 |
खुद को बर्बाद करना बंद करें |
केवल प्रति नागरिक न्यूनतम आय नियम ही संभव है जो कि प्रति माह ₹10000.00 हो सकती है। इसका मतलब है ₹120000.00 प्रति वर्ष। यह नियम पहले से ही कई देशों में लागू है और भारतीय विद्वान इसे भारत में भी लागू करने की कोशिश कर रहे हैं!
₹72000.00 या ₹1500000.00 का प्रलोभन सिर्फ आपकी भावनाओं के साथ मजाक है।
लेकिन डर्टी पॉलिटिशियन वोट हासिल करने के लिए अपने अनुसार अपने सही समय के लिए, अपने लाभों के लिए, इसका उपयोग करके इस परियोजना को देर से लागू करने की योजना बना रहे हैं।
क्यों राजनेता स्वेच्छा से नौकर बनने के लिये और खुद के प्रचार के लिए भारी धन खर्च करने को तैयार हैं? क्या वास्तव में हमें एक राजनेता की जरूरत है जो देश को बेहतर बनाने के लिए करों का प्रबंधन करे? वह करे जो लोग चाहते हैं या उन्हें हम पर शासन करने की आवश्यकता है? क्या यह उनकी चरम श्रद्धा और समर्पण है या खुद के लिए जीवन भर का आराम, सम्मान, कानून को अपनी जेब में रखने और व्यवस्था को अपने हिसाब से नियंत्रित करने और एक शासक के रूप में अपने स्वयं के विचारों को लागू करने के द्वारा लोकतंत्र को नष्ट कर देने का लालच है?
हर राजनेता द्वारा पहले वालों के समान वादे, जबकि वही समस्याएं उनकी सेवा अवधि खत्म होने के बाद भी बनी रहती हैं। क्या आप मूर्ख हो? या खुद को मूर्ख दिखाने की कोशिश कर रहे हैं?
इसके बारे में सोचो। वोट देना बंद करो, अपनी मेहनत की कमाई इन फालतू लोगों को देना बंद करो। अपने स्वयं के विभाग बनाइये, अपनी स्वयं की प्रणाली बनाइये, लोगों को उनकी पात्रता के आधार पर नियुक्त कीजिये और अपने देश का प्रबंधन स्वयं टीम बना कर कीजिये। देश बनाइये वैसा, जैसा आप चाहते हैं। यही सच्चा लोकतंत्र होगा। "राज़ करना या शासन करना" जैसे शब्द लोकतंत्र में अनुपस्थित हैं। यह केवल राजशाही से संबंधित शब्द और कार्य हैं। जहाँ केवल राज़ा की ही चलती है।
धन, धर्म, हवस, नशे आदि के लालच से मूर्ख मत बनो। मानवता के बारे में सोचो। राष्ट्र के बारे में सोचो और अपनी आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोचो। आपका दिन मंगलमय हो! ~ शुभांशु सिंह चौहान 2019 ©