये कैसे हटेगा?
हफ्तेभर बाद भी कुछ न बदला तो मैंने दूसरा अकॉउंट बनाया उससे अपना मुख्य अकॉउंट वापस देने की अपील की गूगल प्लस हेल्प कम्युनिटी में और कहा कि मेरा अकॉउंट आज़ाद करके मुझे दोबारा बनाने दें। लेकिन उधर के एक एडमिन ने मुझे निराश किया। उसने मुझसे कहा:
1. आपने अपना एकाउंट डिलीट कर दिया। अब वह है नहीं तो रिव्यू किसका करें?
2. आपने दूसरी id बनाई जो कि गलत है। आप हमको धोखा दे रहे हैं।
अब मैंने कहा कि
1. जब review नहीं हो रहा था तभी तो डीलीट किया।
2. बिना दूसरी id के गूगल कम्युनिटी हेल्प लेना असम्भव है।
फिर उसने कहा कि आपका एकाउंट कई बार ससपेंड हुआ है इसलिए हो सकता है परमानेंट बन्द हो गया हो। मैंने कहा कि अगर ऐसा होता तो मुझे बताया जाता। इस पर उसने कहा मैं कोई मदद नहीं कर सकता। इसके बाद मैं किसी दूसरे रास्ते से गूगल तक पहुँचने का प्रयास करने लगा। मैंने एडवर्ड्स टीम से सम्पर्क किया। उन्होंने भी असमर्थता दर्शा दी कि गूगल प्लस कम्युनिटी ही रास्ता है।
उधर से पहले ही मैं निराश हो चुका था। मैं 2000 फॉलोवर्स खो चुका था और बहुत निराश हो चुका था और तब मैंने अपने साथ हुई इस बेईमानी के प्रति अपना गुस्सा प्रकट करते हूए खुद से कहा कि देखना अब तुम्हारा (गूगल प्लस) ये प्लेटफार्म ही बन्द होगा। मुझे परेशान किया है मैं तुम्हें परेशान कर दूंगा।
हाल ही में गूगल प्लस प्लेटफार्म को एक बड़े सायबर हमले के बाद बन्द कर दिया गया है। इस अप्रैल से यह प्लेटफार्म ही डिलीट कर दिया जाएगा।
Note: संपूर्ण घटनाएं और पात्र सत्य हैं। ~ Vegan Shubhanshu SC 2019©



